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पितृपक्ष, नवरात्र, सूर्यग्रहण- अश्विन मास में खुलेंगे पुण्य और मोक्ष के द्वार, लेकिन परीक्षा कठोर

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 8 सित॰
  • 3 मिनट पठन

अपडेट करने की तारीख: 9 सित॰

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हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन मास वर्ष का सातवां महीना होता है, जो इस वर्ष 8 सितंबर 2025 से प्रारंभ होकर 7 अक्टूबर 2025 तक रहेगा। यह मास धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसी महीने पितरों की कृपा प्राप्ति का शुभ अवसर मिलता है, साथ ही माँ दुर्गा का महापर्व—शारदीय नवरात्र—भी इसी माह में मनाया जाता है।


अश्विन मास के प्रमुख पर्व एवं तिथियां:-

पितृपक्ष:

अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से पितृपक्ष आरंभ होता है और अमावस्या तक चलता है। इस दौरान पूर्वजों की आत्मा की शांति हेतु श्राद्धकर्म किया जाता है। इस वर्ष पितृपक्ष 7 सितंबर से 21 सितंबर 2025 तक रहेगा। अंतिम दिन को सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है, जब पितरों को श्रद्धा पूर्वक विदाई दी जाती है।


शारदीय नवरात्र:

पितृपक्ष के समापन के बाद अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवरात्र शुरू होते हैं। इस बार नवरात्र 22 सितंबर से 1 अक्टूबर 2025 तक चलेंगे। नवरात्र के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है।


विजयादशमी (दशहरा):

नवरात्र के समापन के दिन 2 अक्टूबर को विजयादशमी का पर्व मनाया जाएगा, जब माँ दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन होता है। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।


शरद पूर्णिमा:

अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है, जो 6 अक्टूबर 2025 को है। इसे काव्य और संगीत का पर्व भी माना जाता है।


श्राद्ध तिथियां (पितृपक्ष):

तिथि श्राद्ध का नाम

8 सितंबर 2025 प्रतिपदा श्राद्ध

9 सितंबर 2025 द्वितीया श्राद्ध

10 सितंबर 2025 तृतीया श्राद्ध

11 सितंबर 2025 चतुर्थी एवं पंचमी श्राद्ध

13 सितंबर 2025 षष्ठी श्राद्ध

14 सितंबर 2025 सप्तमी श्राद्ध

15 सितंबर 2025 अष्टमी श्राद्ध

16 सितंबर 2025 नवमी श्राद्ध

17 सितंबर 2025 दशमी श्राद्ध

18 सितंबर 2025 एकादशी श्राद्ध

19 सितंबर 2025 द्वादशी एवं त्रयोदशी श्राद्ध

20 सितंबर 2025 मघा श्राद्ध

21 सितंबर 2025 चतुर्दशी श्राद्ध

21 सितंबर 2025 सर्वपितृ अमावस्या


अन्य महत्वपूर्ण व्रत और त्यौहार:

10 सितंबर — संकष्टी चतुर्थी

17 सितंबर — इन्दिरा एकादशी, कन्या संक्रांति

19 सितंबर — मासिक शिवरात्रि, प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)

21 सितंबर — अश्विन अमावस्या, सूर्य ग्रहण

22 सितंबर — घटस्थापना एवं शारदीय नवरात्र आरंभ

25 सितंबर — विनायक चतुर्थी

28 सितंबर — कल्परम्भ

29 सितंबर — नवपत्रिका पूजा

30 सितंबर — दुर्गा महाष्टमी पूजा

1 अक्टूबर — दुर्गा महा नवमी पूजा

2 अक्टूबर — दुर्गा विसर्जन, विजयादशमी (दशहरा), शरद नवरात्र पारण

3 अक्टूबर — पापांकुशा एकादशी

4 अक्टूबर — शनि प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)

6 अक्टूबर — अश्विन पूर्णिमा व्रत (शरद पूर्णिमा)

7 अक्टूबर — वाल्मीकि जयंती, मीरा बाई जयंती


अश्विन मास में पूजा-पाठ और खान-पान के नियम

अश्विन मास दो भागों में विभाजित होता है:

कृष्ण पक्ष (पहले 15 दिन):

इस दौरान पूर्वजों के श्राद्ध किए जाते हैं। पितृ पूजन एवं तर्पण विशेष महत्व रखते हैं।

शुक्ल पक्ष (अगले 15 दिन):

इस समय शारदीय नवरात्र के व्रत रखे जाते हैं, जिसमें मां दुर्गा की विभिन्न रूपों की पूजा होती है।


खान-पान संबंधी नियम:

इस माह दूध का सेवन वर्जित माना जाता है।

शरीर को पूरी तरह ढककर रखना शुभ होता है।

बैंगन, करेला, मूली, मसूर की दाल, चना आदि से परहेज करें।

प्याज, लहसुन और तामसिक भोजन से बचें। सात्विक भोजन का सेवन करें।

मदिरा, मांसाहार का पूर्ण त्याग आवश्यक है।


अश्विन मास अपने धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व के कारण श्रद्धा एवं भक्ति का महीना माना जाता है। पितृपक्ष में पूर्वजों को श्रद्धांजलि और शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा की आराधना कर जीवन में समृद्धि, सुख और शांति की कामना की जाती है। विजयादशमी के दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव मनाकर नए संकल्प लिए जाते हैं।

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