Rishikesh: पेड़ों को बचाने के लिए वृक्षों से चिपके लोग, किया चिपको आंदोलन 2.0 का आगाज
- ANH News
- 17 मार्च
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भानियावाला-ऋषिकेश मार्ग के चौड़ीकरण के नाम पर लगभग 3300 पेड़ों की कटाई के खिलाफ पर्यावरण प्रेमियों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। इस विरोध में दो पद्मश्री पुरस्कार विजेता, प्रसिद्ध लोकगायिका और बड़ी संख्या में पर्यावरण संरक्षण के प्रति समर्पित लोग सड़क पर उतर आए। इन लोगों ने पेड़ों से चिपक कर उनके संरक्षण का संकल्प लिया और चिपको आंदोलन 2.0 की शुरुआत की घोषणा की। साथ ही, इस दौरान एक हस्ताक्षर अभियान भी चलाया गया, जिसमें पर्यावरण सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करने के लिए लोगों ने समर्थन दिया।
प्रदर्शन की वजह
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ऋषिकेश से भानियावाला के बीच सड़क को फोरलेन बनाने का प्रस्ताव है, जिसमें करीब 21 किलोमीटर लंबी सड़क को चौड़ा किया जाएगा। इस परियोजना पर 600 करोड़ रुपये की लागत आ रही है। हालांकि, चौड़ीकरण के दौरान लगभग 3300 पेड़ों की कटाई होनी है, जो पर्यावरणीय दृष्टिकोण से बेहद चिंताजनक है। इस कटाई की प्रक्रिया इन दिनों चल रही है, जिससे स्थानीय लोग और पर्यावरणविद् गहरे आक्रोश में हैं।
पर्यावरणीय असंतुलन की बढ़ती चिंता
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विरोध प्रदर्शन के दौरान पर्यावरणविदों ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में देहरादून और उसके आसपास के क्षेत्रों में पर्यावरणीय असंतुलन तेजी से बढ़ा है। तापमान में वृद्धि, घटते भूजल स्तर और खराब होती वायु गुणवत्ता ने स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाला है। इस गंभीर स्थिति के बावजूद बिना किसी दीर्घकालिक पर्यावरणीय योजना के बड़े पैमाने पर विकास परियोजनाएं चलायी जा रही हैं, जो भविष्य के लिए खतरनाक हो सकती हैं। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि लंबे समय से उत्तराखंड में वनों की अंधाधुंध कटाई और प्राकृतिक संसाधनों के अतिक्रमण के खिलाफ विरोध हो रहा है, लेकिन इसे अभी तक गंभीरता से नहीं लिया गया।
चिपको आंदोलन 2.0 की शुरुआत
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सात मोड़ क्षेत्र में एकत्र हुए प्रदर्शनकारियों ने पेड़ों को रक्षा सूत्र बांध कर उनका संरक्षण करने का संकल्प लिया। इस अवसर पर उन्होंने यह घोषणा की कि यह चिपको आंदोलन 2.0 की शुरुआत है, जो उत्तराखंड के पर्यावरण संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
प्रदर्शन में शामिल प्रमुख हस्तियां
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इस विरोध प्रदर्शन में विभिन्न संगठनों के लोग शामिल हुए, जिनमें प्रमुख रूप से पद्मश्री डॉ. माधुरी बर्तवाल, पद्मश्री कल्याण सिंह रावत, लोकगायिका कमला देवी, इरा चौहान, अनूप नौटियाल, सूरज सिंह नेगी, नितिन मलेथा और इंद्रेश मैखुरी जैसे पर्यावरण प्रेमी शामिल थे।
प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगें
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1. ऋषिकेश-जौलीग्रांट हाईवे परियोजना और 3300 पेड़ों की कटाई पर रोक लगाई जाए।
2. देहरादून और आसपास के पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में वनों के व्यावसायिक उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए।
3. देहरादून की पारंपरिक नहरों का संरक्षण और पुनरुद्धार किया जाए, क्योंकि ये नहरें भूजल रिचार्ज और अत्यधिक गर्मी के दौरान तापमान को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
4. देहरादून की प्रमुख नदियों – रिस्पना, बिंदाल और सौंग – को पुनर्जीवित किया जाए और इन्हें प्लास्टिक कचरे और अनुपचारित सीवेज से बचाया जाए।
5. हरे-भरे स्थानों को बढ़ावा देने के लिए सख्त नियम लागू किए जाएं, ताकि सभी नई आवासीय और व्यावसायिक परियोजनाओं में कम से कम 25% भूमि हरित क्षेत्र के लिए आरक्षित हो।
6. वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए त्वरित कार्रवाई की जाए।
7. 1980 के वन अधिनियम में संशोधन कर जंगलों में लगने वाली आग को रोकने के लिए प्रभावी रणनीतियां अपनाई जाएं।
यह विरोध प्रदर्शन यह दर्शाता है कि उत्तराखंड में पर्यावरणीय संकट को लेकर लोगों में गहरी चिंता है। पेड़ों की कटाई और अन्य पर्यावरणीय मुद्दों को लेकर जनता की आवाज उठ रही है, और चिपको आंदोलन 2.0 के जरिए अब एक नई ऊर्जा और प्रतिबद्धता के साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया गया है।




