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उत्तराखंड की वादियों में फिर मातम, देवभूमि फिर आपदा की चपेट में, मलबे में समाए कई जीव

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 29 अग॰
  • 2 मिनट पठन

अपडेट करने की तारीख: 30 अग॰

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उत्तराखंड एक बार फिर प्रकृति के कहर से कराह उठा है। आसमान से बरसी आफ़त ने न सिर्फ़ ज़मीन को चीर दिया, बल्कि लोगों के सपनों, आशियानों और जीवन को भी मलबे में दफ़न कर दिया। बृहस्पतिवार देर रात से शुरू हुई मूसलाधार बारिश शुक्रवार को भी थमने का नाम नहीं ले रही है। प्रदेश के चमोली, टिहरी और रुद्रप्रयाग जिलों में बादल फटने की कई घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें जान-माल की भारी क्षति हुई है।


चमोली: देवाल में बादल फटा, पति-पत्नी लापता, 20 मवेशी मलबे में दबे

चमोली ज़िले के देवाल ब्लॉक के मोपाटा गांव में गुरुवार रात बादल फटने से भारी तबाही मची। ज़िलाधिकारी संदीप तिवारी के अनुसार, गांव के निवासी तारा सिंह और उनकी पत्नी का अब तक कोई पता नहीं चला है — दोनों मलबे में लापता हैं। वहीं, विक्रम सिंह और उनकी पत्नी घायल हुए हैं। उनके घर और गोशाला पूरी तरह से मलबे में दब चुके हैं। आशंका जताई जा रही है कि 15 से 20 मवेशी भी इस मलबे के नीचे दबे हो सकते हैं।


देवाल क्षेत्र में सड़कों का संपर्क टूट गया है, जिससे राहत और बचाव कार्यों में भी बाधा आ रही है। प्रशासन की टीम मौके के लिए रवाना हो चुकी है। हालात की गंभीरता को देखते हुए चमोली जिले के सभी विकास खंडों में शुक्रवार को स्कूलों में अवकाश घोषित कर दिया गया है।


कर्णप्रयाग: मूसलाधार बारिश से पहाड़ दरका, मलबा घरों में घुसा

कर्णप्रयाग क्षेत्र में शुक्रवार को तेज़ बारिश ने कालेश्वर गांव में भयावह स्थिति पैदा कर दी। ऊपर से आया मलबा कई घरों में घुस गया है। प्रशासन की ओर से मौके पर जेसीबी मशीनें भेजकर मलबा हटाने का प्रयास किया जा रहा है। पुलिस टीम भी मौके पर डटी हुई है। अलकनंदा और पिंडर नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिससे आस-पास के गांवों में दहशत का माहौल है।


सुभाषनगर में पहाड़ी से बोल्डर और मलबा गिरने से मुख्य सड़क बंद हो गई है, जिससे यातायात पूरी तरह ठप हो गया है।


टिहरी: भिलंगना ब्लॉक में भी फटा बादल, ब infrastructure को नुकसान

टिहरी जिले के भिलंगना ब्लॉक के गेंवाली गांव के ऊपर भी बीती रात बादल फटा। गनीमत रही कि इस घटना में कोई जनहानि नहीं हुई। हालांकि, कृषि भूमि, पेयजल पाइपलाइन और विद्युत लाइनों को गंभीर नुकसान पहुंचा है। कई पैदल पुलिया और रास्ते टूट गए हैं। राजस्व विभाग की टीम को स्थिति का आकलन करने के लिए गांव भेजा गया है।


रुद्रप्रयाग: जखोली ब्लॉक के कई गांव प्रभावित, अतिवृष्टि से भारी नुकसान

रुद्रप्रयाग जिले के जखोली ब्लॉक के छेनागाड़, बांगर सहित कई गांवों में भी अतिवृष्टि से व्यापक तबाही की खबरें हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में खेतों और घरों को नुकसान पहुंचा है। लगातार बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है।


निष्कर्ष: प्रकृति की चेतावनी या व्यवस्था की लापरवाही?

हर साल उत्तराखंड को प्राकृतिक आपदाएं झकझोरती हैं, और हर बार वही सवाल उठता है — क्या हमने कुछ सीखा? क्या हमारी आपदा प्रबंधन प्रणाली इतनी सक्षम है कि इन घटनाओं से जान-माल का नुकसान रोका जा सके?


फिलहाल ज़रूरत है त्वरित राहत, पुनर्वास और दीर्घकालिक समाधान की। साथ ही, पहाड़ी क्षेत्रों में अंधाधुंध निर्माण और पर्यावरणीय असंतुलन पर गंभीर पुनर्विचार की।

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