उत्तराखंड में कोविड अलर्ट: देश में नए कोरोना वैरिएंट की दस्तक, दो मरीजों में संक्रमण की पुष्टि
- ANH News
- 4 दिन पहले
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देहरादून – देश में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ने फिर से दस्तक दे दी है और इसकी आहट अब उत्तराखंड में भी महसूस की जा रही है। राज्य में दो ऐसे मरीजों में संक्रमण की पुष्टि हुई है, जो हाल ही में अन्य राज्यों से यात्रा करके लौटे हैं। स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है और चिकित्सा इकाइयों को अलर्ट पर रखा गया है।
एक महिला मरीज गुजरात से लौटी, एम्स ऋषिकेश में भर्ती
पहला मामला एक महिला मरीज का है, जो हाल ही में गुजरात की यात्रा से लौटी थी। स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान उसमें कोरोना के नए वैरिएंट की पुष्टि हुई। महिला को फिलहाल ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में उपचाराधीन रखा गया है।
जानकारी के अनुसार, यह महिला स्वयं एक चिकित्सक भी हैं, और उन्हें संक्रमण के शुरुआती लक्षण दिखाई देने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया।
दूसरी महिला मरीज बेंगलुरू से लौटी, होम आइसोलेशन में रखा गया
दूसरे संक्रमित मरीज की पहचान एक और महिला के रूप में हुई है, जो बेंगलुरू से उत्तराखंड लौटी थीं। उनमें भी संक्रमण की पुष्टि के बाद होम आइसोलेशन में रखने की व्यवस्था की गई है। स्वास्थ्य विभाग इन दोनों मामलों पर विशेष निगरानी रखे हुए है।
प्रदेश में अलर्ट जारी, स्क्रीनिंग और टेस्टिंग के निर्देश
प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया कि सभी सरकारी और निजी चिकित्सा संस्थानों को सतर्क मोड पर रखा गया है। साथ ही उन्होंने निर्देश दिए हैं कि यदि किसी भी मरीज में कोरोना जैसे लक्षण दिखाई दें तो अनिवार्य रूप से कोविड टेस्ट करवाया जाए। सभी अस्पतालों को सैंपलिंग, ट्रैकिंग और निगरानी व्यवस्था को सुदृढ़ बनाए रखने के लिए कहा गया है।
फिर बढ़ सकती है सतर्कता और सावधानी की जरूरत
हालांकि अभी तक राज्य में व्यापक संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन नए वैरिएंट के मामले सामने आने से स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यात्रियों की निगरानी, जीनोम सीक्वेंसिंग और समय पर उपचार ही संक्रमण को नियंत्रित रखने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।
उत्तराखंड में नए कोरोना वैरिएंट के मामलों की पुष्टि के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि संक्रमण का खतरा अभी पूरी तरह टला नहीं है। ऐसे में सावधानी, सतर्कता और समय पर जांच ही इससे बचाव के सबसे प्रभावी उपाय हैं। राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग इस दिशा में आवश्यक कदम उठा रहे हैं, लेकिन जन सहयोग और सजगता भी उतनी ही जरूरी है।