लच्छीवाला टोल प्लाजा हटाने की मांग को लेकर किसानों का गुस्सा उफान पर, प्रशासन को दी चेतावनी
- ANH News
- 29 मार्च
- 3 मिनट पठन

लच्छीवाला टोल प्लाजा को हटाने की मांग को लेकर क्षेत्र के किसानों ने तहसील मुख्यालय में जमकर विरोध प्रदर्शन किया। संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में किसान बुधवार को तहसील पहुंचे और केंद्रीय परिवहन मंत्री को ज्ञापन भेजकर टोल प्लाजा हटाने की मांग की। किसानों ने चेतावनी दी कि अगर जल्द ही उनकी मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई तो वे उग्र आंदोलन करेंगे। इस दौरान किसानों ने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए प्रशासन से त्वरित समाधान की अपील की। किसानों का कहना है कि लच्छीवाला टोल प्लाजा से उन्हें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
किसान नेता ताजेंद्र सिंह ने बताया कि लच्छीवाला टोल प्लाजा पर अक्सर हादसे होते हैं, जो यहां के लोगों के लिए खतरे का कारण बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस टोल को यहां से स्थानांतरित किया जाना चाहिए। उनका यह भी कहना था कि इस टोल की वजह से गन्ना आपूर्ति करने वाले भारी वाहन अक्सर जाम में फंस जाते हैं, जिससे किसानों को भारी परेशानी उठानी पड़ती है।
किसान सभा के जिलाध्यक्ष दलजीत सिंह ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता जताई और कहा कि टोल प्लाजा से रोजाना होने वाली परेशानी से किसान वर्ग परेशान है। भाकियू टिकैत के जिलाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह खालसा ने भी स्पष्ट किया कि इस टोल के खिलाफ किसान अब निर्णायक संघर्ष करने की योजना बना रहे हैं, और वे अपनी मांगों को लेकर उग्र हो सकते हैं।
इस प्रदर्शन के दौरान किसानों ने एसडीएम अपर्णा ढौंडियाल के माध्यम से केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को ज्ञापन भेजा। प्रदर्शन में बलबीर सिंह, गुरदीप सिंह चढूनी, उमेद वोरा, प्रेम सिंह पाल, गुरुबख्श सिंह, याकूब अली, अजीत सिंह प्रिंस और सरजीत सिंह जैसे प्रमुख किसान नेता मौजूद थे।
लच्छीवाला टोल की पर्यावरणीय और सुरक्षा संबंधी समस्याएं
ताजेंद्र सिंह ने कहा कि लच्छीवाला टोल प्लाजा पर्यावरणीय मानकों पर खरा नहीं उतरता है, और इसे इस स्थान पर बनाना गलत था। माजरी और शेरगढ़ के किसान टोल प्लाजा के कारण निशुल्क आवागमन से वंचित हो गए हैं, जिससे उनकी स्थिति और भी खराब हो गई है। इसके अलावा बार-बार हो रहे हादसों को देखते हुए, यह आवश्यक हो गया है कि इसे जल्द से जल्द स्थानांतरित किया जाए।
याकूब अली ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय जाहिर करते हुए कहा कि क्षेत्रीय विधायक से लेकर हर वर्ग के लोग अब टोल को हटाने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने इसे एक "दिक्कत खड़ा करने वाला" टोल बताया और कहा कि यह स्थान स्थानीय लोगों के लिए खतरे का कारण बन रहा है।
सरजीत सिंह ने केंद्रीय परिवहन मंत्रालय से अपील की कि जनभावनाओं को समझते हुए टोल को हटाने की प्रक्रिया शुरू की जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर कोई बड़ा हादसा हुआ तो लोगों का गुस्सा फूट सकता है, और किसान इस मुद्दे को लेकर संतुष्ट नहीं हैं।
कांग्रेस का समर्थन और संघर्ष की घोषणा
कांग्रेस पार्टी भी इस मुद्दे पर सक्रिय हो गई है और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने एक बैठक आयोजित कर इस पर चर्चा की। परवादून जिला अध्यक्ष मोहित उनियाल ने कहा कि लच्छीवाला टोल प्लाजा जिस स्थान पर स्थापित किया गया है, वह हाथी कॉरिडोर क्षेत्र भी है, जहां हाथियों की आवाजाही रहती है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह टोल नियमों के खिलाफ स्थापित किया गया है, और इसके कारण यहां कई दुर्घटनाएं हो रही हैं। उन्होंने कहा कि जब तक इस टोल को यहां से हटाया नहीं जाता, कांग्रेस संघर्ष करती रहेगी।
इस बैठक में महानगर अध्यक्ष राकेश सिंह, जयेंद्र रमोला, मदान मोहन शर्मा, अरविंद जैन, प्रदीप जैन, शैलेंद्र बिष्ट, और ललित मोहन मिश्रा जैसे प्रमुख कांग्रेस नेता मौजूद थे।
लच्छीवाला टोल प्लाजा को लेकर बढ़ता विरोध और किसान नेताओं, कांग्रेस कार्यकर्ताओं सहित सभी वर्गों की मांग के बाद यह सवाल और भी सुलझने की जरूरत बन गई है। अगर प्रशासन और केंद्रीय परिवहन मंत्रालय इस मुद्दे पर समय रहते कदम नहीं उठाते, तो क्षेत्र में और भी बड़ा आंदोलन हो सकता है।




