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Rishikesh: विधि-विधान से मनाई विश्वकर्मा जयंती

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 18 सित॰
  • 2 मिनट पठन

अपडेट करने की तारीख: 19 सित॰

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सरकारी, गैर-सरकारी एवं विभिन्न संगठनों के सदस्यों ने भव्य विधि-विधान के साथ विश्वकर्मा जयंती का उत्सव मनाया। इस अवसर पर विभिन्न व्यवसायों से जुड़े लोगों ने हवन-यज्ञ का आयोजन कर अपने औजारों, अस्त्र-शस्त्रों और मशीनरी की पूजा-अर्चना की तथा भगवान विश्वकर्मा के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनकी महत्ता को सम्मानित किया।


बुधवार को विश्वकर्मा पूजा समिति चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से 39वां विश्वकर्मा जयंती समारोह संपन्न हुआ, जिसमें विधायक प्रेमचंद अग्रवाल प्रमुख अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का प्रथम इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है। उन्होंने बताया कि विश्वकर्मा ने भगवान ब्रह्मा की सहायता से सृष्टि की रचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह मान्यता प्रचलित है कि देवताओं के नगर, भवन, अस्त्र-शस्त्र आदि का निर्माण विश्वकर्मा ने किया था। इसी कारण से उद्योगों और फैक्ट्रियों में इस दिन भगवान विश्वकर्मा की विशेष पूजा की जाती है।


इस अवसर पर मेयर शंभू पासवान, मनोज ध्यानी, सोनू पांडेय, दीपक बिष्ट, विनायक कुमार सहित कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। परमार्थ निकेतन परिवार की ओर से भी विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया गया, जिसमें अस्त्र-शस्त्रों की विधिवत पूजा की गई। आश्रम व्यवस्थापक आरए तिवारी, नगर पंचायत स्वर्गाश्रम जौंक के पूर्व अध्यक्ष माधव अग्रवाल, अशोक मिश्रा, आरके दीक्षित सहित अन्य लोग इस धार्मिक अनुष्ठान में सम्मिलित हुए। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि विश्वकर्मा जयंती पूरे भारत में कारीगरों और औजारों के सम्मान तथा पूजा का प्रतीक है। उन्होंने यह भी कहा कि धर्मगुरुओं के लिए सबसे बड़ा औजार संवाद की शक्ति है, जो समाज को जोड़ने का माध्यम है।


इसी क्रम में, इनरव्हील क्लब ऋषिकेश ने ओंकारानंद स्कूल में विद्यालय के कर्मचारियों को प्रसाद वितरित किया और स्कूल बस चालकों को सम्मानित किया। इस दौरान विद्यालय के प्रधानाचार्य धीरेंद्र जोशी, रमेश सकलानी एवं प्रीति पोखरियाल भी उपस्थित थे।


एसडीआरएफ ढालवाला परिसर में भी भगवान विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर एसडीआरएफ के कर्मचारियों ने मशीनों एवं उपकरणों की साफ-सफाई कर उनकी पूजा-अर्चना की। एसडीआरएफ निरीक्षक कविंद्र सजवाण ने बताया कि भगवान विश्वकर्मा सृजन और निर्माण के देवता हैं, इसलिए इस दिन औजारों, उपकरणों और अस्त्र-शस्त्रों की पूजा कर उनके प्रति आभार व्यक्त करना हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा का अभिन्न हिस्सा है।


इस प्रकार विश्वकर्मा जयंती का आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह कारीगरों, उद्योगों और निर्माण कार्यों में लगे सभी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है, जो अपने उपकरणों और कर्मस्थल को सम्मानित करते हुए नए जोश के साथ कार्य करने के लिए प्रेरित होते हैं।

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