शर्मसार: मां ने करवाया नाबालिग बेटे पर हमला, बाल आयोग ने दिए FIR के निर्देश
- ANH News
- 26 अग॰
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अपडेट करने की तारीख: 27 अग॰

तीर्थनगरी ऋषिकेश में एक पारिवारिक विवाद ने उस समय चिंताजनक मोड़ ले लिया, जब एक नाबालिग पुत्र पर उसकी मां द्वारा हमले का गंभीर आरोप सामने आया। इस घटनाक्रम ने उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग को भी सक्रिय कर दिया है।
पीड़ित बच्चा सदमे में है और उसकी मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग करवाई गई है। आयोग की ओर से ऋषिकेश पुलिस को मामले की जांच कर रिपोर्ट दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं।
15 साल बाद टूटा वैवाहिक रिश्ता, बंटवारे का विवाद बना कारण
जानकारी के अनुसार, ऋषिकेश निवासी एक एयरफोर्स अधिकारी का विवाह 15 साल पहले हुआ था। दोनों के दो बेटे हैं। वैवाहिक जीवन लंबे समय तक सामान्य रहा, दोनों ने कई शहरों में प्रॉपर्टी खरीदी और ऋषिकेश में पुश्तैनी जमीन भी अधिकारी के हिस्से में आई।
पांच साल पहले महिला का संपर्क एक प्रॉपर्टी डीलर से हुआ, जिसके बाद से वैवाहिक संबंधों में दरार आ गई। आरोप है कि महिला ने प्रॉपर्टी डीलर के कहने पर बड़ी मात्रा में संपत्ति बेच दी और बड़े बेटे को साथ लेकर एक दक्षिण भारतीय राज्य में अपने मायके चली गई, जबकि छोटा बेटा पिता के साथ ऋषिकेश में ही रहने लगा।
दुकान पर हमला, मां की भूमिका पर सवाल
तीन हफ्ते पहले, ऋषिकेश स्थित एक दुकान पर जबरन कब्जे की नीयत से कुछ लोगों ने हमला किया। उस समय छोटा बेटा दुकान में मौजूद था। आरोप है कि हमलावरों के साथ मां भी मौके पर उपस्थित थी।
हमले के दौरान आरोपी दुकान की डीवीआर (CCTV रिकॉर्डिंग डिवाइस) भी अपने साथ ले गए। बच्चे ने हमलावरों का रौद्र रूप देखकर घबराहट और मानसिक आघात महसूस किया। पिता ने तत्काल इस घटना की सूचना पुलिस को दी और साथ ही उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग से भी संपर्क साधा।
मां पर गंभीर आरोप, आयोग की सुनवाई से गैरहाजिर
उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने मामले को बेहद गंभीर बताते हुए कहा-"बच्चा मानसिक रूप से आहत है और उसे यह जानकर गहरा आघात पहुंचा है कि हमले में उसकी मां भी शामिल थी।"
आयोग ने बच्चे की स्थिति को देखते हुए प्रोफेशनल काउंसलिंग करवाई है। अब तक हुई दो सुनवाइयों में मां या उनके पक्ष से कोई भी उपस्थित नहीं हुआ। आयोग की ओर से महिला को कई बार फोन कॉल भी किए गए, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
आयोग ने पुलिस को दिए कार्रवाई के निर्देश
डॉ. गीता खन्ना ने बताया कि आयोग ने ऋषिकेश पुलिस को निर्देशित किया है कि वे मामले की गंभीरता से जांच कर एफआईआर दर्ज करें। साथ ही बाल हितों की रक्षा को सर्वोपरि रखते हुए आवश्यक कदम उठाएं।
मानवता के स्तर पर सवाल
यह मामला न केवल पारिवारिक विघटन और संपत्ति विवाद की जटिलता को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि विवादों की आग में नाबालिग बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य किस कदर झुलसता है। आयोग द्वारा की गई सक्रिय कार्रवाई उम्मीद की एक किरण है कि पीड़ित बच्चे को न्याय और सुरक्षा मिल सके।




