वित्त आयोग से निकायों और पंचायतों की मांग: स्वच्छता और आपदा प्रबंधन के लिए बढ़े बजट
- ANH News
- 2 दिन पहले
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उत्तराखंड की स्थानीय निकायों और पंचायत प्रतिनिधियों ने सोमवार को 16वें वित्त आयोग के साथ हुई अहम बैठक में राज्य की भौगोलिक व सामाजिक चुनौतियों को रेखांकित करते हुए अधिक वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता पर जोर दिया। यह संवाद राज्य सचिवालय में आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया की अध्यक्षता में आयोजित हुआ, जिसमें शहरी निकायों और त्रिस्तरीय पंचायतीराज संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
शहरी निकायों ने उठाई स्वच्छता और आधारभूत ढांचे की मांग
बैठक में शामिल आठ नगर निकायों के प्रमुखों ने शहरी क्षेत्रों की बढ़ती जरूरतों को ध्यान में रखते हुए विशेष सहायता की मांग की। उन्होंने स्वच्छता, सीवरेज, पार्किंग, और तीर्थाटन से जुड़ी व्यवस्थाओं के लिए बजट में वृद्धि की मांग की।
देहरादून के मेयर सौरभ थपलियाल ने कहा कि देहरादून न केवल उत्तराखंड की राजधानी है, बल्कि एक शैक्षणिक और पर्यटन केंद्र भी है। ऐसे में शहर को अतिरिक्त संसाधनों की सख्त आवश्यकता है।
रुद्रपुर के मेयर विकास शर्मा ने बताया कि शहर में प्रतिदिन 50,000 से अधिक फ्लोटिंग आबादी आती है, जिससे प्रतिदिन लगभग 2.5 लाख टन कूड़ा निकलता है। उन्होंने इसके प्रभावी निस्तारण हेतु पर्याप्त वित्तीय सहायता की मांग की।
अल्मोड़ा के मेयर अजय वर्मा ने शहर को हेरिटेज सिटी के रूप में विकसित करने हेतु अलग बजट की जरूरत बताई।
हरिद्वार की मेयर किरण जैसल ने धार्मिक पर्यटन को देखते हुए अतिरिक्त बजट और सुविधाओं की मांग रखी।
मसूरी पालिका अध्यक्ष मीरा सकलानी ने पर्यटन नगरी में पार्किंग सुविधा विकसित करने और ग्रीन बोनस की मांग की।
पौड़ी नगर पालिका अध्यक्ष हिमानी नेगी ने सीवरेज लाइन की कमी पर ध्यान दिलाया।
बागेश्वर अध्यक्ष सुरेश खेतवाल ने पहाड़ी क्षेत्रों में निर्माण लागत अधिक होने की वजह से बजट बढ़ाने की बात कही।
अगस्त्यमुनि नगर पंचायत अध्यक्ष राजेंद्र गोस्वामी ने तीव्र होती पार्किंग समस्या को रेखांकित किया।

पंचायती प्रतिनिधियों ने रखी क्षेत्र आधारित बजट वितरण की मांग
पंचायतीराज व्यवस्था के प्रतिनिधियों ने कहा कि राज्य की ग्रामीण पंचायतें स्वच्छता, आपदा प्रबंधन और बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रही हैं। ऐसे में उन्हें अधिक और क्षेत्रफल आधारित बजटीय आवंटन की आवश्यकता है।
जिला पंचायत देहरादून की प्रशासक मधु चौहान ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता की चुनौती के लिए बजट आवंटन बढ़ाया जाना जरूरी है।
पिथौरागढ़ की जिला पंचायत प्रशासक दीपिका बोरा ने पंचायतों को आपदा प्रबंधन के लिए आकस्मिक बजट उपलब्ध कराने की बात कही।
जयहरीखाल ब्लॉक प्रशासक दीपक भंडारी ने बताया कि कई ग्राम पंचायतों को बेहद कम वार्षिक बजट मिल पाता है, जिससे वे बुनियादी कार्य भी पूरा नहीं कर पाते।
देवाल ब्लॉक के प्रशासक डॉ. दर्शन सिंह दानू, द्वारीखाल के महेंद्र सिंह राणा और ग्राम पंचायत झाझरा की प्रशासक पिंकी देवी ने भी समीचित बजट वितरण और सहायता की मांग की।

पंचायतों को प्रति वर्ष मिल रहा है कम अनुदान
सचिव पंचायतीराज चंद्रेश कुमार ने बैठक में बताया कि राज्य की 89 प्रतिशत ग्राम पंचायतों की आबादी 500 से कम है, जिन्हें पांच लाख रुपये से भी कम का वार्षिक अनुदान मिलता है। उन्होंने कहा कि पंचायतों की भूमिका लगातार बढ़ रही है, ऐसे में उनके वित्तीय सशक्तिकरण की दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
वित्त आयोग ने समस्याओं को गहराई से सुना
वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया सहित अन्य सदस्यों – एनी जॉर्ज मैथ्यू, डॉ. मनोज पांडा, डॉ. सौम्या कांति घोष, सचिव ऋत्विक पांडे, संयुक्त सचिव केके मिश्रा, और अन्य अधिकारियों ने प्रतिनिधियों की बातों को विस्तार से सुना और भरोसा दिलाया कि स्थानीय जरूरतों को नीतिगत और वित्तीय अनुशंसाओं में उचित स्थान दिया जाएगा।
इस बैठक ने स्पष्ट किया कि उत्तराखंड जैसे विशेष भौगोलिक राज्य में स्थानीय निकायों और पंचायतों की भूमिका जितनी बड़ी है, उतनी ही अधिक उनकी वित्तीय ज़रूरतें भी हैं। चाहे वह पर्वतीय क्षेत्रों की निर्माण लागत हो या शहरी क्षेत्रों में तीर्थाटन और पर्यटन से जुड़ी व्यवस्थाएं, हर क्षेत्र स्थानीय प्रशासन की वित्तीय क्षमताओं को पार कर चुका है। अब ज़रूरत है कि 16वां वित्त आयोग इन मांगों को नीतिगत प्राथमिकता दे और स्थानीय शासन को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए।