अब पढ़ाई तुम्हारी, फैसले भी तुम्हारे! इस राज्य में छात्रों को मिली पढ़ाई की पूरी आज़ादी
- ANH News
- 10 सित॰
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अपडेट करने की तारीख: 11 सित॰

उत्तराखंड में शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक बदलाव की ओर कदम बढ़ाया गया है। राज्य सरकार ने नई शिक्षा नीति-2020 (NEP-2020) को लागू करते हुए विद्यार्थियों को पढ़ाई में अभूतपूर्व लचीलापन देने की तैयारी कर ली है। अब राज्य के स्कूलों और उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्र अपनी रुचि और भविष्य की योजनाओं के अनुसार विषयों का चयन करने के लिए स्वतंत्र होंगे। इसके साथ ही, उन्हें अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी स्तर पर पढ़ाई छोड़ने और फिर से वहीं से शुरू करने का अवसर भी प्राप्त होगा।
राज्य के शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की अध्यक्षता में मंगलवार को सचिवालय में टास्क फोर्स की अहम बैठक आयोजित की गई, जिसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क (NCrF) के अनुसार नए पाठ्यक्रम की रूपरेखा पर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक में प्रदेश के उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, संस्कृत शिक्षा और कृषि शिक्षा विभागों के सचिवों के साथ-साथ विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति भी मौजूद रहे।
नई व्यवस्था के अनुसार, यदि कोई छात्र एक वर्ष तक पढ़ाई करता है तो उसे सर्टिफिकेट प्रदान किया जाएगा। दो वर्षों की पढ़ाई पूरी करने पर डिप्लोमा, तीन साल के अध्ययन के बाद स्नातक डिग्री, और चार साल की पढ़ाई पूरी करने पर 'स्नातक विद रिसर्च' डिग्री दी जाएगी। इस तरह छात्र अपने जीवन की परिस्थितियों के अनुसार पढ़ाई को रोकने और फिर से शुरू करने की सुविधा पा सकेंगे, जो खास तौर पर ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर तबकों के छात्रों के लिए एक बड़ी राहत होगी।
डॉ. रावत ने इस पहल को शिक्षा में लचीलापन और समावेशिता का प्रतीक बताते हुए कहा कि छात्र अब पारंपरिक विषयों तक सीमित नहीं रहेंगे। उन्हें ईवी टेक्नोलॉजी, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), डेटा एनालिसिस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, उभरती तकनीकों और उद्यमिता (Entrepreneurship) जैसे आधुनिक और भविष्योन्मुखी विषयों को पढ़ने का अवसर मिलेगा। इससे न केवल छात्रों को उद्योगों की मांग के अनुरूप तैयार किया जा सकेगा, बल्कि राज्य के युवाओं को स्थानीय स्तर पर स्वरोज़गार और स्टार्टअप्स के लिए भी प्रेरित किया जा सकेगा।
इसके साथ ही राज्य सरकार ने शिक्षा में भारतीय ज्ञान परंपरा को भी प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है। पाठ्यक्रम में अब ज्योतिष विज्ञान, योग, आयुष, वास्तु शास्त्र, कृषि, वानिकी और औद्यानिकी जैसे विषयों को भी शामिल किया जाएगा, ताकि छात्रों को भारतीय मूल्यों और सांस्कृतिक विरासत से जोड़कर समग्र विकास की ओर अग्रसर किया जा सके।
बैठक में मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, सचिव उच्च एवं तकनीकी शिक्षा डॉ. रणजीत सिन्हा, सचिव वित्त वी. षणमुगम, सचिव कृषि एवं कृषि शिक्षा एस.एन. पाण्डेय, सचिव संस्कृत शिक्षा दीपक गैरोला, सहित प्रदेश के प्रमुख विश्वविद्यालयों के कुलपति और विशेषज्ञ शामिल रहे।
राज्य सरकार के इस फैसले को उत्तराखंड की शिक्षा प्रणाली में एक क्रांतिकारी बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। यह पहल न केवल विद्यार्थियों को अधिक स्वतंत्रता और अवसर देगी, बल्कि राज्य को राष्ट्रीय शिक्षा मॉडल के एक प्रगतिशील उदाहरण के रूप में भी प्रस्तुत करेगी।




