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मेयर और नगर आयुक्त की आपस में नहीं बन रही, सरकारी वाहन छोड़ निजी वाहन से आवाजाही

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 30 मार्च
  • 2 मिनट पठन
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ऋषिकेश नगर निगम में इन दिनों अन्दरूनी विवाद गहरा गया है, जहाँ मेयर शंभू पासवान और नगर आयुक्त शैलेंद्र नेगी के बीच मतभेद चरम पर हैं। दोनों के बीच हाल ही में एक तीखी बहस भी हुई है, जो अब चर्चा का विषय बन गई है। मेयर पासवान और नगर आयुक्त के बीच फोन पर हुई नोकझोंक की घटना ने स्थिति को और भी तनावपूर्ण बना दिया है।


बीते बृहस्पतिवार को मेयर शंभू पासवान ने निगम के अधिकारियों की बैठक बुलाई थी। निर्धारित समय पर सभी अधिकारी बैठक में पहुंचे, लेकिन नगर आयुक्त शैलेंद्र नेगी बैठक में शामिल नहीं हुए। जब मेयर ने उन्हें फोन किया, तो नगर आयुक्त ने वीडियो कांफ्रेंसिंग और अन्य कार्यों में व्यस्त होने की बात कहकर बैठक में आने से इंकार कर दिया। एक घंटे तक इंतजार करने के बाद, मेयर ने फिर फोन किया, जिस पर दोनों के बीच तीखी बहस हो गई। इस बहस की पुष्टि स्वयं मेयर शंभू पासवान ने की है।


मेयर ने बताया कि बैठक का उद्देश्य चारधाम यात्रा की तैयारियों को लेकर अधिकारियों से सुझाव और व्यवस्थाओं पर चर्चा करना था। खासकर, आस्था पथ पर स्ट्रीट लाइट और सफाई संबंधी शिकायतें मिल रही थीं। लेकिन नगर आयुक्त के अनुपस्थित रहने से बैठक अधूरी रह गई। मेयर ने बताया कि इस मुद्दे को लेकर बहस इतनी बढ़ी कि फोन पर झगड़ा मर्यादा पार कर गया, जिसके बाद फोन काट दिया गया।


इसके अलावा, मेयर ने एक और गंभीर कदम उठाते हुए अपना सरकारी वाहन छोड़ दिया है। मेयर का कहना है कि उनके सरकारी वाहन में जीपीएस लगा दिया गया है, जो उनकी सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है। उन्होंने नगर आयुक्त से इस पर आपत्ति जताई, लेकिन जीपीएस नहीं हटाया गया। इसके बाद, मेयर ने फैसला किया कि वह अब सरकारी वाहन का इस्तेमाल नहीं करेंगे और निजी वाहन से ही निगम कार्यालय आकर कार्य करेंगे। इस विवाद के बीच नगर आयुक्त शैलेंद्र नेगी से इस मामले पर प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की गई, लेकिन उनका फोन नहीं उठाया गया।


नगर निगम का नया बोर्ड अभी दो माह पहले ही गठित हुआ था, लेकिन शुरुआत से ही मेयर और नगर आयुक्त के बीच तल्खी की स्थिति बन गई है। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि आगामी पांच वर्षों में नगर निगम का कार्य संचालन कैसे होगा और क्या यह विवाद आगे और बढ़ेगा।

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