top of page

उत्तराखंड के निकाय चुनाव: भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर, प्रतिष्ठा दांव पर

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 23 जन॰
  • 2 मिनट पठन


ree

उत्तराखंड के 11 नगर निगमों समेत 100 से अधिक निकायों में आज, बृहस्पतिवार को मतदान हो रहा है, और इस बार के निकाय चुनावों में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। इस चुनावी महासंग्राम में सत्तारूढ़ भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर है, वहीं कांग्रेस, जो सत्तारोधी रुझान का लाभ उठाने की कोशिश में है, नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों में उलटफेर की उम्मीद लगाए बैठी है।



भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर

---------------------------------

भाजपा के लिए इन चुनावों का महत्व खास है, क्योंकि राज्य में अभी पार्टी सत्ता में है और उसकी प्रतिष्ठा सीधे तौर पर इन चुनावों से जुड़ी हुई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रचार के दौरान बार-बार "ट्रिपल इंजन की सरकार" बनाने की अपील की और पार्टी ने नगर निगमों में जीत का शतक बनाने का दावा किया है। पिछली बार 2018 में भाजपा ने 5 नगर निगमों और कुल 43 निकायों में जीत हासिल की थी। इस बार पार्टी ने और भी बड़ी जीत का लक्ष्य तय किया है।


राज्य में नगर निगमों की संख्या अब 11 हो गई है, जिनमें से श्रीनगर, अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ में पहली बार नगर निगम चुनाव हो रहे हैं। इन तीन नगर निगमों को पहले नगर पालिका का दर्जा प्राप्त था, और अब इनका चुनावी परिणाम यह तय करेगा कि भाजपा का यह दांव कितना सफल रहा। इसके अलावा, भाजपा ने पिछले चुनाव में जो मेयर टिकट बदले थे, अब उनका प्रयोग कैसा काम करता है, यह देखना दिलचस्प होगा।


कांग्रेस का मुकाबला

--------------------------------

वहीं, कांग्रेस पार्टी इन चुनावों को अपने लिए एक नई शुरुआत मानकर मैदान में उतरी है। पार्टी ने 2018 में कोटद्वार और हरिद्वार नगर निगमों में मेयर पद जीते थे, और अब उसे उम्मीद है कि वह नगर निगमों और नगर पालिकाओं में भाजपा के किले को ध्वस्त कर सकती है। कांग्रेस ने प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंकी है, और पार्टी के दिग्गज नेताओं ने चुनाव प्रचार में सक्रिय रूप से भाग लिया है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य समेत अन्य वरिष्ठ नेता चुनाव प्रचार में लगे रहे हैं।


निर्दलीयों का दबाव

----------------------------

इन सब के बीच, निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी अपनी स्थिति मजबूत की है। भाजपा और कांग्रेस के भीतर उभरे असंतोष और बगावत का लाभ उठाने के लिए निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। वे दोनों प्रमुख पार्टियों के लिए चुनौती बन सकते हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जहां पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच असंतोष है।



विकास और विरासत का मुद्दा

------------------------------------------

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने दावा किया है कि पार्टी जनता के बीच विकास और विरासत के ऐतिहासिक कार्यों को लेकर गई है, और यही कारण है कि सभी नगर निगमों में भाजपा का कमल खिलने जा रहा है। वहीं कांग्रेस भी इस चुनाव में भाजपा सरकार के खिलाफ जनता की नाराजगी को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है।


अब, 27 जनवरी को वोटों की गिनती के बाद यह स्पष्ट होगा कि उत्तराखंड के नगर निगमों और अन्य निकायों में भाजपा की सत्ता बनी रहती है या कांग्रेस ने उभरते हुए असंतोष और तुष्टीकरण की राजनीति का फायदा उठाकर भाजपा को सत्ता से बेदखल कर दिया है।

bottom of page