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Rishikesh: गंगा आरती में पहुंचे राज्यपाल, कहा- योग, तप और संतों की भूमि है उत्तराखंड

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 16 मार्च
  • 3 मिनट पठन


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ऋषिकेश: परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में आयोजित सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव का समापन गंगा घाट पर सांध्यकालीन गंगा आरती के साथ हुआ। इस विशेष अवसर पर उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (से.नि.) गुरमीत सिंह, राज्य के कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत, हंस फाउंडेशन के संस्थापक भोले महाराज, और माता मंगला सहित कई प्रतिष्ठित हस्तियों ने भाग लिया। इस आयोजन ने योग, आध्यात्मिकता और शांति के संदेश को वैश्विक स्तर पर फैलाने का उद्देश्य किया।


राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (से.नि.) गुरमीत सिंह का प्रेरणादायक संदेश

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राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (से.नि.) गुरमीत सिंह ने इस अवसर पर योग की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि योग न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है, बल्कि यह मानसिक और आत्मिक विकास में भी सहायक है। उन्होंने यह भी कहा कि योग हमें शांति, प्रेम और एकता का संदेश देता है और जो लोग परमार्थ निकेतन आए हैं, वे योग के ब्रांड एंबेसडर हैं। इस दिव्य भूमि से आकर, उन्हें योग की कला को अपने साथ ले जाना चाहिए और पूरी दुनिया में इसका प्रचार करना चाहिए।


उन्होंने उत्तराखंड की विशेषता पर भी प्रकाश डाला, इसे तप भूमि, योग की भूमि और संतों की भूमि बताते हुए उन्होंने सभी से वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश लेकर जाने की अपील की। इसके साथ ही, उन्होंने भारतीय संस्कृति के 'अतिथि देवो भव' सिद्धांत की भी सुंदर व्याख्या की।



स्वामी चिदानंद सरस्वती और कैलाश खेर का प्रेरणादायक संदेश

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स्वामी चिदानंद सरस्वती ने योग को मानवता के प्रति समर्पण और एकता का प्रतीक बताया। उनका कहना था कि योग पूरे विश्व को एकता के सूत्र में बांधता है, और यह हमें खुद को पहचानने और मानवता की सेवा में समर्पित करने का मार्ग दिखाता है।


पद्मश्री कैलाश खेर ने अपने संबोधन में कहा कि यह समय परिवर्तन का है, और हम सभी को अपने लक्ष्य के प्रति पूरी ईमानदारी से जीने की आवश्यकता है। उनका मानना था कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए न केवल ज्ञान बल्कि ध्यान भी आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि हम सभी किसी खास उद्देश्य के लिए इस महोत्सव में शामिल हुए हैं।


सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और गंगा अवॉर्ड

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समापन समारोह में पद्मश्री कैलाश खेर और पद्मश्री शिवमणि ने अपनी अद्भुत प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके संगीत ने श्रोताओं के दिलों को छू लिया और समापन समारोह को और भी विशेष बना दिया। इसके साथ ही, आश्रम ने राज्यपाल, माता मंगला और भोले महाराज को उनके अतुलनीय योगदान के लिए गंगा अवॉर्ड से सम्मानित किया।


गंगा घाट पर योग, आयुर्वेद और आध्यात्मिकता का संगम

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अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के अंतिम दिन, परमार्थ निकेतन में योग के अभ्यासियों ने योग, आयुर्वेद और आध्यात्मिकता का अनूठा संगम अनुभव किया। गंगा घाट पर योग, आयुर्वेद और आध्यात्मिक विचारों का अद्भुत संगम हुआ, जो उपस्थित लोगों के जीवन में शांति और ऊर्जा का संचार करने वाला था।


दिन की शुरुआत सूर्योदय के समय मंत्रोच्चारण से हुई और इसके बाद विश्व शांति यज्ञ का आयोजन किया गया। इसके बाद विशेष योग और ध्यान सत्र में आत्मा और हृदय के बीच योग की शक्ति, तनाव मुक्त जीवन के लिए आयुर्वेद, आहार-शक्ति और स्वास्थ्य के लिए योग, साउंड बाथ के बाद आध्यात्मिक सत्र श्रृंखला का आयोजन किया गया। प्रेम योग सत्र में स्वामी चिदानंद सरस्वती, प्रेम बाबा और साध्वी भगवती सरस्वती ने प्रेम, करुणा और शांति के महत्व पर गहन चर्चा की, और यह बताया कि इन गुणों को अपने जीवन में कैसे आत्मसात किया जाए।


उपस्थित विशेषज्ञों का योगदान

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प्रेम बाबा, डॉ. निशि भट्ट, योगाचार्य मोहन भंडारी, योगाचार्य दासा दास सहित अन्य कई विद्वानों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया और अपने ज्ञान और अनुभव साझा किए। कैलाश खेर का संगीत न केवल शारीरिक रूप से, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक रूप से भी उपस्थित सभी व्यक्तियों को छूने में सफल रहा।


समापन

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इस कार्यक्रम के समापन ने योग और आध्यात्मिकता के महत्व को स्पष्ट करते हुए इसे हर व्यक्ति के जीवन में शांति, प्रेम और एकता लाने का एक शक्तिशाली माध्यम बताया। इस अद्वितीय महोत्सव ने न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया को एकता और शांति का संदेश दिया।

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