Uttarakhand: योग केंद्रों का पंजीकरण अनिवार्य
- ANH News
- 9 सित॰
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अपडेट करने की तारीख: 10 सित॰

उत्तराखंड में योग और आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाते हुए सभी संचालित और नव स्थापित योग केंद्रों के पंजीकरण को अनिवार्य कर दिया है। इसके तहत यह स्पष्ट किया गया है कि जो योग केंद्र पंजीकरण नहीं कराएंगे, उन्हें राज्य सरकार की "योग नीति" के अंतर्गत मिलने वाले किसी भी प्रकार के वित्तीय लाभ या सब्सिडी का लाभ नहीं दिया जाएगा।
आयुष विभाग ने इस दिशा में पहल करते हुए ‘अपणि सरकार पोर्टल’ पर योग केंद्रों के पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। खास बात यह है कि पंजीकरण पूरी तरह निशुल्क होगा, जिससे अधिक से अधिक योग केंद्र इस प्रक्रिया से जुड़ सकें।
प्रदेश सरकार ने जून 2025 में राज्य में योग, ध्यान और आध्यात्म को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से "योग नीति" को मंजूरी दी थी। इस नीति के तहत न केवल योग केंद्रों के विकास को बढ़ावा दिया जाएगा, बल्कि राज्य में निवेश को आकर्षित करने की दिशा में भी यह नीति एक आधारशिला साबित होगी। नीति के अनुसार पर्वतीय क्षेत्रों में योग एवं ध्यान केंद्रों की स्थापना पर 50 प्रतिशत या अधिकतम 20 लाख रुपये तक की सब्सिडी दी जाएगी, जबकि मैदानी क्षेत्रों में यह सब्सिडी 25 प्रतिशत या अधिकतम 10 लाख रुपये निर्धारित की गई है।
आयुष सचिव दीपेंद्र चौधरी ने योग केंद्रों के पंजीकरण के लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि योग केंद्रों की स्थापना या संचालन के लिए यदि वे पंजीकृत नहीं हैं, तो सरकार की ओर से किसी प्रकार की वित्तीय सहायता उपलब्ध नहीं कराई जाएगी। यह प्रावधान पारदर्शिता, योग सेवाओं की गुणवत्ता और नीति के क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए किया गया है।
आगामी समय में योग केंद्रों की गुणवत्ता और सेवाओं के आधार पर उन्हें "स्टार रेटिंग" भी प्रदान की जाएगी। यह रेटिंग न केवल योग केंद्रों की प्रतिष्ठा बढ़ाएगी, बल्कि वेलनेस पर्यटन को भी नया आयाम देगी। पर्यटक, विशेषकर योग एवं वेलनेस के लिए राज्य में आने वाले लोग, इस रेटिंग के माध्यम से अपनी पसंद के योग केंद्रों का चयन कर सकेंगे। इससे राज्य के योग केंद्रों को व्यावसायिक रूप से भी लाभ पहुंचेगा और पर्यटन क्षेत्र को नई गति मिलेगी।
इस पूरी प्रक्रिया के ज़रिए राज्य सरकार योग को न केवल एक स्वास्थ्य परंपरा के रूप में, बल्कि एक समृद्ध आर्थिक और पर्यटन संसाधन के रूप में भी स्थापित करने की दिशा में गंभीर प्रयास कर रही है।




