ऋषिकेश केवल चारधाम यात्रा का प्रवेशद्वार ही नहीं बल्कि योग-आध्यात्म की भी है अंतरराष्ट्रीय राजधानी
- ANH News
- 9 मार्च
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Rishikesh: पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने शुक्रवार को मुनि की रेती स्थित जीएमवीएन गंगा रिजॉर्ट में आयोजित सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के समापन समारोह को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड केवल गंगा के पवित्र जल का उद्गम स्थल नहीं, बल्कि योग का भी जन्मस्थान है। योग और गंगा भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर के प्रतीक हैं, जो दुनियाभर में भारतीय सभ्यता की पहचान बने हुए हैं।
मंत्री ने योगाचार्यों को सम्मानित करते हुए कहा कि ऋषिकेश केवल चारधाम यात्रा का प्रवेश द्वार ही नहीं, बल्कि योग और आध्यात्मिकता की अंतरराष्ट्रीय राजधानी भी है। इस देवभूमि में ऋषि-मुनियों ने कठिन साधना के माध्यम से स्वास्थ्य रक्षण के लिए योग और प्राणायाम के ऐसे अद्भुत सूत्र खोजे, जो आज भी मानवता के लिए वरदान साबित हो रहे हैं।
दुनियाभर से आए योग साधक और साधिकाएं
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मंत्री ने बताया कि हर साल दुनियाभर के संत, महात्मा और साधक यहां की आध्यात्मिक शांति की ओर आकर्षित होते हुए हजारों की संख्या में देवभूमि पहुंचते हैं। इस साल आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में 38 विदेशी समेत 410 प्रतिभागियों ने नियमित रूप से योगाभ्यास किया। देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार के साधकों ने विभिन्न योग मुद्राओं का शानदार प्रदर्शन किया। इसके साथ ही, सांस्कृतिक कार्यक्रम में कलाकारों ने कत्थक नृत्य की प्रस्तुति देकर दर्शकों का मनोरंजन भी किया। इस अवसर पर पूर्व पर्यटन मंत्री अमृत सिंह, योगाचार्य प्रेमबाबा, योगिनी उषा माता, योगाचार्य सिद्धार्थ, विशाल मिश्रा, विप्रा त्रिवेदी, एसपीएस रावत और विश्वनाथ बेंजवाल समेत कई अन्य प्रमुख हस्तियां उपस्थित थीं।
पर्यटन के क्षेत्र में नई संभावनाओं की ओर कदम
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पर्यटन मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि उत्तराखंड में पर्यटन के क्षेत्र में नई संभावनाओं की खोज की जा रही है। उन्होंने कहा कि सीमांत गांव जादुंग को पुनः होम स्टे के रूप में विकसित किया जा रहा है और गरतांग वैली के पुराने मार्ग को फिर से खोला जा रहा है। साथ ही, टिम्मरसैण महादेव, जहां स्वयं-भू शिवलिंग बर्फ से बना हुआ है, को पर्यटन के दृष्टिकोण से और विकसित किया जा रहा है। इसके अलावा, लिपुलेख से कैलाश मानसरोवर के दर्शन अब भारत की धरती से किए जा सकेंगे। मंत्री ने यह भी बताया कि श्री केदारनाथ और हेमकुंड साहिब की यात्रा को सुगम बनाने के लिए इन स्थानों को रोपवे से जोड़ा जाएगा, जिसकी योजना जल्द ही धरातल पर दिखाई देगी।
योगाचार्यों को सम्मानित किया
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समारोह में मंत्री ने कई प्रमुख योगाचार्यों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों को सम्मानित किया। योगाचार्य भाग्यश्री जोशी, डॉ. सुरेंद्र रयाल, कपिल संघी, स्वामी बोद्धी वर्धमान, योगी महेश, डॉ. लक्ष्मीनारायण जोशी, स्वामी जितानंद, योगी कमल सिंह, डॉ. विपिन जोशी, डॉ. एसके पांडे, डॉ. नवदीप जोशी, योगाचार्य राजीव तिवारी, महंत रवि प्रपन्नाचार्य, चंद्रवीर पोखरियाल, योगी देवेंद्र, डॉ. अनिल थपलियाल और आयुष विभाग से डॉ. राकेश प्रसाद सेमवाल, मनोज बिष्ट, हेल्थ एंड मेडिकल सर्विस से डॉ. वंदना कण्डवाल को स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया।
इस कार्यक्रम ने योग और आध्यात्मिकता की महत्ता को दुनिया भर में एक नई पहचान दी और उत्तराखंड को योग की वैश्विक राजधानी के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।




