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बिना ठोस वजह मरीज रेफर किए तो जिम्मेदार अफसरों पर गिरेगी गाज, देनी पड़ेगी जवाबदेही

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 22 जुल॰
  • 2 मिनट पठन
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सरकारी अस्पतालों में अब मरीजों को रेफर करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग एक मानक प्रचालन प्रक्रिया (Standard Operating Procedure - SOP) तैयार करने जा रहा है। अब किसी भी मरीज को रेफर करने से पहले मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMS) और मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) के हस्ताक्षर और स्पष्ट कारण दर्ज करना अनिवार्य होगा। यह निर्णय राज्य के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर लिया गया है।


बैठक में लिए गए अहम निर्णय

सोमवार को सचिवालय में स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने प्रदेश के सभी CMO और CMS के साथ महत्वपूर्ण बैठक की। बैठक का उद्देश्य सरकारी अस्पतालों में मरीजों की देखभाल व्यवस्था को पारदर्शी और उत्तरदायी बनाना था।


स्वास्थ्य सचिव ने स्पष्ट किया कि अब से बिना ठोस चिकित्सकीय कारण के किसी भी मरीज को अन्यत्र रेफर करना गंभीर लापरवाही मानी जाएगी, और संबंधित अधिकारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।


रेफर प्रक्रिया पर सख्ती

डॉ. कुमार ने बताया कि कई बार मरीजों को ऐसे ही रेफर कर दिया जाता है, जबकि स्थानीय स्तर पर उनका इलाज संभव होता है। इससे मरीजों की जान जोखिम में पड़ जाती है। अब हर रेफर केस में CMS को अपने हस्ताक्षर सहित रेफर का कारण बताना होगा। रेफर की पूरी प्रक्रिया दस्तावेजीकृत होगी और उसकी निगरानी की जाएगी।


PG डॉक्टरों को कार्यभार न संभालने पर नोटिस, अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी

बैठक में यह भी सामने आया कि पीजी की पढ़ाई पूरी कर चुके कई डॉक्टरों ने 13 जून को हुए तबादलों के बावजूद अब तक अपनी नियुक्ति स्थानों पर कार्यभार नहीं ग्रहण किया है। ऐसे सभी डॉक्टरों को जल्द ही कारण बताओ नोटिस (Show Cause Notice) जारी किया जाएगा।


स्वास्थ्य सचिव ने चेतावनी दी कि सेवा शर्तों की अनदेखी किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं की जाएगी और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई निश्चित रूप से की जाएगी।


108 एंबुलेंस सेवा न होने पर भी मरीज को मिलेगा इलाज का विकल्प

बैठक में यह भी निर्देश दिए गए कि अगर किसी आपात स्थिति में 108 एंबुलेंस सेवा या अन्य विभागीय एंबुलेंस उपलब्ध नहीं हो पाती है, तो स्थानीय अस्पतालों को तत्काल वैकल्पिक व्यवस्था करनी होगी। इसके लिए पहले से स्थानीय एंबुलेंस नेटवर्क और संसाधनों की सूची तैयार रखने के निर्देश दिए गए हैं।


इस व्यवस्था की सीधी जिम्मेदारी CMO और CMS पर होगी।


मृतक मरीजों के परिजनों पर नहीं पड़ेगा शव ले जाने का बोझ

अक्सर ऐसा देखा गया है कि अस्पताल में किसी मरीज की मृत्यु होने के बाद शव वाहन की अनुपलब्धता के कारण परिजनों को शव ले जाने में कठिनाई होती है। अब ऐसी स्थिति में अस्पताल प्रशासन या CMO की यह जिम्मेदारी होगी कि वे स्वयं संसाधन जुटाकर शव को सम्मानपूर्वक परिजनों के घर तक पहुंचाएं।


यह निर्णय मरीजों और उनके परिजनों की मानवीय गरिमा और संवेदनाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।


उपस्थित वरिष्ठ अधिकारी

इस महत्वपूर्ण बैठक में महानिदेशक डॉ. सुनीता टम्टा, निदेशक डॉ. शिखा जंगपांगी, निदेशक डॉ. सी.पी. त्रिपाठी, उप सचिव श्री अनूप मिश्रा सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

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