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AIIMS ने योग और आयुर्वेद से किया ऑस्टियोआर्थराइटिस का सफल इलाज

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 19 जुल॰
  • 2 मिनट पठन
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ऋषिकेश। घुटनों से जुड़ी ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी जटिल बीमारी के इलाज में अब योग और आयुर्वेद पर आधारित एकीकृत चिकित्सा पद्धति से आशाजनक परिणाम मिल रहे हैं। एम्स ऋषिकेश के चिकित्सकों द्वारा किए गए शोध में पाया गया है कि इस उपचार प्रणाली से ऑपरेशन की नौबत आने से पहले ही रोग में सुधार संभव है। शोध में शामिल मरीजों में तीन माह के भीतर 80 प्रतिशत तक राहत देखने को मिली है।


तीन विभागों का संयुक्त प्रयास, 30 मरीजों पर तीन महीने का गहन अध्ययन

एम्स के जेरियाट्रिक मेडिसिन विभाग द्वारा पीएमआर (फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन) और आयुष विभाग के सहयोग से यह शोध किया गया। अध्ययन में 30 ऐसे बुजुर्ग मरीजों को शामिल किया गया, जो घुटनों के ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित थे और जिन्हें चलने-फिरने में गंभीर कठिनाइयाँ हो रही थीं।


शोध की अवधि तीन महीने रही, जिसमें इन मरीजों को विशेष रूप से तैयार किया गया योग मॉड्यूल और आयुर्वेदिक दवाओं के संयोजन से उपचारित किया गया।


शोध के सकारात्मक नतीजे, अब अधिक मरीजों को शामिल किया जाएगा

शोधकर्ताओं के अनुसार, उपचार के तीन माह बाद लगभग सभी मरीजों में दर्द में कमी, चाल-ढाल में सुधार, और जीवन की गुणवत्ता में स्पष्ट अंतर देखा गया। अब इन मरीजों का एक वर्ष तक फॉलोअप अध्ययन किया जाएगा, ताकि दीर्घकालिक प्रभावों का मूल्यांकन किया जा सके। साथ ही इस शोध में अन्य नए मरीजों को भी शामिल करने की योजना है।


एकीकृत चिकित्सा पद्धति से हो सकता है ऑपरेशन से बचाव

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियाँ — योग और आयुर्वेद, यदि आधुनिक वैज्ञानिक ढांचे के साथ संयोजित की जाएं, तो ये घुटनों के पुराने रोगों में प्रभावी और सस्टेनेबल समाधान प्रदान कर सकती हैं।


एम्स की टीम द्वारा तैयार किया गया योग मॉड्यूल, रोगियों के लिए न केवल शारीरिक राहत देने वाला है, बल्कि मानसिक रूप से भी उन्हें सशक्त बनाता है।


प्रो. मीनाक्षी धर ने बताया — "मानव कल्याण की दिशा में अभिनव प्रयास"

जेरियाट्रिक मेडिसिन विभाग की विभागाध्यक्ष और शोध की निदेशक प्रो. मीनाक्षी धर ने कहा:


"यह शोध पूर्णतः मानव कल्याण की भावना से प्रेरित है। हमारा उद्देश्य यह देखना है कि योग और आयुर्वेद, आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के साथ मिलकर बुजुर्गों के जीवन में स्थायी और सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं या नहीं। हमने पाया कि यह संयुक्त पद्धति रोग के लक्षणों को कम करने के साथ जीवन की गुणवत्ता में भी उल्लेखनीय सुधार करती है।"

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