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आंसुओं से बना हौसला और हौसले से बनी जीत... बिहार के लाल आकाश दीप के संघर्ष की कहानी

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 7 जुल॰
  • 3 मिनट पठन
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Cricket: जब जसप्रीत बुमराह जैसे विश्वस्तरीय गेंदबाज की जगह किसी युवा को खेलने का मौका दिया जाए, तो उम्मीदों और दबाव का स्तर अलग ही होता है। लेकिन एजबेस्टन के मैदान पर, भारत को एक नया हीरो मिला — आकाश दीप। एक ऐसा नाम, जो अब सिर्फ क्रिकेट स्कोरकार्ड में नहीं, बल्कि करोड़ों दिलों में दर्ज हो चुका है।


लेकिन इस सफलता के पीछे छुपी है संघर्षों, त्याग, और टूटे सपनों की एक लंबी दास्तान, जिसे जानकर हर कोई कहेगा – यह खिलाड़ी सिर्फ तेज गेंदबाज नहीं, जज़्बे और जुनून का दूसरा नाम है।


एजबेस्टन में लिखा इतिहास: 10 विकेट और जीत का हीरो

इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज़ के दूसरे मुकाबले में आकाश दीप ने जबरदस्त गेंदबाज़ी करते हुए मैच में कुल 10 विकेट झटके — पहली पारी में 4 और दूसरी में 6। बुमराह की गैरहाज़िरी में टीम इंडिया को जिस गेंदबाजी आक्रमण की जरूरत थी, वो आकाश और सिराज ने मिलकर पूरी की।

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मैच के बाद फैंस ने उनसे ऑटोग्राफ लेने की होड़ लगा दी — और तब यह साफ हो गया कि एक नया सितारा भारतीय क्रिकेट में उग चुका है।


संघर्षों से बना सितारा: क्रिकेट तक का सफर आसान नहीं था

बिहार के सासाराम से ताल्लुक रखने वाले आकाश दीप का सफर आसान नहीं रहा। कभी पिता और भाई की मौत, कभी आर्थिक तंगी, तो कभी स्वास्थ्य समस्याओं ने उन्हें बार-बार तोड़ने की कोशिश की।

उनके पिता चाहते थे कि बेटा सरकारी नौकरी करे, इसलिए आकाश ने कई परीक्षाएं भी दीं। लेकिन मन पढ़ाई में नहीं, गेंद और बल्ले में रमता था।

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बचपन में लोगों ने ताने दिए, मोहल्ले के लोग अपने बच्चों को उनसे दूर रहने की सलाह देते थे। दोस्त तक आलोचना करने लगे थे। लेकिन आकाश ने नकारात्मकता को अपनी प्रेरणा में बदल दिया।


2015: सबसे अंधेरा साल

आकाश के जीवन का सबसे दर्दनाक साल रहा 2015, जब सिर्फ तीन महीनों में उन्होंने अपने पिता और बड़े भाई को खो दिया।

घर की माली हालत बदतर हो गई। मां की देखभाल करनी थी, जिम्मेदारियाँ बढ़ गईं। मजबूरी में क्रिकेट को तीन साल तक छोड़ना पड़ा।

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दुर्गापुर से कोलकाता तक – एक नए सफर की शुरुआत

पर किस्मत ने हार नहीं मानी। चाचा और दोस्तों की मदद से आकाश दुर्गापुर पहुंचे, जहाँ क्लब क्रिकेट और टेनिस बॉल टूर्नामेंट्स से थोड़ी बहुत कमाई होती थी।

बिहार क्रिकेट संघ पर बैन की वजह से उन्हें बंगाल का रुख करना पड़ा। कोलकाता में भाई के साथ एक छोटे से कमरे में रहकर, उन्होंने फिर से अभ्यास शुरू किया।


2019 में बंगाल की टीम से प्रथम श्रेणी क्रिकेट में डेब्यू किया और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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“यह प्रदर्शन मेरी बहन के नाम”: दिल को छू लेने वाला खुलासा

मैच के बाद जब सब उनकी गेंदबाज़ी की तारीफ कर रहे थे, तब आकाश दीप ने एक भावुक सच साझा किया। उन्होंने कहा:


“मेरी बहन कैंसर से जूझ रही है। हर बार जब गेंद हाथ में लेता था, तो उसकी तस्वीर सामने आ जाती थी। यह प्रदर्शन मेरी बहन को समर्पित है। मैं उसे बताना चाहता हूं – बहन, हम सब तुम्हारे साथ हैं।”


उनकी ये बात सुनकर फैंस, साथी खिलाड़ी और क्रिकेट प्रेमी भावुक हो गए।


आंकड़ों में आकाश की चमक

प्रथम श्रेणी क्रिकेट: 39 मैच, 138 विकेट


लिस्ट A क्रिकेट: 28 मैच, 42 विकेट


T20 क्रिकेट: 48 मैच, 52 विकेट


आईपीएल: RCB और LSG के लिए खेल चुके हैं, 10 मैचों में 14 विकेट


नीचले क्रम में आकाश बल्लेबाज़ी भी कर सकते हैं, और बड़े-बड़े शॉट लगाने में सक्षम हैं।


जो हौसला नहीं हारता, वही इतिहास रचता है

आकाश दीप की कहानी किसी फिल्म की स्क्रिप्ट जैसी लगती है — दर्द, संघर्ष, असफलताएं, लेकिन अंत में एक जीत, जो लाखों युवाओं को प्रेरणा देती है।


उन्होंने साबित किया कि हालात चाहे जितने भी कठिन हों, अगर हौसला जिंदा है, तो मंज़िल जरूर मिलती है। आज जब वह टीम इंडिया के लिए खेलते हैं, तो सासाराम की गलियों, उस छोटे से कमरे, और मां की आंखों के आंसू भी उनके साथ मैदान पर होते हैं।

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