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भारत की पहली ICC ट्रॉफी जीताने में इन 5 शेरनियों का योगदान

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 2 दिन पहले
  • 3 मिनट पठन
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क्रिकेट: महिला वनडे विश्व कप 2025 के फाइनल मुकाबले में भारतीय टीम ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से हराकर पहली बार विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। यह भारत के लिए महिला क्रिकेट में अब तक का सबसे बड़ा मील का पत्थर है।


टीम इंडिया ने 2005 में पहली बार महिला विश्व कप के फाइनल में प्रवेश किया था, लेकिन खिताब जीतने का सपना अधूरा रह गया। 2017 में भी टीम फाइनल तक पहुँची, लेकिन ट्रॉफी जीत नहीं पाई। अब 2025 में शानदार और संतुलित प्रदर्शन के दम पर भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने यह सूखा खत्म कर दिया और इतिहास रच दिया।


महिला विश्व कप के 25 साल के इतिहास में यह पहला मौका है जब नया चैंपियन उभरा है। यह जीत न केवल भारतीय महिला क्रिकेट की उपलब्धियों का प्रतीक है, बल्कि देश में खेल के प्रति बढ़ते उत्साह और महिला खिलाड़ियों की क्षमता का भी प्रमाण है।


दीप्ति शर्मा की ऑलराउंड चमक

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भारतीय महिला क्रिकेट टीम की हरफनमौला खिलाड़ी दीप्ति शर्मा ने महिला वनडे विश्व कप 2025 में अपने दमदार प्रदर्शन से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। फाइनल मुकाबले में भी उन्होंने बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में अद्भुत प्रदर्शन किया। उन्होंने 58 गेंद में 59 रन बनाकर भारत को सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाया। इसके बाद गेंदबाजी में 9 ओवर में केवल 39 रन देकर 5 विकेट चटकाए। इस शानदार प्रदर्शन के लिए दीप्ति शर्मा को प्लेयर ऑफ द सीरीज का खिताब भी मिला। उन्होंने न सिर्फ फाइनल में टीम की जीत सुनिश्चित की, बल्कि पूरे टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाली गेंदबाज के रूप में अपनी छाप छोड़ी।


शेफाली वर्मा का धमाकेदार प्रदर्शन

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टूर्नामेंट में केवल दो ही मैच खेलने वाली शेफाली वर्मा ने फाइनल में अपने करियर की सबसे बेहतरीन पारी खेली। उन्होंने 78 गेंद में 87 रन बनाकर भारत के लिए सबसे ज्यादा योगदान दिया। गेंदबाजी में भी उन्होंने अफ्रीकी बल्लेबाजों को चौंकाया और 7 ओवर में 36 रन देकर दो अहम विकेट झटके। शेफाली की आक्रामक बल्लेबाजी और प्रभावशाली गेंदबाजी ने टीम को बड़े स्कोर तक पहुंचाने में निर्णायक भूमिका निभाई।


ऋचा घोष की निडर फिनिशिंग

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भारतीय टीम की फिनिशर ऋचा घोष ने सेमीफाइनल और फाइनल दोनों में अपने प्रदर्शन से टीम की जीत की नींव मजबूत की। फाइनल में उन्होंने अंतिम ओवरों में तेजी से रन बटोरे और भारत को 298 के चुनौतीपूर्ण स्कोर तक पहुंचाया। उन्होंने 24 गेंद में 34 रन बनाए। ऋचा ने पूरे टूर्नामेंट में 8 मैचों में 235 रन बनाए और उनका बेस्ट स्कोर 94 रहा। सेमीफाइनल में भी उन्होंने 26 रन की अहम पारी खेलकर टीम को फाइनल में पहुंचाने में मदद की।


स्मृति मंधाना की सलामी में दबदबा

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सलामी बल्लेबाज स्मृति मंधाना ने शेफाली वर्मा के साथ मिलकर भारत को शानदार शुरुआत दिलाई। दोनों ने पहले विकेट के लिए 106 गेंद में 104 रन की साझेदारी निभाई। मंधाना ने 53 गेंद में 45 रन बनाए। पूरे टूर्नामेंट में स्मृति मंधाना ने 9 मैचों में 434 रन बनाए और टूर्नामेंट की दूसरी सबसे ज्यादा रन बनाने वाली बल्लेबाज रहीं। उन्होंने एक शतक और दो अर्धशतक लगाए, जिससे टीम को हर मुकाबले में मजबूती मिली।


अमनजोत कौर का यादगार कैच

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फाइनल में अमनजोत कौर ने अपनी फुर्ती और बेहतरीन हाथों की पकड़ से मैच का रुख पलट दिया। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका की कप्तान लौरा वोल्वार्ड्ट का शानदार कैच पकड़ा, जो 98 गेंद में 101 रन की पारी खेल रही थीं। यह कैच न केवल शानदार था, बल्कि भारत को जीत की बेहद करीब पहुंचा गया। अमनजोत के इस प्रयास ने टीम की जीत में निर्णायक भूमिका निभाई और उन्हें टूर्नामेंट का एक यादगार पल दिलाया।

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