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Akshaya Tritiya 2025: अक्षय तृतीया की आशीर्वाद से भरपूर पूजा विधि, मुहूर्त और भोग लगाने का सही तरीका

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 30 अप्रैल
  • 2 मिनट पठन

हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया को अत्यंत शुभ और पुण्यदायक पर्व माना जाता है। यह पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है और इसे मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु को समर्पित किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा और भक्ति से की गई पूजा, दान व सत्कर्मों का फल अक्षय (जिसका कभी क्षय न हो) होता है।


अक्षय तृतीया 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त

इस वर्ष अक्षय तृतीया का पर्व 30 अप्रैल 2025, बुधवार को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार:

-तृतीया तिथि प्रारंभ: 29 अप्रैल 2025, रात 11:47 बजे

-तृतीया तिथि समाप्त: 30 अप्रैल 2025, रात 09:37 बजे

उदय तिथि के अनुसार पर्व 30 अप्रैल को मनाया जाएगा, जो ज्योतिषीय दृष्टि से श्रेष्ठ और शुभ माना जाता है।


पूजा का शुभ मुहूर्त:

-30 अप्रैल को प्रातः 05:40 बजे से दोपहर 12:18 बजे तक।

इस अवधि में पूजा, जप, दान और शुभ क्रियाएं विशेष फलदायी मानी जाती हैं।


अक्षय तृतीया की पूजा विधि (Puja Vidhi)

प्रातः स्नान कर स्वच्छ लाल या पीले वस्त्र धारण करें।

1. घर के मंदिर या पूजास्थल को स्वच्छ करके चौकी पर लाल/पीले कपड़े का आसन बिछाएं।

2. भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

3. गंगाजल से शुद्धिकरण करें और रोली, चंदन, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप आदि से पूजा करें।

4. विष्णु सहस्रनाम या लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करें।

5. खीर, सत्तू, फल, मिठाई आदि से भोग अर्पित करें।

6. अंत में आरती करें और सभी को प्रसाद वितरित करें।


टिप: इस दिन व्रत और पूजन के साथ सच्चे मन से दान करना बेहद पुण्यकारी माना गया है।


भोग में क्या चढ़ाएं? (Akshaya Tritiya Bhog)

अक्षय तृतीया पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को भोग में अर्पित किए जाते हैं।

सत्तू (जौ/चना)

-खीर

-चने की दाल

-मौसमी फल (ऋतु फल)

-हलवा और पारंपरिक मिठाइयाँ

-इन भोगों को श्रद्धा से चढ़ाने पर देवी-देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त होती है।


अक्षय तृतीया का महत्व (Significance)

-अक्षय तृतीया को त्रेता युग का प्रारंभ दिवस भी कहा जाता है।

-यह दिन जमीन, संपत्ति, वाहन, स्वर्ण आदि की खरीदारी के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

-इस दिन किया गया दान-पुण्य कभी व्यर्थ नहीं जाता।

-माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा से संपन्नता, सौभाग्य और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।


जिनका विवाह विलंब से हो रहा है या परिवार में धन-संबंधी समस्याएं हैं, वे इस दिन विशेष लक्ष्मी नारायण पूजन करें।


अक्षय तृतीया सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अवसर है — अपने कर्म, संस्कार और श्रद्धा को दिव्यता से जोड़ने का। यह दिन आत्मिक उन्नति, धन-धान्य की प्राप्ति और सुख-समृद्धि के लिए एक दुर्लभ संयोग लाता है। इस दिन पूरे मन से की गई पूजा, दान और सेवा से जीवन में शुभ ऊर्जा और सौभाग्य का संचार होता है।

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