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कुदरत के कहर से पहले तैयारी, उत्तराखंड दल करेगा हिमाचल में आपदा प्रबंधन का अभ्यास

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 9 जुल॰
  • 3 मिनट पठन
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देहरादून: प्रदेश में मानसून के कारण उत्पन्न चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निबटने हेतु उत्तराखंड सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने आपदा प्रबंधन सचिव को निर्देशित किया है कि एक विशेषज्ञ दल हिमाचल प्रदेश भेजा जाए, जहां इस वर्ष अतिवृष्टि के कारण व्यापक क्षति हुई है। यह दल हिमाचल में आपदा प्रबंधन की तैयारियों और कार्यप्रणालियों का अध्ययन करेगा, जिससे उत्तराखंड में भविष्य में आने वाली आपदाओं से निपटने के लिए प्रभावशाली रणनीति तैयार की जा सके।


मुख्य सचिव मंगलवार को राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (एसईओसी) पहुंचे और मानसून से संबंधित वर्तमान स्थिति, वर्षा की मात्रा, मौसम पूर्वानुमान तथा भूस्खलन के कारण बंद सड़कों की समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि राज्य में बंद सड़कों को यथाशीघ्र खोला जाए तथा भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में सभी आवश्यक उपकरण एवं संसाधन पूर्व से उपलब्ध हों। यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी आपदा की सूचना मिलते ही अधिकतम 15 मिनट के भीतर सभी जरूरी उपकरण और टीमें मौके पर पहुंच जाएं।


"सचेत" ऐप को बनाया जाए आमजन का सुरक्षा कवच

मुख्य सचिव ने "सचेत" मोबाइल ऐप को आपदा सुरक्षा की दिशा में अत्यंत उपयोगी बताते हुए प्रदेशवासियों से इसे अनिवार्य रूप से डाउनलोड करने की अपील की। उन्होंने कहा कि इस ऐप के माध्यम से न केवल मौसम संबंधित चेतावनी मिलती है, बल्कि आपदा से बचाव संबंधी महत्वपूर्ण जानकारियाँ भी प्राप्त होती हैं। इसके साथ ही उन्होंने निर्देश दिए कि आपदा सूचना हेतु ईआरएसएस 112, 1070 और 1077 जैसे हेल्पलाइन नंबरों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए, ताकि आपदा की स्थिति में लोग त्वरित सहायता प्राप्त कर सकें।


तहसील स्तर तक पहुंचे चेतावनी, बने वाट्सएप ग्रुप

मुख्य सचिव ने स्पष्ट निर्देश दिए कि मौसम से जुड़ी चेतावनी और अलर्ट जनसामान्य तक तीव्र गति से पहुंचाई जाएं। उन्होंने कहा कि तहसील स्तर पर व्हाट्सएप ग्रुप बनाए जाएं, जिनके माध्यम से एसईओसी और डीईओसी (जिला आपातकालीन संचालन केंद्र) द्वारा प्राप्त अलर्ट अधिकतम 15 मिनट के भीतर लोगों तक पहुंच जाएं। इससे आम नागरिक समय रहते आवश्यक सुरक्षात्मक कदम उठा सकेंगे।


नियंत्रण कक्ष के लिए एसओपी, मॉक ड्रिल अनिवार्य

मुख्य सचिव ने सभी राज्य और जिला आपातकालीन परिचालन केंद्रों के लिए स्पष्ट मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि किसी भी आपदा की स्थिति में नियंत्रण कक्ष में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिकाएं पूर्णतः स्पष्ट होनी चाहिए। भ्रम की कोई स्थिति न रहे। साथ ही उन्होंने मॉक ड्रिल नियमित अंतराल पर कराए जाने की आवश्यकता भी जताई।


72 घंटे में दी जाए प्रभावितों को अहेतुक सहायता

प्रभावितों की सहायता को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए मुख्य सचिव ने कहा कि किसी भी आपदा की स्थिति में 72 घंटे के भीतर अहेतुक सहायता अनिवार्य रूप से वितरित की जाए। साथ ही उन्होंने क्षतिग्रस्त संपत्ति के नुकसान का शीघ्र आकलन कर राहत प्रक्रिया को तेज करने के निर्देश दिए।


2853 परिवारों का पुनर्वास, करोड़ों की सहायता राशि जारी

आपदा प्रबंधन सचिव ने बैठक में जानकारी दी कि वर्ष 2012 से अब तक राज्य के 258 आपदा प्रभावित गांवों के कुल 2853 परिवारों का पुनर्वास किया जा चुका है। चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 में 24 गांवों के 337 परिवारों के पुनर्वास हेतु 12.16 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत कर दी गई है। आपदा मोचन निधि और राज्य सेक्टर से सभी जिलों को कुल 175.50 करोड़ रुपये की सहायता राशि जारी की जा चुकी है।


मानसून पूर्वानुमान: जुलाई में अधिक वर्षा की संभावना

सचिव ने बताया कि जून माह में राज्य में सामान्य से कम वर्षा दर्ज की गई, जबकि जुलाई माह में सामान्य से अधिक वर्षा होने का अनुमान है। पूरे मानसून सत्र के दौरान राज्य में सामान्य से लगभग 108 प्रतिशत अधिक वर्षा की संभावना जताई गई है, जिसके दृष्टिगत सभी एजेंसियों को सतर्कता और तत्परता से कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं।


उत्तराखंड सरकार मानसून की चुनौतीपूर्ण स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटने हेतु बहुआयामी तैयारी कर रही है। हिमाचल से सीख लेकर, तकनीकी सशक्तिकरण, जन-जागरूकता और त्वरित प्रतिक्रिया तंत्र के माध्यम से प्रदेश को आपदा-प्रूफ बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

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