राशन वितरण में बड़ा बदलाव: जून से बायोमीट्रिक प्रणाली लागू, 30 सितंबर तक पूरा होगा ट्रांसफॉर्मेशन
- ANH News
- 10 मई
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उत्तराखंड सरकार ने राशन वितरण प्रणाली में पारदर्शिता और सुगमता लाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। जून 2025 से प्रदेशभर में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत राशन का वितरण पूरी तरह से ई-पॉस (e-PoS) मशीनों के माध्यम से किया जाएगा, जिसमें लाभार्थियों की पहचान बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण से सुनिश्चित की जाएगी।
राज्य के सभी जिलों में लागू होगी डिजिटल वितरण व्यवस्था
खाद्य आयुक्त कार्यालय की ओर से जारी निर्देशों के अनुसार, वर्तमान में राज्य के पांच जिलों – हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, देहरादून, रुद्रप्रयाग और बागेश्वर में ई-पॉस प्रणाली लागू की जा चुकी है।
अप्रैल से हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर में यह व्यवस्था सफलतापूर्वक संचालित हो रही है।
मई में रुद्रप्रयाग, देहरादून और बागेश्वर को भी इस प्रणाली से जोड़ा गया।
अब जून से शेष आठ जिलों में भी यह व्यवस्था लागू कर दी जाएगी, जिससे राज्य में 100% डिजिटल वितरण प्रणाली स्थापित हो जाएगी।
ऑनलाइन प्रणाली 30 सितंबर तक रहेगी प्रभावी, ऑफलाइन वितरण पूरी तरह बंद
खाद्य आयुक्त हरिचंद्र सेमवाल ने बताया कि राशन वितरण में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार रोकने के उद्देश्य से ऑफलाइन या मैनुअल वितरण प्रणाली को पूरी तरह समाप्त किया जा रहा है। हालांकि, डीलरों की मांगों और मौजूदा तकनीकी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए कुछ रियायतें दी गई हैं।
इसके तहत 30 सितंबर 2025 तक ऑनलाइन वितरण की व्यवस्था लागू रहेगी, लेकिन इस दौरान भी मैनुअल वितरण की अनुमति नहीं होगी।
विशेष परिस्थितियों में मिलेगी राशनकार्ड नंबर से छूट
राज्य सरकार ने कुछ विषम परिस्थितियों में बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण के बिना भी राशन देने का प्रावधान रखा है।
इसमें शामिल हैं:
असाध्य रोग से ग्रसित व्यक्ति
गंभीर रूप से विकलांग
अत्यंत वृद्ध नागरिक
अन्य विशेष मानवीय परिस्थितियाँ
इन मामलों में राशनकार्ड नंबर दर्ज कर ऑनलाइन वितरण की अनुमति दी जाएगी।
ई-पॉस मशीनों का वितरण और प्रशिक्षण जारी
दूसरे चरण में 1800 से अधिक ई-पॉस मशीनों का वितरण किया जा चुका है। साथ ही, राशन विक्रेताओं को इन मशीनों के उपयोग हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं। खाद्य आयुक्त सेमवाल ने स्पष्ट किया कि प्रणाली में सभी को समय के साथ प्रशिक्षित और अभ्यस्त किया जा रहा है, जिससे तकनीकी समस्याएं भी कम होंगी।
जनप्रतिनिधियों और संगठनों से मिले सुझावों को भी लिया गया संज्ञान
ऑल इंडिया फेयर प्राइस शॉप डीलर्स फैडरेशन व अन्य संगठनों से प्राप्त सुझावों की गंभीरता से समीक्षा की गई। जनप्रतिनिधियों द्वारा भेजे गए पत्रों को भी शामिल करते हुए यह निर्णय लिया गया कि राशन वितरण में शत-प्रतिशत बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण को प्राथमिकता दी जाए।
उत्तराखंड सरकार की यह पहल डिजिटलीकरण, पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक सशक्त कदम है। लाभार्थियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण के लिए तैयार हों, ताकि किसी प्रकार की असुविधा से बचा जा सके। सरकारी सिस्टम में यह बदलाव एक नई तकनीकी और जवाबदेह प्रणाली की शुरुआत है।