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150 साल बाद भी अमर है वंदे मातरम् की भावना, देशभक्ति के स्वर से गूंजा उत्तराखंड

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 5 घंटे पहले
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डोईवाला नगर पालिका परिसर में आयोजित समारोह में वक्ताओं ने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ हमारी सांस्कृतिक अस्मिता, मातृभूमि के प्रति प्रेम और राष्ट्र की एकता-अखंडता का शाश्वत प्रतीक है। इस गीत ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी थी, और देशभक्ति की वह चिंगारी जगाई थी जिसने पराधीनता की जंजीरों को तोड़ने का संकल्प दिया।


कार्यक्रम में वक्ताओं ने बंकिमचंद्र चटर्जी के योगदान को नमन करते हुए कहा कि “वंदे मातरम्” के स्वर केवल शब्द नहीं हैं, बल्कि यह उस भावनात्मक ऊर्जा का स्रोत हैं जिसने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को गति दी। डोईवाला के गैरोला ने कहा कि यह गीत भारत की आत्मा को स्पंदित करने वाला है- यह वह गीत है जो देशभक्ति, त्याग और समर्पण की प्रेरणा देता है।


ऋषिकेश और आसपास के क्षेत्रों में भी शुक्रवार को राष्ट्रगीत “वंदे मातरम्” के 150 वर्ष पूर्ण होने पर कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। विधायक प्रेमचंद अग्रवाल ने इस अवसर पर बंकिम चंद्र चटर्जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् केवल एक राष्ट्रीय गीत नहीं, बल्कि यह हर भारतीय के हृदय की धड़कन है, जो हमें हमारी जड़ों, संस्कृति और मातृभूमि से जोड़ता है।


कार्यक्रमों में देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत सामूहिक गायन हुआ। विद्यालयों, संस्थानों और सामाजिक संगठनों ने मिलकर “वंदे मातरम्” का एकस्वर में गायन किया, जिससे वातावरण राष्ट्रप्रेम से सराबोर हो उठा। पूरे क्षेत्र में यह दिन भारतीयता, एकता और गर्व के भाव से मनाया गया- मानो हर धड़कन कह रही हो, “वंदे मातरम्!”

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