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चारधाम यात्रा: तीर्थयात्रियों के लिए ठहरने की नहीं होगी चिंता, यात्रा मार्गों पर विकसित होंगे आधुनिक होमस्टे

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 26 जून
  • 2 मिनट पठन


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चारधाम यात्रा के दौरान देश-विदेश से आने वाले तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को बेहतर आवासीय सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए उत्तराखंड सरकार ने एक नई पहल की शुरुआत की है। इस पहल के अंतर्गत यात्रा मार्गों से सटे गांवों में होमस्टे को बढ़ावा दिया जाएगा ताकि पर्यटकों को न केवल सुरक्षित और किफायती ठहराव मिल सके, बल्कि स्थानीय लोगों को भी रोजगार और स्वरोजगार के बेहतर अवसर प्राप्त हों।


हर घर से एक कमरा बनेगा होमस्टे का हिस्सा

सरकार का लक्ष्य है कि यात्रा मार्गों पर स्थित हर गांव में हर परिवार अपने घर का कम-से-कम एक कमरा होमस्टे के रूप में विकसित करे। इसके लिए स्थानीय लोगों को आतिथ्य (हॉस्पिटैलिटी) का प्रशिक्षण, साथ ही बागवानी, पशुपालन और कौशल विकास जैसी गतिविधियों से भी जोड़ा जाएगा। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए पर्यटन, बागवानी, पशुपालन और कौशल विकास विभाग आपसी समन्वय से एकीकृत रूप से कार्य करेंगे।


दीनदयाल उपाध्याय होमस्टे योजना से मिली प्रेरणा

प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2018 में शुरू की गई दीनदयाल उपाध्याय गृह आवास (होमस्टे) योजना अब तक प्रदेश में सफल रही है। इस योजना के अंतर्गत 6000 से अधिक होमस्टे स्थापित किए जा चुके हैं, जिनमें तीर्थयात्री और पर्यटक किफायती दरों पर ठहरने के साथ-साथ उत्तराखंड की लोक संस्कृति और ग्रामीण जीवन शैली का अनुभव भी कर रहे हैं।


चारधाम मार्गों पर चिन्हित होंगे प्रमुख स्थल

पर्यटन विभाग अब चारधाम यात्रा मार्गों पर ऐसे स्थान चिन्हित करेगा जहां पर्यटकों की अधिक आवाजाही होती है। इन क्षेत्रों के आसपास स्थित गांवों में होमस्टे विकसित करने हेतु स्थानीय समुदाय को प्रेरित किया जाएगा। इससे न केवल आवासीय सुविधा बेहतर होगी बल्कि स्थानीय उत्पादों की बिक्री, कृषि-बागवानी और पशुपालन जैसी गतिविधियों के ज़रिए स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।


पिथौरागढ़ के नाभी और कुटी गांव बने आदर्श उदाहरण

इस मॉडल की सफलता का उदाहरण पिथौरागढ़ जिले के नाभी और कुटी गांव हैं, जहाँ होमस्टे संचालन के साथ-साथ बागवानी और पशुपालन से हर परिवार को सालाना औसतन ₹80 लाख तक की आय हो रही है। इस सफल प्रयोग को अब चारधाम यात्रा मार्गों पर दोहराने की योजना है।


कैंची धाम में दर्शन के लिए होगी पंजीकरण व्यवस्था

नैनीताल जिले के कैंची धाम में तीर्थयात्रियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे ट्रैफिक जाम की समस्या उत्पन्न हो रही है। इसे नियंत्रित करने के लिए पर्यटन विभाग धारणा क्षमता के आधार पर श्रद्धालुओं की दैनिक सीमा तय करने और चारधाम यात्रा की तर्ज पर पंजीकरण की व्यवस्था लागू करने पर विचार कर रहा है।


सरकार की प्राथमिकता: तीर्थयात्रियों को बेहतर अनुभव, स्थानीयों को आजीविका

पर्यटन सचिव धीराज गर्ब्याल के अनुसार, “चारधाम यात्रा मार्गों पर सड़क से सटे गांवों में होमस्टे विकसित करने की यह पहल सरकार की प्राथमिकता है। इससे न केवल तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को बेहतर अनुभव मिलेगा, बल्कि स्थानीय लोगों को स्थायी आजीविका के अवसर भी उपलब्ध होंगे।”


सरकार का यह कदम उत्तराखंड के सतत पर्यटन विकास, ग्रामोन्मुख रोजगार, और संवेदनशील तीर्थ प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

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