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मुख्यमंत्री ने भरण-पोषण अधिनियम का सख्ती से पालन करने के दिए निर्देश, बुजुर्गों को मिलेगा न्याय

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 10 जुल॰
  • 2 मिनट पठन
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट किया है कि उनकी सरकार वरिष्ठ नागरिकों को सम्मानजनक जीवन और पूर्ण सुरक्षा प्रदान करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। इसी क्रम में उन्होंने राज्य के सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे वरिष्ठ नागरिकों से जुड़ी समस्याओं के त्वरित और प्रभावी समाधान के लिए जिला स्तरीय अपीलीय भरण-पोषण अधिकरण के पीठासीन अधिकारी के रूप में अपनी भूमिका गंभीरता से निभाएं और संबंधित शिकायतों का शीघ्र निस्तारण करें।


मुख्यमंत्री ने समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों को भी सख्त आदेश दिए हैं कि ‘माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007’ (MWPSC Act, 2007) को पूरी तरह प्रभावी बनाते हुए इसके प्रावधानों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाए। यह अधिनियम वरिष्ठ नागरिकों एवं माता-पिता को उनके बच्चों, पोते-पोतियों या संपत्ति के उत्तराधिकारी द्वारा भरण-पोषण का वैधानिक अधिकार प्रदान करता है।


राज्य में इस कानून के क्रियान्वयन के लिए जिला स्तर पर कुल 13 अपीलीय भरण-पोषण अधिकरण तथा सब डिवीजन स्तर पर 69 से अधिक भरण-पोषण अधिकरण सक्रिय हैं, जिनमें भरण-पोषण की राशि अधिकतम 10,000 रुपये प्रति माह निर्धारित की जा सकती है।


मुख्यमंत्री ने कहा कि जिला स्तरीय अपीलीय अधिकरण के पीठासीन अधिकारी जिला मजिस्ट्रेट होते हैं, इसलिए उन पर यह जिम्मेदारी है कि वे इस कानून को पूरी कड़ाई से लागू करें और वरिष्ठ नागरिकों को न्याय दिलाने में अग्रसर हों। तहसील स्तर पर उपजिलाधिकारी भरण-पोषण अधिकरण के पीठासीन अधिकारी के साथ-साथ जिला समाज कल्याण अधिकारी (DSWO) को भी भरण-पोषण अधिकारी के रूप में जिम्मेदार बनाया गया है, ताकि कानून के प्रभावी क्रियान्वयन में कोई कमी न रहे।


संपत्ति हस्तांतरण में सुरक्षा प्रावधान

मुख्यमंत्री ने बताया कि अधिनियम के तहत यदि कोई वरिष्ठ नागरिक देखभाल की शर्त पर अपनी संपत्ति हस्तांतरित करता है, लेकिन बाद में निर्धारित शर्तें पूरी नहीं होतीं, तो भरण-पोषण अधिकरण उस संपत्ति के हस्तांतरण को अमान्य घोषित कर सकता है और संपत्ति की वापसी सुनिश्चित कर सकता है। यह प्रावधान वरिष्ठ नागरिकों के हितों की सुरक्षा का महत्वपूर्ण माध्यम है।


वरिष्ठ नागरिकों के लिए उपलब्ध सेवाएं

सरकार की पहल से बागेश्वर, चमोली एवं उत्तरकाशी जिलों में निशुल्क वृद्ध एवं दिव्यांग आवास गृह संचालित किए जा रहे हैं, जहाँ कई जरूरतमंद वरिष्ठ नागरिक सुरक्षित एवं सम्मानजनक वातावरण में निवास कर रहे हैं।


इसके अलावा, राज्य में वरिष्ठ नागरिक कल्याण परिषद का गठन किया गया है, जिसमें रामचंद्र गौड़ को अध्यक्ष, तथा शांति मेहरा, नवीन वर्मा और हरक सिंह नेगी को उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। यह परिषद वरिष्ठ नागरिकों के हितों की रक्षा और उनके कल्याण के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।


मुख्यमंत्री का वरिष्ठ नागरिकों से अपील

पुष्कर सिंह धामी ने वरिष्ठ नागरिकों से भी विनम्र अपील की है कि यदि वे जीवन-यापन में किसी प्रकार की उपेक्षा या असुविधा महसूस करते हैं, तो वे तुरंत अपने नजदीकी भरण-पोषण अधिकरण (Maintenance Tribunal) या जिला समाज कल्याण अधिकारी (DSWO) से संपर्क करें और अपनी समस्या का समाधान कराएं।


उत्तराखंड सरकार वरिष्ठ नागरिकों के प्रति पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ कार्यरत है और उन्हें सामाजिक सुरक्षा, सम्मान तथा न्याय सुनिश्चित करने के लिए सभी संसाधनों का उपयोग कर रही है।

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