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Uttarakhand: अंतरिक्ष विज्ञान बना उत्तराखंड विकास का मजबूत स्तंभ, सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कही बड़ी बातें

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 1 जुल॰
  • 3 मिनट पठन
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उत्तराखंड: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि आज अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी सीमित दायरे से निकलकर आम जनजीवन के हर क्षेत्र में उपयोगी साबित हो रही है। मुख्यमंत्री आवास स्थित 'मुख्य सेवक सदन' में आयोजित ‘हिमालयी राज्यों के परिप्रेक्ष्य में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी एवं अनुप्रयोग अंतरिक्ष सम्मेलन’ में उन्होंने यह बातें कहीं।


सीएम धामी ने कहा कि अंतरिक्ष विज्ञान अब केवल अनुसंधान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संचार, कृषि, मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन, शिक्षा, स्वास्थ्य और आधारभूत ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।


अंतरिक्ष तकनीक से उत्तराखंड को मिल रहा मजबूती का आधार

मुख्यमंत्री ने चंपावत को मॉडल जिला बनाने की दिशा में इसरो और यूकॉस्ट द्वारा विकसित डैशबोर्ड का शुभारंभ किया और इसरो की एक पुस्तक का विमोचन भी किया।

उन्होंने भारतीय वैज्ञानिक शुभांशु शुक्ला द्वारा अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में तिरंगा फहराने पर उन्हें और इसरो को बधाई दी।


सेटेलाइट डाटा से आपदा प्रबंधन को मिली नई दिशा

राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (IIRS) के निदेशक डॉ. प्रकाश चौहान ने बताया कि अंतरिक्ष तकनीक ने कैसे हमारे दैनिक जीवन में अपनी मजबूत जगह बना ली है।

उत्तराखंड में:


ऋषिगंगा-चमोली आपदा के दौरान सेटेलाइट से मैपिंग और डाटा निर्माण किया गया, जो बाद में राष्ट्रीय नीति में शामिल किया गया।


पोस्ट डिजास्टर नीड असेसमेंट (PDNA) में भी इस डाटा का उपयोग हुआ।


ग्लेशियर लेक मॉनिटरिंग, बाढ़ पूर्वानुमान, वनाग्नि ट्रैकिंग और पशुधन डेटा डिजिटाइजेशन जैसे क्षेत्रों में भी इसका प्रयोग किया जा रहा है।


भारत अंतरिक्ष विज्ञान में बना वैश्विक शक्ति: इसरो चेयरमैन

इसरो अध्यक्ष डॉ. वी नारायणन ने सम्मेलन में कहा कि भारत अब एक वैश्विक अंतरिक्ष महाशक्ति बन चुका है।


1963 में पहला रॉकेट लांच करने वाला भारत, आज 100 से अधिक सफल लांच कर चुका है।


अब तक भारत के पास 131 सक्रिय सेटेलाइट हैं।


भारत ही पहला देश है जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव (South Pole) पर सफल लैंडिंग की।


उन्होंने बताया कि:


भारत 2030 तक अपना अंतरिक्ष केंद्र बनाएगा।


2040 तक भारत चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्री भेजने का लक्ष्य लेकर चल रहा है।


भारत ने मंगल ग्रह की कक्षा में पहले ही प्रयास में प्रवेश कर इतिहास रच दिया था।


आदित्य एल-1 मिशन के माध्यम से भारत सूर्य का अध्ययन करने वाला चौथा देश बना।


राज्य सरकार की पहल: इसरो से साइंस सेंटर गोद लेने का आग्रह

मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने कहा कि उत्तराखंड में स्थायी वैज्ञानिक अधोसंरचना को विकसित करने पर विशेष जोर दिया जा रहा है।

उन्होंने इसरो से आग्रह किया कि वह राज्य के कुछ साइंस सेंटर को गोद ले और उच्च रिजोल्यूशन सेटेलाइट इमेजरी (Cartosat 50cm) राज्य सरकार को रियल टाइम और गैर-व्यावसायिक आधार पर उपलब्ध कराए।


विकसित भारत @2047 के लक्ष्य में अंतरिक्ष तकनीक की महत्वपूर्ण भूमिका

सीएम धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत विकसित भारत @2047 के संकल्प की ओर तेज़ी से अग्रसर है।

उन्होंने कहा कि इस दिशा में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की भूमिका मील का पत्थर साबित हो रही है।


सम्मेलन में मौजूद रहे ये प्रमुख हस्तियां:

प्रमुख सचिव: आरके सुधांशु, आर. मीनाक्षी सुंदरम


सचिव: शैलेश बगोली, नितेश झा


महानिदेशक यूकॉस्ट: प्रो. दुर्गेश पंत


IIRS निदेशक: डॉ. प्रकाश चौहान


इसरो अध्यक्ष: डॉ. वी नारायणन



अंतरिक्ष विज्ञान आज केवल वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं की चारदीवारी में नहीं, बल्कि सीधे आम जनता के जीवन, विकास और सुरक्षा से जुड़ चुका है। उत्तराखंड जैसे आपदा संभावित और भूगोलिक रूप से चुनौतीपूर्ण राज्य के लिए यह तकनीक आने वाले वर्षों में विकास की रीढ़ बन सकती है।

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