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देहरादून एयरपोर्ट के एयर स्पेस में विस्तार से उड़ानें होंगी तेज, फ्लाइट्स की संख्या में होगा इज़ाफा

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 12 मार्च
  • 2 मिनट पठन


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देहरादून एयरपोर्ट की क्षमता बढ़ाने के लिए एयर स्पेस में विस्तार की आवश्यकता है, ताकि प्रति घंटा अधिक फ्लाइटों को उतारा जा सके। वर्तमान में एयरपोर्ट पर प्रति घंटा केवल सात फ्लाइटों या विमानों को नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन एयर स्पेस का विस्तार होने से इस संख्या को बढ़ाकर 12 तक किया जा सकता है, जिससे एयरपोर्ट के रनवे की क्षमता भी बढ़ेगी। यह मुद्दा हाल ही में एक सलाहकार समिति की बैठक में उठाया गया था, और अब यह मामला भारत सरकार के समक्ष रखने के लिए तैयार किया जा रहा है।


वर्तमान में देहरादून एयरपोर्ट के पास पांच नॉटिकल मील (9.26 किमी) लंबा और 7500 फीट ऊंचा एयर स्पेस है, जो एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) द्वारा विमानों को दिशा-निर्देश देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस सीमित एयर स्पेस के कारण, एयरपोर्ट प्रति घंटा केवल सात फ्लाइटों को नियंत्रित कर पाता है। यदि एयर स्पेस को बढ़ाया जाता है, तो एयरपोर्ट पर प्रति घंटे 12 विमानों को उतारा जा सकेगा, जिससे उड़ानों की संख्या में वृद्धि होगी और संचालन अधिक सुगम होगा।


इसके अलावा, देहरादून एयरपोर्ट में एक नया टर्मिनल बनने से कुल जगह 42,776 वर्ग मीटर और सालाना 50 लाख यात्रियों की क्षमता हो गई है। हालांकि, जब तक एयर स्पेस का विस्तार नहीं होता, तब तक प्रति घंटे और अधिक विमानों को नियंत्रित करना संभव नहीं होगा। वर्तमान में, एयरपोर्ट पर सुबह 7:30 बजे से लेकर शाम 7:15 बजे तक लगभग 18 से 20 फ्लाइट्स उतारी जाती हैं।


एयर स्पेस की भूमिका: एयर स्पेस वह क्षेत्र होता है, जिसे वायु सेना द्वारा एयरपोर्ट को नियंत्रित करने के लिए सौंपा जाता है। इस क्षेत्र के भीतर एयरपोर्ट का एटीसी विमानों के मार्ग को नियंत्रित करता है और सुनिश्चित करता है कि विमानों की उड़ान सुरक्षित रहे। कम एयर स्पेस होने पर अधिक विमानों के आने पर उन्हें आसमान में चक्कर काटने की आवश्यकता पड़ सकती है, जिससे एयरपोर्ट पर भीड़भाड़ बढ़ जाती है। वहीं, यदि एयर स्पेस को बढ़ाया जाए तो अधिक विमानों को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे एयरपोर्ट संचालन में सुगमता आएगी।


मुख्य समस्याएं:

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1. एयर स्पेस की कमी: एयरपोर्ट के पास वर्तमान में सीमित एयर स्पेस है, जिससे विमानों की संख्या बढ़ने पर उन्हें कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है।

2. रनवे विस्तार के लिए जमीन की आवश्यकता: एयरपोर्ट को रनवे विस्तार और अन्य सुविधाओं के लिए 140.5 एकड़ भूमि की आवश्यकता है।

3. वन्य जीवों की मूवमेंट: एयरपोर्ट के आसपास वन्य जीवों की गतिविधियों के कारण भी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, जो विमानों की सुरक्षित उड़ान में विघ्न डाल सकती हैं।



एयरपोर्ट निदेशक का बयान: "देहरादून एयरपोर्ट के पास वर्तमान में 5 नॉटिकल मील लंबा और 7500 फीट ऊंचा एयर स्पेस है। यदि इसे बढ़ाया जाता है, तो प्रति घंटा और अधिक विमानों को उतारा जा सकता है, और एटीसी को भी विमानों को कंट्रोल करने में आसानी होगी," – प्रभाकर मिश्रा, एयरपोर्ट निदेशक, देहरादून।


इस मामले पर आगे कार्रवाई की जाएगी, और इसकी संभावना को लेकर भारत सरकार से मंजूरी प्राप्त करने की दिशा में काम किया जा रहा है।

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