उत्तराखंड के 42 लाख युवाओं में है प्रदेश का भविष्य, 10 साल में दिखाना होगा करिश्मा
- ANH News
- 28 मई
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उत्तराखंड में लगभग 42.7 लाख युवाओं की शक्ति छुपी है, जो राज्य का भाग्य बदलने की क्षमता रखती है। लेकिन इस कमाल को दिखाने के लिए उत्तराखंड के पास उतना समय नहीं है जितना अन्य बड़े राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश या बिहार के पास है। इसलिए इस जनसांख्यिकीय लाभांश के अवसर को अगले 10 वर्षों के भीतर भुनाना होगा। इस चुनौती को अवसर में बदलने के लिए प्रदेश की धामी सरकार ने ठोस और रणनीतिक कदम उठाना शुरू कर दिया है।
जनसांख्यिकीय लाभांश क्या है?
जनसांख्यिकीय लाभांश वह समय होता है जब कार्यशील आयु वर्ग की संख्या निर्जीव या अविकसित आबादी की तुलना में अधिक होती है। इसका मतलब है कि राज्य के पास युवा, सक्षम और कुशल श्रमिकों की बड़ी संख्या है, जो आर्थिक विकास को गति देने में मदद कर सकते हैं। नीति आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर को प्रभावी ढंग से भुनाने की अपनी रणनीति स्पष्ट की है। नियोजन विभाग के अनुमान के अनुसार, यह सुनहरा अवसर उत्तराखंड के लिए 2035 तक सीमित है।
समय सीमा और लक्ष्य
उत्तराखंड के लिए यह एक महत्वपूर्ण दौर है — अगले एक दशक के भीतर युवाओं को दक्ष, कुशल और उत्पादक श्रमिकों में परिवर्तित करना अनिवार्य है। यदि यह काम सफलतापूर्वक किया जाता है, तो राज्य की अर्थव्यवस्था न केवल स्थिर होगी, बल्कि मजबूत और समृद्ध भी होगी। विकसित पर्वतीय राज्यों जैसे हिमाचल प्रदेश के समान, उत्तराखंड के पास भी 10 वर्ष का समय है, जबकि दक्षिण के कई राज्यों में कार्यशील आबादी संतृप्ति के कगार पर है और वहां से श्रमिक दूसरे राज्यों में पलायन कर रहे हैं।
चुनौतियां और अवसर
सरकार इस अवधि को एक सुवर्ण अवसर के रूप में देख रही है। विकास की योजना में रोजगार को केंद्र में रखा गया है क्योंकि अनुमान है कि आगामी दशक में ग्रामीण क्षेत्र के युवा बेहतर रोजगार की तलाश में शहरी इलाकों की ओर रुख करेंगे। इसके मद्देनजर महानगरों, शहरों और अर्द्धनगरीय क्षेत्रों में कार्य के उपयुक्त इकोसिस्टम का विकास आवश्यक है।
उत्तराखंड के प्रमुख सचिव नियोजन आर. मीनाक्षी सुंदरम के अनुसार, कौशल विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, विनिर्माण, सूक्ष्म एवं लघु उद्योग, स्टार्ट अप, मेक इन इंडिया, सर्कुलर इकोनॉमी और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने के लिए सरकार ने पहले ही पहल कर दी है। यदि यह प्रयास सफल रहे, तो राज्य युवाओं को कार्यशील बनाकर आर्थिक वृद्धि को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। अन्यथा, अकार्यशील आबादी राज्य के लिए भारी बोझ बन सकती है और विकास में बाधा डाल सकती है।
सरकार की तैयारियां और योजनाएं
उत्तराखंड सरकार ने 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए स्वरोजगार और आजीविका आधारित योजनाओं को प्राथमिकता दी है। राज्य में आर्थिक विकास दर को समृद्धि में बदलने के लिए करीब 35 नीतियां तैयार की गई हैं। इनमें पर्यटन, सेवा क्षेत्र, आयुष, स्टार्ट अप, कीवी, शहद, मिलेट, सोलर ऊर्जा, सेब उत्पादन जैसी विशेष नीतियां शामिल हैं। ये नीतियां स्वरोजगार को बढ़ावा देने और युवाओं के लिए नए अवसर पैदा करने के साथ-साथ राज्य की आर्थिक वृद्धि को व्यापक बनाने में सहायक होंगी।
उत्तराखंड की युवा आबादी राज्य के भविष्य की कुंजी है। समय कम है, पर अवसर बड़ा है। यदि सरकार और समाज मिलकर इस जनसांख्यिकीय लाभांश को सही दिशा में मोड़ने में सफल हो जाते हैं, तो उत्तराखंड न केवल अपनी आर्थिक समस्याओं से उबर सकेगा, बल्कि समृद्धि और विकास की नई मिसाल भी कायम करेगा। यही कारण है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में सरकार ने यह चुनौती अपने लिए अवसर बना लिया है और इसे पूरा करने के लिए निर्णायक कदम उठा रही है।





