धामी कैबिनेट का बड़ा फैसला: भूतापीय ऊर्जा क्षमता विकास के लिए 3 करोड़ तक वित्तीय सहायता
- ANH News
- 10 जुल॰
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उत्तराखंड अब हरित ऊर्जा की दिशा में एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। राज्य मंत्रिमंडल ने बुधवार को 'उत्तराखंड भूतापीय ऊर्जा नीति 2025' को मंजूरी प्रदान कर दी, जिसका उद्देश्य ऊर्जा उत्पादन, कार्बन उत्सर्जन में कमी, और स्थानीय विकास को बढ़ावा देना है।
प्रदेश में उच्च हिमालयी क्षेत्रों में अब भूतापीय ऊर्जा (Geothermal Energy) का उपयोग बिजली उत्पादन के लिए किया जाएगा। प्रारंभिक अध्ययन के अनुसार राज्य में 40 भूतापीय ऊर्जा स्थलों की पहचान की गई है, जिनमें प्रमुख रूप से चमोली जिले के बदरीनाथ और तपोवन क्षेत्र शामिल हैं। ये स्थल ऊर्जा उत्पादन के साथ-साथ पर्यावरणीय पर्यटन, कृषि व बागवानी के लिए भी अत्यंत उपयोगी साबित हो सकते हैं।
क्या है भूतापीय ऊर्जा और इसका महत्व?
भूतापीय ऊर्जा पृथ्वी के गर्भ में मौजूद प्राकृतिक ऊष्मा से प्राप्त होती है। यह ऊर्जा न सिर्फ स्थायी और प्राकृतिक स्रोत है, बल्कि इससे कार्बन उत्सर्जन भी नहीं होता, जिससे यह पर्यावरणीय रूप से सुरक्षित है। उत्तराखंड जैसे भूकंपीय और उच्च तापमान क्षेत्रों में यह ऊर्जा काफी प्रभावशाली साबित हो सकती है।
विकासकर्ताओं को मिलेगी वित्तीय सहायता और सुविधाएं
नई नीति के तहत:
भूतापीय स्थलों की खोज और क्षमता मूल्यांकन के लिए विकासकर्ताओं को 50% लागत या अधिकतम ₹3 करोड़ तक की वित्तीय सहायता दी जाएगी।
यदि केंद्र सरकार या नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) से अनुदान नहीं मिलता, तो राज्य सरकार प्रथम दो परियोजनाओं को सहायता देगी।
केंद्रीय उपक्रमों को 50%, जबकि राज्य उपक्रमों को 100% वित्तीय सहायता दी जाएगी।
इन परियोजनाओं को ‘उद्योग’ की श्रेणी में रखा गया है, जिससे इन्हें MSME नीति 2023, मेगा औद्योगिक निवेश नीति 2021, और अनुकूलित प्रोत्साहन पैकेज के अंतर्गत लाभ मिलेंगे।
एकल खिड़की प्रणाली और पर्यावरणीय सुरक्षा
विकासकर्ताओं को समयबद्ध वैधानिक स्वीकृति देने के लिए एकल खिड़की प्रणाली लागू की जाएगी।
परियोजनाओं के संचालन के लिए उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पर्यावरणीय मंजूरी लेना अनिवार्य होगा।
वन भूमि पर गैर-वानिकी कार्यों के लिए भारत सरकार से अनुमति आवश्यक होगी। इसके बाद ही राज्य सरकार लीज़ या पट्टे की अनुमति दे सकेगी।
बहु-उद्देश्यीय लाभ:
नई भूतापीय नीति से सिर्फ बिजली ही नहीं, बल्कि कृषि, उद्योग और पर्यटन को भी लाभ होगा:
ग्रीनहाउस हीटिंग से कृषि उत्पादों की गुणवत्ता और मात्रा बढ़ाई जा सकेगी।
बागवानी उत्पादों को सुखाने, कोल्ड स्टोरेज, और भूतापीय पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
नीति का उद्देश्य वैज्ञानिक शोध, तकनीकी विकास और स्थानीय रोजगार सृजन को बढ़ाना है।
मुख्यमंत्री का दृष्टिकोण
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया। उन्होंने पहले भी राज्य में हरित ऊर्जा स्रोतों के अधिकतम उपयोग की बात कही थी। सौर ऊर्जा के बाद अब राज्य सरकार भूतापीय ऊर्जा को एक वैकल्पिक और सशक्त विकल्प के रूप में आगे बढ़ाने को प्राथमिकता दे रही है।





