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Uttarkashi Disaster:मलबे में दबे हैं लोग? सेना की नई तकनीक करेगी खोज

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 12 अग॰
  • 2 मिनट पठन
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उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली और हर्षिल क्षेत्र में बादल फटने से आई भयावह प्राकृतिक आपदा को अब एक सप्ताह से अधिक समय हो चुका है। इस त्रासदी ने कई जिंदगियों को हमेशा के लिए बदल दिया है। मलबे में दबी ज़िंदगियों की तलाश में सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य राहत एवं बचाव एजेंसियाँ दिन-रात जुटी हुई हैं। विषम भौगोलिक परिस्थितियों और खराब मौसम की चुनौतियों के बावजूद राहत कार्यों में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही।


इस आपदा के बाद राहत और बचाव कार्यों में इंडियन आर्मी ने अब एक नई और प्रभावशाली तकनीक का सहारा लिया है, जिससे मलबे में दबे लोगों को ढूँढने की प्रक्रिया में तेजी आ सके। सेना अब ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार (GPR) का उपयोग कर रही है, यह विशेष रडार तकनीक जमीन के अंदर दबे मानव शरीरों या धातु की वस्तुओं की पहचान करने में सक्षम है।


सेना के ब्रिगेडियर एम.एस. ढिल्लों ने दी जानकारी

सेना की ओर से ब्रिगेडियर एम.एस. ढिल्लों ने बताया कि 5 अगस्त से ही सेना, राज्य सरकार और अन्य एजेंसियां राहत और बचाव कार्यों में निरंतर सक्रिय हैं। हमारा मुख्य ध्यान अब उन लोगों की तलाश पर केंद्रित है जो बादल फटने के बाद मलबे में दब गए हैं। ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार की मदद से हम संभावित स्थानों की जांच कर रहे हैं, विशेष रूप से उन जगहों पर जहां पहले होमस्टे और रिहायशी ढांचे मौजूद थे।


उन्होंने यह भी बताया कि आपदा के चलते संचार व्यवस्था पूरी तरह बाधित हो गई थी। ऐसे में सेना ने सैटेलाइट कम्युनिकेशन सिस्टम स्थापित किया है, जिससे बचाव टीमों और नागरिकों के बीच संपर्क बना रह सके। इसके अतिरिक्त, नागरिकों की सुविधा के लिए एक कम्युनिकेशन हब भी स्थापित किया गया है, ताकि वे अपने परिजनों से संपर्क कर सकें।


मेडिकल कैंप और राहत वितरण तेज़ी से जारी

आपदा प्रभावित क्षेत्रों में चिकित्सा सहायता के लिए मेडिकल कैंप लगाए गए हैं। जिन लोगों को सुरक्षित निकाला गया है, उन्हें प्राथमिक उपचार देकर उनके गंतव्य तक भेजा जा रहा है। जिला प्रशासन के अनुसार, रविवार सुबह 11 बजे तक मातली हेलीपैड से 20 लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू किया गया। सभी को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया गया है।


प्रशासन ने यह भी आश्वस्त किया है कि धराली और हर्षिल क्षेत्र में राशन, दवाइयाँ, पेयजल और अन्य जरूरी वस्तुओं की पर्याप्त आपूर्ति की जा चुकी है। हर प्रभावित घर तक राहत सामग्री पहुँचाने के लिए स्थानीय प्रशासन और स्वयंसेवी संगठन मिलकर लगातार काम कर रहे हैं।


अब भी जारी है खोज और राहत का कार्य

हालांकि अब तक कई लोगों को बचाया जा चुका है, लेकिन मलबे में दबे कई लोग अब भी लापता हैं। उनकी तलाश के लिए रडार तकनीक, खोजी कुत्ते, ड्रोन, और मानव संसाधन सभी को संयुक्त रूप से लगाया गया है। सेना और राहत दलों का मानना है कि जैसे-जैसे मौसम सुधरेगा, खोज और राहत अभियान में और तेजी लाई जा सकेगी।


उत्तरकाशी के धराली और हर्षिल में आई इस आपदा ने मानवता को झकझोर कर रख दिया है, लेकिन इस संकट की घड़ी में सेना, प्रशासन और स्थानीय लोग मिलकर हर संभव प्रयास कर रहे हैं, ताकि हर एक जीवन को बचाया जा सके और पीड़ितों तक सहायता पहुँचाई जा सके।

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