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Uttarakhand: भूकंप से पहले भूदेव करेगा अलर्ट, आईआईटी रुड़की की मदद से किया विकसित

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 31 मार्च
  • 2 मिनट पठन
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आईआईटी रुड़की और उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन विभाग ने मिलकर भूकंप से पहले सतर्कता की एक नई व्यवस्था विकसित की है, जो आने वाले भूकंप की प्रारंभिक तरंगों को पहचानने में मदद करेगी। इस तकनीकी प्रणाली के माध्यम से, भूकंप की प्राथमिक तरंगों का पता चलते ही 15 से 30 सेकंड पहले लोगों को सूचित किया जा सकेगा, जिससे वे सुरक्षित स्थानों पर समय रहते पहुँच सकेंगे और जान-माल के नुकसान को कम किया जा सकेगा।


आईआईटी रुड़की के भूविज्ञान केंद्र के प्रोफेसर कमल ने बताया कि भूकंप का पूर्वानुमान अभी तक नहीं लगाया जा सकता है, लेकिन भूकंप आने के बाद लोगों को सुरक्षित करने के लिए यह प्रणाली काम करेगी। 2017 में राज्य सरकार ने इस परियोजना की जिम्मेदारी आईआईटी रुड़की को सौंपी थी, जिसके बाद इस तकनीकी समाधान को विकसित किया गया।


इस प्रणाली के तहत, राज्य में 169 सेंसर और 112 सायरन लगाए गए हैं। भूकंप आने पर दो प्रकार की तरंगें उत्पन्न होती हैं – एक प्राथमिक (प्राइमरी) और एक द्वितीयक (सेकेंडरी)। जहां प्राथमिक तरंग तेज होती है, वहीं सेकेंडरी तरंग घातक होती है, लेकिन उसकी गति प्राथमिक तरंग की तुलना में कम होती है। जब प्राथमिक तरंग का पता लगेगा, तो सेंसर और इंटरनेट के माध्यम से तुरंत भूदेव एप और सायरन के जरिए सूचना दी जाएगी। इसके बाद भूदेव एप में चेतावनी का संदेश जाएगा, जिससे लोग सेकेंडरी तरंग के आने से पहले 15 से 30 सेकंड का समय पा सकेंगे और सुरक्षित स्थानों पर पहुंच सकेंगे।


यह प्रणाली केवल 5 या उससे अधिक तीव्रता के भूकंप के लिए काम करेगी और यह एप राज्य के भीतर ही काम करेगा। भूदेव एप को प्ले स्टोर और ऐप स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है।


इसके अलावा, आपदा प्रबंधन विभाग ने राष्ट्रीय भूकंप जोखिम न्यूनीकरण योजना के तहत सेंसर की संख्या बढ़ाने की योजना बनाई है। वर्तमान में 169 सेंसर लगे हैं, जिनकी संख्या बढ़ाकर 500 और सायरनों की संख्या बढ़ाकर 1000 करने की योजना है। इसके लिए विभाग ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को 150 करोड़ रुपये से अधिक का प्रस्ताव भेजा है, ताकि इस सुरक्षा प्रणाली को और भी प्रभावी बनाया जा सके।

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