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Uttarakhand: प्रदेश के 6 राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग का नोटिस, 21 जुलाई तक देना होगा जवाब

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 8 जुल॰
  • 2 मिनट पठन
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भारत निर्वाचन आयोग ने उत्तराखंड में पिछले छह वर्षों से निष्क्रिय चल रहे छह पंजीकृत अमान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPP - Registered Unrecognized Political Parties) को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। ये सभी राजनीतिक दल वर्ष 2019 से लेकर अब तक किसी भी विधानसभा या लोकसभा चुनाव में भाग नहीं ले पाए हैं, साथ ही इन दलों के पंजीकृत कार्यालयों के भौतिक ठिकाने भी नहीं पाए जा सके हैं।


चुनाव आयोग ने इन दलों को निर्देश दिया है कि वे 21 जुलाई, शाम 5 बजे तक अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करें। यदि निर्धारित समय सीमा तक कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिलता, तो आयोग इन दलों की पंजीकरण समाप्ति (डीलिस्टिंग) पर अंतिम निर्णय लेगा।


राजनीतिक व्यवस्था के शुद्धिकरण की दिशा में कदम

भारत निर्वाचन आयोग के अनुसार, इस पहल का उद्देश्य राजनीतिक दलों की पारदर्शिता को बढ़ावा देना और चुनावी व्यवस्था को शुद्ध करना है। आयोग का कहना है कि ऐसे दल जो सक्रिय रूप से लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग नहीं ले रहे, और जो केवल कागज़ों तक सीमित हैं, उन्हें पंजीकृत राजनीतिक दलों की सूची में बनाए रखना तर्कसंगत नहीं है।


उत्तराखंड में इस समय कुल 42 पंजीकृत अमान्यता प्राप्त राजनीतिक दल हैं। इनमें से कई दल लंबे समय से निष्क्रिय हैं और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के तहत पंजीकृत राजनीतिक दल के रूप में बने रहने की मूलभूत शर्तों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं।


नोटिस प्राप्त दलों की सूची:

भारतीय जनक्रांति पार्टी

पता: 12/17, चक्खुवाला, देहरादून


हमारी जनमंच पार्टी

पता: 1/12, न्यू चक्खुवाला, देहरादून


मैदानी क्रांति दल

पता: मस्जिद वाली गली, माजरा, देहरादून


प्रजा मंडल पार्टी

पता: बर्थवाल निवास, शीतला माता मंदिर मार्ग, लोअर भक्तियाना, श्रीनगर, पौड़ी गढ़वाल


राष्ट्रीय ग्राम विकास पार्टी

पता: 62, सिविल लाइन, रुड़की, हरिद्वार


राष्ट्रीय जन सहाय दल

पता: 112, न्यू कनॉट प्लेस, देहरादून


प्रक्रिया और कानून का पालन जरूरी

भारत निर्वाचन आयोग की ओर से स्पष्ट किया गया है कि पंजीकृत राजनीतिक दलों को समय-समय पर अपनी गतिविधियों, चुनावों में भागीदारी, और कार्यालय के अद्यतन विवरणों को आयोग के समक्ष प्रस्तुत करना अनिवार्य है। ऐसा न करने की स्थिति में उन्हें डीलिस्ट किए जाने का प्रावधान है।


इस प्रक्रिया के तहत आयोग पूरे देशभर में निष्क्रिय और कागजी तौर पर मौजूद राजनीतिक दलों की पहचान कर रहा है, ताकि चुनावी प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी, विश्वसनीय और उद्देश्यपरक बनाया जा सके।

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