उत्तराखंड में नहीं बढ़ेगी बिजली दरें, आयोग ने UPCL की पुनर्विचार याचिका को बताया निराधार
- ANH News
- 5 सित॰
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अपडेट करने की तारीख: 6 सित॰

देहरादून। प्रदेश की जनता के लिए राहत भरी खबर है। उत्तराखंड में बिजली महंगी नहीं होगी। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने यूपीसीएल (उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड) की उस पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें निगम ने 674.77 करोड़ रुपये की अतिरिक्त कैरिंग कॉस्ट की मांग की थी। आयोग ने इस याचिका को न केवल निराधार बताया, बल्कि स्पष्ट रूप से कहा कि याचिका में कोई नया तथ्य, स्पष्ट त्रुटि या पुनर्विचार का वैध आधार प्रस्तुत नहीं किया गया।
दरअसल, आयोग ने 11 अप्रैल 2025 को जारी टैरिफ आदेश के तहत विद्युत दरें तय की थीं। इसके विरुद्ध यूपीसीएल ने पुनर्विचार याचिका दाखिल कर अतिरिक्त खर्चों की भरपाई की मांग की थी। निगम ने दावा किया था कि उसे कुल 674.77 करोड़ रुपये की कैरिंग कॉस्ट (वित्तीय भार) उठानी पड़ी है, जिसे टैरिफ में जोड़ा जाना चाहिए। इसमें से 129.09 करोड़ रुपये डिले पेमेंट सरचार्ज (डीपीएस) के रूप में शामिल था, जिसके बारे में निगम ने तर्क दिया कि वर्ष 2012 में राज्य सरकार ने अपने लेन-देन में डीपीएस नहीं लेने का निर्णय लिया था।
हालांकि आयोग की पीठ, जिसमें अध्यक्ष एमएल प्रसाद और सदस्य (विधि) अनुराग शर्मा शामिल थे, ने स्पष्ट किया कि उपभोक्ता हो या सरकार, सभी के लिए नियम समान हैं। डीपीएस का भुगतान नियमानुसार किया जाना चाहिए और इसे टैरिफ का हिस्सा भी माना जाएगा। आयोग का मानना है कि ऐसा करने से बिजली दरों में बढ़ोतरी की बजाय संतुलन बना रहता है।
पुनर्विचार याचिका पर पांच अगस्त को आयोग द्वारा जनसुनवाई आयोजित की गई थी, जिसमें उपभोक्ताओं और अन्य हितधारकों ने बढ़ोतरी के विरोध में अपने विचार रखे थे। सभी पक्षों को सुनने और दस्तावेजों की समीक्षा के बाद आयोग ने यह निर्णय लिया कि याचिका स्वीकार करने का कोई कानूनी या तकनीकी आधार नहीं बनता।
इस बीच, आयोग के समक्ष यूपीसीएल द्वारा प्रस्तुत तीन वर्षीय व्यवसायिक योजना (बिजनेस प्लान) में लाइन लॉस (बिजली आपूर्ति के दौरान होने वाला नुकसान) का मुद्दा भी प्रमुख रहा। यूपीसीएल ने 2025-26 में 13.50 प्रतिशत, 2026-27 में 13.21 प्रतिशत और 2027-28 में 12.95 प्रतिशत लाइन लॉस का दावा किया था। लेकिन आयोग ने इसे अधिक मानते हुए लक्ष्य को क्रमशः 12.75, 12.25 और 11.75 प्रतिशत तक सीमित कर दिया। यानी निगम को अगले तीन वर्षों में तकनीकी व वाणिज्यिक हानियों को कम करते हुए 11.75 प्रतिशत तक लाना होगा।
आयोग ने यह भी कहा कि बीते वर्षों में यूपीसीएल अपने निर्धारित लक्ष्यों से पीछे रहा है। 2021-22 में जहां लक्ष्य 13.75 प्रतिशत का था, वहीं वास्तविक नुकसान 14.70 प्रतिशत रहा। इसी प्रकार 2022-23 में 13.50 के सापेक्ष 16.39 प्रतिशत और 2023-24 में 13.25 के मुकाबले 15.63 प्रतिशत लाइन लॉस रिकॉर्ड किया गया।
प्रदेश के कुछ इलाकों में यह नुकसान चौंकाने वाले स्तर पर पहुंच चुका है। जैसे लंढौरा में 69.40 प्रतिशत, जोशीमठ में 53.92, खटीमा में 53.00, मंगलौर में 47.62 प्रतिशत, जबकि गदरपुर, जसपुर, लक्सर और सितारगंज जैसे क्षेत्रों में भी यह आंकड़ा 27 प्रतिशत से अधिक रहा।
आयोग ने इस स्थिति को गंभीर मानते हुए निगम को तकनीकी सुधार, सिस्टम अपडेट और निगरानी के उपायों को प्राथमिकता देने की सख्त सलाह दी है।
यूपीसीएल के लिए यह फैसला निश्चित रूप से एक झटका है, लेकिन उपभोक्ताओं के लिए यह राहत की खबर है कि फिलहाल बिजली की दरों में कोई इजाफा नहीं होगा। अब यह देखना होगा कि निगम किस तरह से अपनी कार्यशैली में सुधार लाकर राजस्व घाटे और लाइन लॉस पर नियंत्रण करता है।




