top of page

जनता दरबार में फरियादियों के लिए इलेक्ट्रिक वाहन सेवा, अब बुजुर्ग और दिव्यांगों को मिलेगी सहूलियत

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 7 फ़र॰
  • 2 मिनट पठन



उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के जिलाधिकारी सविन बंसल हर सोमवार को जनता दरबार का आयोजन करते हैं, ताकि आमजन अपनी समस्याओं का समाधान सीधे जिलाधिकारी से प्राप्त कर सकें। हालांकि, कई बार यह देखा गया है कि बुजुर्ग और दिव्यांग फरियादियों को जनता दरबार या संबंधित दफ्तरों तक पहुंचने में कठिनाई होती है। उनकी सुविधा को ध्यान में रखते हुए, जिला प्रशासन ने एक इलेक्ट्रिक वाहन सेवा की शुरुआत की है, जिससे वे आसानी से संबंधित विभागों तक पहुंच सकें। यह सेवा पूरी तरह से निःशुल्क है।


जिलाधिकारी सविन बंसल ने बातचीत करते हुए बताया कि जनता दरबार में अक्सर बुजुर्ग और दिव्यांगजन अपनी समस्याओं के समाधान के लिए आते हैं। इन फरियादियों को अक्सर विकास भवन या सीनियर सिटीजन सेल जैसी जगहों पर भेजने की जरूरत होती है, जहां सरकारी योजनाओं और जन-कल्याणकारी कार्यक्रमों की जानकारी दी जाती है। इन स्थानों पर जाने के लिए वाहन की आवश्यकता होती है, और कई बार फरियादियों के पास न तो खुद का वाहन होता है और न ही कोई सहायक। इस समस्या को सुलझाने के लिए ही यह इलेक्ट्रिक वाहन सेवा शुरू की गई है।


इस पहल के तहत, एमजी कॉमेट कंपनी की इलेक्ट्रिक वाहन सेवा का लाभ बुजुर्ग और दिव्यांगजन उठा सकेंगे। जिलाधिकारी ने यह स्पष्ट किया कि यह सेवा पूरी तरह से निःशुल्क होगी और इसमें कोई भी शुल्क नहीं लिया जाएगा। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी फरियादी, खासकर बुजुर्ग और दिव्यांगजन, बिना किसी परेशानी के अपनी समस्याओं का समाधान करवा सकें।


हाल ही में, जनता दरबार में एक बुजुर्ग महिला अपनी शिकायत लेकर आई थीं, जिनकी समस्या को सुलझाने के लिए पुलिस प्रशासन की मदद की आवश्यकता थी। चूंकि मामले में आगे की कार्रवाई पुलिस को करनी थी, महिला को एसपी ऑफिस सरकारी वाहन से भेजा गया। इसी तरह, कई अन्य बुजुर्ग और दिव्यांगजन भी जनता दरबार में अपनी समस्याओं के समाधान के लिए आते हैं, और उनके लिए यह इलेक्ट्रिक वाहन सेवा शुरू की गई है।


इस सोमवार को आयोजित जनता दरबार में कुल 103 शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनमें विभिन्न विभागों जैसे राजस्व, एमडीडीए, नगर निगम, लोक निर्माण विभाग, बाल विकास, पुलिस आदि से संबंधित समस्याएं थीं। जिलाधिकारी ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि जिन शिकायतों का त्वरित निस्तारण संभव हो, उन्हें प्राथमिकता से हल किया जाए, जबकि जिन शिकायतों की जांच में समय लग सकता है, उन शिकायतकर्ताओं को समय रहते सूचना दी जाए ताकि उन्हें बार-बार दफ्तर के चक्कर न लगाने पड़े। अधिकारियों को इस प्रक्रिया में पारदर्शिता और तत्परता बनाए रखने की सख्त हिदायत दी गई है।

bottom of page