राजाजी टाइगर रिजर्व में फिर दहाड़, कार्बेट से लाए गए पांचवे बाघ को जंगल में छोड़ा
- ANH News
- 5 मई
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उत्तराखंड के वन्यजीव संरक्षण प्रयासों को एक और बड़ी सफलता मिलने जा रही है। कार्बेट टाइगर रिजर्व से राजाजी टाइगर रिजर्व की मोतीचूर रेंज में लाए गए पांचवे बाघ को सोमवार को खुले जंगल में छोड़ दिया जाएगा। अब तक इस बाघ को बाड़े में रखा गया था ताकि नए वातावरण में ढलने का उसे समय मिल सके। इस महत्वपूर्ण मौके पर राज्य के वन मंत्री सुबोध उनियाल भी मौजूद रहेंगे।
बाघ पुनर्वास परियोजना को मिली पूर्णता
राजाजी टाइगर रिजर्व के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में बाघों की आबादी बढ़ाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के निर्देश पर बाघों के पुनर्वास की यह महत्वाकांक्षी योजना शुरू की गई थी। इस परियोजना के तहत दिसंबर 2020 से अब तक कुल 5 बाघों को कार्बेट टाइगर रिजर्व से शिफ्ट किया गया है—जिसमें 2 नर और 3 बाघिनें शामिल हैं।
मोतीचूर रेंज में लाया गया था पांचवां बाघ
बीते बृहस्पतिवार तड़के लगभग 4 बजे, कार्बेट के बिजरानी रेंज के सांवल्दे नॉन-टूरिज्म क्षेत्र से एक करीब 5 वर्षीय नर बाघ को ट्रैंकुलाइज कर राजाजी टाइगर रिजर्व लाया गया। उसे यहां विशेष रूप से बनाए गए बाड़े में रखा गया था। अब वह पूरी तरह स्वस्थ और अनुकूल वातावरण में ढल चुका है। सोमवार को उसे जंगल में स्वतंत्र रूप से छोड़ दिया जाएगा, जिससे वह प्राकृतिक रूप से रह सके।
निगरानी के लिए हाईटेक इंतज़ाम
सभी बाघों को सैटेलाइट रेडियो कॉलर पहनाया गया है, ताकि उनकी गतिविधियों पर जीपीएस ट्रैकिंग और सीसीटीवी कैमरों के ज़रिए वन विभाग और बाघ विशेषज्ञों की टीम नजर रख सके। इन उपायों से यह सुनिश्चित किया गया है कि बाघ नए क्षेत्र में सुरक्षित रूप से विचरण कर सके और पारिस्थितिक तंत्र के साथ तालमेल बैठा सके।
वन्य संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम
राजाजी के जिस हिस्से में ये बाघ छोड़े जा रहे हैं, वहां लंबे समय से बाघों की उपस्थिति नहीं के बराबर थी। इस पुनर्वास प्रयास से न केवल बाघों का कुनबा बढ़ेगा, बल्कि पारिस्थितिक संतुलन और जैव विविधता को भी मजबूती मिलेगी।
ACF अजय लिंगवाल ने पुष्टि की कि अब बाघ पूरी तरह तैयार है और सोमवार को उसे खुले जंगल में छोड़ा जाएगा।





