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प्रदेश को मिलेगी पहली डिजिटल फॉरेंसिक लैब, जीएसटी चोरी की जांच होगी और सख्त

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 10 जुल॰
  • 1 मिनट पठन
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उत्तराखंड: प्रदेश में जीएसटी चोरी जैसे आर्थिक अपराधों की रोकथाम के लिए अब एक बड़ा कदम उठाया गया है। राज्य सरकार ने पहली डिजिटल फॉरेंसिक लैब की स्थापना को मंजूरी दे दी है। यह लैब 12.9 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित की जाएगी और इसे राष्ट्रीय फॉरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय, गुजरात द्वारा संचालित किया जाएगा।


यह डिजिटल लैब जीएसटी चोरी की जांच में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी। अभी तक टैक्स चोरी के मामलों में जब्त किए गए लैपटॉप, मोबाइल फोन और अन्य डिजिटल डिवाइस की जांच के लिए उन्हें दिल्ली या अन्य केंद्रीय प्रयोगशालाओं में भेजना पड़ता था, जिससे जांच में काफी समय लग जाता था और त्वरित कार्रवाई बाधित होती थी। लेकिन अब प्रदेश की अपनी फॉरेंसिक लैब होने से जांच प्रक्रिया तेज होगी और तुरंत कार्रवाई संभव हो सकेगी।


राज्य कर विभाग के अधिकारियों के अनुसार, विभाग की टीम लगातार फर्मों पर छापेमारी कर रही है और जांच के दौरान कई बार डिजिटल साक्ष्य जब्त किए जाते हैं। लेकिन अभी तक विभाग के पास डिजिटल डेटा की गहन जांच के लिए तकनीकी विशेषज्ञता और संसाधन नहीं थे। इसी कमी को दूर करने के लिए डिजिटल फॉरेंसिक लैब की आवश्यकता महसूस की गई, जिसका प्रस्ताव कैबिनेट से पारित हो गया है।


लैब की स्थापना के बाद न केवल जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता और सटीकता आएगी, बल्कि इससे सरकारी राजस्व में भी उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद की जा रही है। जीएसटी चोरी की घटनाओं पर सख्ती से रोक लगने से ईमानदार व्यापारियों को प्रोत्साहन मिलेगा और कर प्रणाली में विश्वास भी बढ़ेगा।

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