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रंगों से लेकर लड्डू और लट्ठों तक, तस्वीरों से जानें भारत में होली के रंग और अनूठी परंपरा की कहानी...

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 13 मार्च
  • 3 मिनट पठन


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होली, भारत का एक प्रसिद्ध और रंगीन त्योहार है, जिसे पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। हालांकि, अधिकांश लोग इसे रंग और गुलाल से मनाने के तरीके से जानते हैं, लेकिन भारत में होली मनाने के कई अनोखे और विविध रूप हैं। आइए, हम आपको बताते हैं भारत के विभिन्न हिस्सों में होली के उत्सव की कुछ खास और अनोखी परंपराओं के बारे में।


1. लट्ठमार होली (ब्रज क्षेत्र और राजस्थान)


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ब्रज क्षेत्र का बरसाना, लट्ठमार होली के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें महिलाएं पुरुषों पर लट्ठों से वार करती हैं। यह परंपरा न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी बहुत चर्चित है। राजस्थान के भरतपुर जिले और करौली के कैला देवी मंदिर में भी लट्ठमार होली का आयोजन बड़े धूमधाम से होता है। यह होली खेलने का तरीका न केवल रोमांचक है, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण है।


2. फूलों की होली (गुजरात और ब्रज क्षेत्र)


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भारत के विभिन्न हिस्सों में फूलों से होली खेलने की परंपरा भी बहुत प्रचलित है। विशेष रूप से गुजरात के द्वारका और मथुरा में स्थित द्वारकाधीश मंदिर में फूलों की होली खेली जाती है। इस होली में रंग और गुलाल की जगह रंग-बिरंगे फूलों के पंखुड़ी एक दूसरे पर फेंके जाते हैं, जो इस त्यौहार को और भी रोमांटिक और सुंदर बना देता है।


3. रंग और गुलाल की होली (उत्तर भारत)


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होली का पारंपरिक और सबसे लोकप्रिय तरीका रंगों और गुलाल से मनाया जाता है। उत्तर प्रदेश, बिहार और अन्य उत्तर भारतीय राज्यों में यह त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे पर रंग लगाकर खुशियां बांटते हैं, गाने गाते हैं, और पकवानों का आनंद लेते हैं। मथुरा, वाराणसी, पटना और दिल्ली जैसे शहरों में होली की खास धूम देखने को मिलती है। इलाहाबाद (प्रयागराज) में तो होली दो दिन तक मनाई जाती है, जो पूरे शहर में रंगों और खुशियों का माहौल बना देती है।


4. अंगारों की होली (राजस्थान)


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राजस्थान के उदयपुर जिले के बलीचा गांव में एक बहुत ही अद्भुत होली खेली जाती है, जिसे अंगारों की होली कहते हैं। इस होली में लोग जलते हुए अंगारों पर दौड़ते हैं और अपनी साहसिकता का प्रदर्शन करते हैं। यह परंपरा आदिवासी समुदाय के बीच प्रचलित है और इसे वीरता और साहस का प्रतीक माना जाता है।


5. पत्थरों वाली होली (राजस्थान)


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राजस्थान के बाड़मेर और जैसलमेर जिले में पत्थरमार होली खेली जाती है। इस होली में लोग एक-दूसरे पर छोटे-छोटे पत्थर फेंकते हैं, जिन्हें कंकड़ कहा जाता है। इस खेल में ढोल और संगीत के साथ लोग इकट्ठा होते हैं और पत्थरों से होली खेलते हैं। यह एक मजेदार और अनोखा तरीका है, जिसमें भागीदार एक-दूसरे से बचने के लिए ढाल का उपयोग करते हैं।


6. उपलों की राख से होली (राजस्थान)


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राजस्थान के डूंगरपुर क्षेत्र में गोबर से बने उपलों (कंडा) की राख से होली खेली जाती है। लोग उपलों को जलाकर उसकी राख को एक-दूसरे पर डालते हैं और इस प्रकार होली का त्योहार मनाते हैं। यह परंपरा गांवों और आदिवासी समुदायों में देखने को मिलती है, जो होली के पारंपरिक रंगों से हटकर एक अलग ही अनुभव देती है।


7. लड्डू की होली (वृंदावन और बरसाना)


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लड्डू होली, मथुरा और बरसाना के वृंदावन में विशेष रूप से मनाई जाती है। इस होली में लोग एक-दूसरे पर रंग और गुलाल की जगह लड्डू फेंकते हैं। यह होली खासतौर पर भक्तों और श्रद्धालुओं के बीच होती है, जहां लड्डू का उपयोग खुशी और उल्लास के प्रतीक के रूप में किया जाता है।


भारत के विभिन्न हिस्सों में होली के इस प्रकार के विविध रूप न केवल त्यौहार को मनाने का एक अलग अनुभव प्रदान करते हैं, बल्कि यह देश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं का भी प्रतीक हैं। चाहे वह लट्ठमार होली हो, फूलों की होली या फिर लड्डू से होली, हर रूप में होली एकता, भाईचारे और प्रेम का संदेश देती है। यह त्यौहार हमें एकजुट होने और अपने सांस्कृतिक मूल्यों को समझने का अवसर प्रदान करता है।

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