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गढ़वाली फिल्म ‘रैबार’ उत्तराखंड और दिल्ली NCR में भी 19 सितंबर को होगी रिलीज

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 12 सित॰
  • 3 मिनट पठन

अपडेट करने की तारीख: 13 सित॰

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गढ़वाली भाषा की अब तक की सबसे प्रतीक्षित और बहुप्रशंसित फीचर फिल्म "रैबार" (Raibar) अब एक ऐतिहासिक पड़ाव पर पहुँच चुकी है। किनोस्कोप फिल्म्स द्वारा निर्मित इस फिल्म का प्रदर्शन पहली बार अमेरिका में 19 सितंबर 2025 को किया जाएगा, जो उत्तराखंड की सिनेमा यात्रा में एक मील का पत्थर साबित होगा। इसके साथ ही, यही फिल्म उसी दिन उत्तराखंड और दिल्ली-एनसीआर के सिनेमाघरों में भी रिलीज की जाएगी।


"रैबार": एक भावनात्मक यात्रा, एक सांस्कृतिक दस्तावेज़

"रैबार" न केवल एक फिल्म है, बल्कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक और भाषाई विरासत का एक सजीव दस्तावेज़ है। फिल्म की कहानी पिपलकोटी नामक एक शांत पहाड़ी गाँव में रहने वाले 34 वर्षीय डाकिया पुष्कर सिंह बिष्ट के इर्द-गिर्द घूमती है। पुष्कर, जो जीवन भर अपने गाँव की सीमाओं से बाहर की दुनिया देखने की इच्छा रखता है, अपने पिता द्वारा रोके जाने के कारण मन में वर्षों से एक घुटन और खटास पाले बैठा है।


फिल्म में एक मोड़ तब आता है जब उसे डाकघर में एक ऐसा पत्र मिलता है जो सात वर्षों से अवितरित है—एक मृत व्यक्ति द्वारा अपने बेटे के नाम लिखा गया माफीनामा। यह पत्र पुष्कर को एक ऐसी यात्रा पर ले जाता है जो न केवल दिल्ली, देहरादून और ऋषिकेश जैसे शहरों के रास्तों से होकर गुजरती है, बल्कि उसके भीतर की गहराइयों में उतरती है। यह यात्रा क्षमा, आत्म-स्वीकृति और जीवन के उद्देश्य की गहन खोज में बदल जाती है।


गढ़वाली संस्कृति का जश्न

"रैबार" के माध्यम से गढ़वाली भाषा, रीति-रिवाज, परंपराएं और भावनाओं को एक ऐसी सिनेमाई भाषा में प्रस्तुत किया गया है, जो न केवल क्षेत्रीय दर्शकों को जोड़ेगी बल्कि वैश्विक दर्शकों तक भी अपनी गूंज पहुँचाएगी। इस फिल्म के साथ एक भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा जिसमें फिल्म का आधिकारिक ट्रेलर और संगीत एल्बम प्रस्तुत किया जाएगा।


फिल्म का संगीत इसकी आत्मा है। संगीतकार राजेंद्र चौहान ने पारंपरिक गढ़वाली धुनों और आधुनिक रचनाओं का ऐसा सुंदर समन्वय रचा है, जो दिल को छू लेने वाला है। इसके गीतों को डॉ. सतीश कलेश्वरी ने लिखा है, और विभु काशिव ने संगीत निर्देशन तथा पार्श्वसंगीत की जिम्मेदारी संभाली है। प्लेबैक गायकों में रोहित चौहान और कैलाश कुमार की आवाज़ें इन गीतों को और भी अधिक भावनात्मक गहराई प्रदान करती हैं।


कलाकार और टीम

फिल्म में सुनील सिंह, सुमन गौड़, श्रीष डोभाल, राजेश नौगाईं, मोहित घिल्डियाल, सुशील पुरोहित, सृष्टि रावत, मोहित थपलियाल और धर्मेंद्र चौहान जैसे प्रतिभाशाली कलाकारों ने अपने अभिनय से जान फूंकी है। फिल्म का निर्देशन शिशिर उनियाल ने किया है, जो स्वयं उत्तराखंड की मिट्टी से गहराई से जुड़े हैं। निर्माता-निर्देशक शिशिर उनियाल के साथ इस फिल्म के निर्माण में किनोस्कोप फिल्म्स के निर्माता परवीन सैनी, बलराज जांगड़ा और भगत सिंह ने अहम भूमिका निभाई है।


निर्देशक शिशिर उनियाल बताते हैं कि “रैबार की शुरुआत एक साधारण बातचीत से हुई थी, और यह यात्रा अब एक फीचर फिल्म के रूप में सामने आकर मुझे गर्वित करती है। मैंने इस कहानी के माध्यम से यह बताने की कोशिश की है कि क्षमा सिर्फ दूसरों के लिए नहीं, बल्कि आत्मिक शांति और स्वयं के विकास के लिए भी कितनी जरूरी है।”


निर्माता भगत सिंह का मानना है कि "रैबार" जैसी फिल्में केवल कहानी कहने का माध्यम नहीं होतीं, बल्कि ये उस भूमि की आत्मा को जीवित रखने का जरिया बनती हैं, जहाँ की मिट्टी में वे पली-बढ़ी होती हैं। उनका कहना है कि, “हमारा उद्देश्य उत्तराखंड की लोक-कथाओं, लोकभाषाओं और प्रतिभाओं को वैश्विक मंच पर लाना है, और 'रैबार' इस दिशा में हमारा एक विनम्र लेकिन दृढ़ प्रयास है।”


एक ऐतिहासिक क्षण की ओर

"रैबार" का अमेरिका में प्रदर्शन केवल एक फिल्म की रिलीज़ नहीं है, यह उत्तराखंड के क्षेत्रीय सिनेमा के लिए एक गर्व का क्षण है। यह फिल्म दर्शकों को यह अनुभव कराएगी कि एक साधारण गाँव का व्यक्ति भी अपनी सच्चाई, अपनी यात्रा और अपनी भाषा के माध्यम से पूरी दुनिया से संवाद कर सकता है।


गढ़वाली सिनेमा की यह ऐतिहासिक उड़ान न केवल भाषा को जीवित रखेगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बनकर रहेगी। "रैबार" निश्चित ही उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत और मानवीय संवेदनाओं को सहेजने वाली एक कालजयी फिल्म बन सकती है।

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