उत्तराखंड: तपोवन के गर्म पानी से पैदा होगी बिजली, परियोजना को मिली हरी झंडी
- ANH News
- 5 मई
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उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित तपोवन क्षेत्र अब ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में नई क्रांति लाने जा रहा है। यहां गर्म पानी के प्राकृतिक स्त्रोतों (हॉट स्प्रिंग्स) से भूतापीय ऊर्जा (Geothermal Energy) के ज़रिए बिजली बनाई जाएगी। इस महत्वाकांक्षी परियोजना की पुष्टि आइसलैंड की जानी-मानी कंपनी वर्किस के विशेषज्ञों ने की है। कंपनी ने अपनी विस्तृत सर्वेक्षण रिपोर्ट उत्तराखंड सरकार को सौंपी है, जिसमें तपोवन को भूतापीय ऊर्जा उत्पादन के लिए अत्यधिक उपयुक्त स्थान बताया गया है।
क्या है परियोजना की खासियत?
उत्तराखंड सरकार ने वर्किस कंपनी से इस परियोजना के लिए औपचारिक समझौता किया है। मार्च 2025 में वर्किस की विशेषज्ञ टीम ने उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (UJVNL) के साथ मिलकर तपोवन और आसपास के गर्म पानी के 40 से अधिक स्त्रोतों का निरीक्षण किया। टीम ने 1980 के दशक में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) द्वारा किए गए बोरवेल्स और प्राकृतिक झरनों की दोबारा जांच की।
किस स्त्रोत से कितनी ऊर्जा की संभावना?
विशेषज्ञों के अनुसार, कुछ बोरवेल और हॉट स्प्रिंग्स का तापमान और जल प्रवाह इस प्रकार है:
स्रोत का नाम तापमान (°C) जल प्रवाह (लीटर/मिनट)
बोरवेल-2 77.1 240-300
बोरवेल-3 86.5 45-60
बोरवेल-5 55.5 0
हॉट स्प्रिंग-1 56.2 180-240
हॉट स्प्रिंग-2 66.1 120-180
हॉट स्प्रिंग-3 70.2 60-120
हॉट स्प्रिंग-4 80.9 80-240
इनमें से बोरवेल-2 को सबसे उपयुक्त माना गया है, जहां तापमान और जल प्रवाह दोनों ही बिजली उत्पादन के लिए आदर्श हैं। टीम का मानना है कि इस ऊर्जा का उपयोग ज्योतिर्मठ के लगभग 5000 घरों को रोशन करने में किया जा सकता है।
कैसे बनती है जियोथर्मल एनर्जी से बिजली?
भूतापीय ऊर्जा उत्पादन की प्रक्रिया तकनीकी रूप से सरल लेकिन प्रभावशाली होती है:
-गर्म पानी के स्त्रोत तक ड्रिलिंग की जाती है।
-पानी की भाप से टरबाइन घुमाई जाती है, जिससे बिजली बनती है।
-उपयोग के बाद पानी को फिर से ज़मीन के अंदर पहुंचा दिया जाता है, जिससे पर्यावरणीय संतुलन बना रहता है।
जहां बिजली न बन सके, वहां बनेगा 'स्पा टूरिज्म' हब
सरकार की दूरदर्शी योजना केवल बिजली उत्पादन तक सीमित नहीं है। जिन क्षेत्रों में भूतापीय ऊर्जा से बिजली बनाना संभव नहीं होगा, वहां स्पा और वेलनेस टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाएगा। योजनाओं में शामिल हैं:
गर्म पानी के प्राकृतिक पूल
स्वास्थ्य रिजॉर्ट्स और टूरिस्ट होम्स
पहाड़ी इलाकों में आरामदायक वेलनेस सेंटर
इससे न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।
दुनिया कर रही है इस्तेमाल, अब बारी भारत की
अमेरिका, फिलीपींस, इंडोनेशिया जैसे 20 देश जियोथर्मल एनर्जी से हजारों मेगावाट बिजली बना रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में भी 10,600 मेगावाट तक जियोथर्मल ऊर्जा उत्पादन की संभावनाएं हैं। उत्तराखंड की यह पहल इस दिशा में एक बड़ी शुरुआत मानी जा रही है।
यह परियोजना उत्तराखंड को हरित ऊर्जा राज्य की ओर अग्रसर करने में मील का पत्थर साबित हो सकती है, साथ ही प्रदेश को पर्यटन और स्वच्छ ऊर्जा दोनों में नई ऊंचाइयों तक ले जा सकती है।





