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उत्तराखंड के भुतहा गांवों में फिर से आएगी खुशहाली, शहनाई और ढोल की आवाज़ से गूंजेगा हर कोना

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 26 जुल॰
  • 2 मिनट पठन
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उत्तराखंड के ऐसे कई गांव जो आज पलायन की वजह से 'घोस्ट विलेज' (भुतहा गांव) बन चुके हैं, जल्द ही फिर से जीवन्त और रंगीन हो उठेंगे। राज्य सरकार ने इन खाली और उजाड़ पड़े गांवों को लग्जरी वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई है। इस योजना के तहत आने वाले समय में इन गांवों में शहनाई की मधुर धुन और ढोल-दमाऊं की थाप गूंजेंगी, जो स्थानीय संस्कृति और उत्सवों को फिर से जीवित करेगी।


योजना का उद्देश्य और महत्व

उत्तराखंड में पिछले कई दशकों से ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार पलायन हो रहा है, जिसके कारण कई गांवों की आबादी न के बराबर रह गई है। सरकार ने इस समस्या को चुनौती के रूप में लेते हुए, इन ‘घोस्ट विलेजों’ को पर्यटन एवं विवाह स्थलों के रूप में पुनर्जीवित करने का फैसला किया है। इस पहल से न केवल इन गांवों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति सुधरेगी, बल्कि स्थानीय रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

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पहले चरण में चयनित 10 गांवों का विकास

योजना के पहले चरण में कुल 10 भुतहा गांवों को चयनित किया गया है, जहां पर विवाह समारोह के लिए आवश्यक आधारभूत सुविधाओं जैसे आवास, बिजली, पानी, यातायात व्यवस्था और मनोरंजन के साधन मुहैया कराए जाएंगे। इन गांवों को प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत के साथ आधुनिक सुविधाओं से सजाया जाएगा ताकि वे शादियों के लिए आकर्षक स्थल बन सकें।

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स्थानीय संस्कृति और पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

सरकार का यह कदम न केवल ग्रामीण इलाकों में पलायन को रोकने में मदद करेगा, बल्कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को भी संरक्षित और बढ़ावा देगा। इसके साथ ही, इस योजना से राज्य में पर्यटन क्षेत्र को भी मजबूती मिलेगी और आर्थिक विकास में नया आयाम जुड़ेगा।

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