Corona Vaccine नहीं, अन्य कारणों से हो रही अचानक मौतें, केंद्र सरकार ने CM सिद्धारमैया के दावे को नकारा
- ANH News
- 2 जुल॰
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अपडेट करने की तारीख: 3 जुल॰

देश में युवाओं की अचानक हो रही मौतों और विशेष रूप से हार्ट अटैक के मामलों में बढ़ोतरी को लेकर चिंताएं लगातार सामने आ रही हैं। इन घटनाओं ने खासकर कोरोना महामारी के बाद लोगों की चिंता बढ़ा दी है। हाल ही में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इन मौतों के पीछे कोरोना वैक्सीन को जिम्मेदार ठहराया, जिसके बाद यह विषय राष्ट्रीय बहस का रूप ले चुका है।
हालांकि, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और एम्स (AIIMS) द्वारा किए गए एक विस्तृत अध्ययन में यह स्पष्ट किया गया है कि युवाओं की इन अचानक मौतों का कोरोना वैक्सीन से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की सफाई: वैक्सीन है पूरी तरह सुरक्षित
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस विषय पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि कोरोना वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित और प्रभावी है। मंत्रालय ने बताया कि देश के अलग-अलग हिस्सों में अचानक हो रही मौतों की जांच की गई है, जिनमें कोरोना वैक्सीन को इसका कारण नहीं पाया गया।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने जोर देते हुए कहा कि यदि ऐसे दावे बिना वैज्ञानिक प्रमाण के किए जाते हैं, तो इससे जनता में वैक्सीन को लेकर अनावश्यक डर फैल सकता है और इससे भविष्य में टीकाकरण अभियानों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
कर्नाटक सीएम के बयान पर केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया
कर्नाटक के हासन जिले में बीते कुछ समय में 20 से अधिक युवाओं की अचानक मौत की खबरों ने राज्य में चिंता की लहर दौड़ा दी। इसके बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सार्वजनिक रूप से यह सवाल उठाया कि क्या इन मौतों के पीछे कोरोना वैक्सीन की कोई भूमिका है? उन्होंने कहा कि "जल्दबाजी में वैक्सीन को मंजूरी दी गई और व्यापक रूप से वितरित किया गया, ऐसे में यह संभव है कि इसके कुछ दुष्परिणाम सामने आ रहे हों।"
हालांकि, केंद्र सरकार ने उनके इस बयान को सिरे से खारिज कर दिया है और इसे "आधारहीन" बताया है।
क्या कहता है ICMR और NCDC का अध्ययन?
ICMR और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) ने मई 2023 से अगस्त 2023 तक 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 47 क्षेत्रीय अस्पतालों में 18 से 45 वर्ष की आयु के लोगों पर अध्ययन किया।
यह अध्ययन उन मामलों पर केंद्रित था, जिनमें अक्टूबर 2021 से मार्च 2023 के बीच अचानक मौत हुई थी। अध्ययन में पाया गया कि इन मौतों का कोई प्रत्यक्ष कारण कोरोना वैक्सीन नहीं था।
इसके अलावा, AIIMS द्वारा भी एक स्वतंत्र अध्ययन किया जा रहा है, जिसे ICMR फंडिंग प्रदान कर रहा है। प्रारंभिक निष्कर्षों में यह बात सामने आई है कि कुछ मामलों में जेनेटिक म्यूटेशन, पहले से मौजूद बीमारियाँ, कोविड संक्रमण के बाद की जटिलताएं, और जीवनशैली संबंधी कारण अचानक मौत के पीछे हो सकते हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय की चेतावनी: अफवाहों से बचें
स्वास्थ्य मंत्रालय ने जनता से अपील की है कि वे सोशल मीडिया या व्यक्तिगत बयानों के आधार पर कोरोना वैक्सीन के बारे में गलत निष्कर्ष न निकालें। मंत्रालय ने कहा कि "ऐसे दावे न केवल वैज्ञानिक तथ्यों से परे हैं, बल्कि वैक्सीन के प्रति लोगों का भरोसा भी कमजोर करते हैं। जबकि यह वैक्सीन ही थी, जिसने महामारी के दौरान लाखों लोगों की जान बचाई।"
सावधानी ही सुरक्षा है
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने बयान में यह भी कहा कि “यदि किसी को भी सीने में दर्द, सांस लेने में कठिनाई या चक्कर आने जैसे लक्षण महसूस हों, तो उन्हें तुरंत नजदीकी अस्पताल में जाकर जांच करवानी चाहिए।” इस सुझाव को केंद्र सरकार और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भी दोहराया है, ताकि संभावित जोखिमों की समय रहते पहचान की जा सके।
निष्कर्ष
भारत में युवाओं में हार्ट अटैक की घटनाएं ज़रूर बढ़ी हैं, लेकिन इनका सीधा संबंध कोरोना वैक्सीन से जोड़ना फिलहाल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से उचित नहीं है। सरकार और चिकित्सा अनुसंधान एजेंसियां इस दिशा में लगातार अध्ययन कर रही हैं और जनता को जागरूक व सुरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।





