न्यायक प्रणाली को डिजिटल बनाने की दिशा में क्रांतिकारी कदम, 2026 में 2.0 को लागू करने की तैयारी
- ANH News
- 24 सित॰
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देश की आपराधिक न्याय प्रणाली को डिजिटल और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय अब इंटर ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (ICJS) 2.0 को वर्ष 2026 तक लागू करने की तैयारी में है। यह पहल भारत सरकार के डिजिटल क्रिमिनल जस्टिस नेटवर्क को एकीकृत करने की महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा है, जिसमें एफआईआर से लेकर जांच, चार्जशीट और न्यायिक कार्यवाही तक की पूरी प्रक्रिया एक ही डिजिटल प्लेटफॉर्म पर संचालित होगी।
इसी कड़ी में पुलिस अधिकारियों को नए सिस्टम के प्रशिक्षण देने का कार्य शुरू हो गया है। आईजी एससीआरवी एवं सीसीटीएनएस, सुनील कुमार मीणा ने इसी क्रम में ऋषिकेश कोतवाली का दौरा किया और वहां उपनिरीक्षकों को ICJS सिस्टम की कार्यप्रणाली और उपयोग के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली केवल एक तकनीकी बदलाव नहीं, बल्कि न्याय व्यवस्था को अधिक पारदर्शी, उत्तरदायी और कुशल बनाने की दिशा में क्रांतिकारी पहल है।
प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि ICJS 2.0 के तहत अब पुलिस, फॉरेंसिक, अभियोजन, न्यायपालिका और जेल विभाग – ये सभी आपस में एक एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जुड़ेंगे। इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि जांच प्रक्रिया में भी पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी।
सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम) इस नई प्रणाली का आधार होगा, लेकिन ICJS 2.0 उससे कहीं अधिक उन्नत रूप होगा, जिसमें एफआईआर दर्ज होने के बाद की सारी कार्यवाहियां – केस डायरी, चार्जशीट, अभियोजन रिपोर्ट और अन्य दस्तावेज डिजिटल रूप से अपलोड और साझा किए जाएंगे।
आईजी सुनील मीणा ने विशेष रूप से यह उल्लेख किया कि उपनिरीक्षक (SI) की भूमिका इस सिस्टम में अत्यंत महत्वपूर्ण होगी। उन्हें हर केस से जुड़ी जानकारी को समय पर और सटीक रूप से ऑनलाइन दर्ज करनी होगी। यह जिम्मेदारी न केवल सिस्टम को सफल बनाने के लिए ज़रूरी है, बल्कि इससे पुलिस अधिकारियों को भी जांच में व्यवस्थित रिकॉर्ड और त्वरित सूचना प्राप्त होगी, जिससे वे अधिक प्रभावी ढंग से कार्य कर सकेंगे।
उन्होंने यह भी बताया कि राज्य के हर जिले में पुलिस अधिकारियों और जांच अधिकारियों को ICJS 2.0 का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि जब यह सिस्टम 2026 से पूरी तरह ऑनलाइन हो, तो हर स्तर पर उसका कुशल उपयोग संभव हो सके।
ऋषिकेश कोतवाली में आयोजित इस प्रशिक्षण सत्र में एसएसआई शिशुपाल राणा, एसआई विनय शर्मा, नवीन डंगवाल, निखिलेश बिष्ट सहित कई पुलिस अधिकारी उपस्थित रहे।
ICJS 2.0 के कार्यान्वयन से यह उम्मीद की जा रही है कि देश में अपराध और न्याय से जुड़ी प्रक्रिया अधिक तत्पर, सटीक और डिजिटल रूप से ट्रैक योग्य हो सकेगी। यह पहल डिजिटल इंडिया के विजन को न्याय प्रणाली में साकार करने की दिशा में एक ठोस कदम है।





