जन और जानवर दोनों सुरक्षित रहें... शीतलहर से निपटने के लिए कार्ययोजना बनाने के निर्देश
- ANH News
- 21 घंटे पहले
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उत्तराखंड: राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी आनंद स्वरूप ने आगामी शीतलहर के मद्देनज़र सभी जिलों को समय रहते ठोस कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि ठंड बढ़ने के साथ ही बेसहारा और निराश्रित लोगों को सुरक्षित ठिकाना मुहैया कराना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है। इस क्रम में उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को रैन बसेरों की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित करने और भीड़भाड़ वाले स्थानों जैसे बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों तथा प्रमुख चौक-चौराहों पर अलाव की समुचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए।
सचिवालय में आयोजित बैठक के दौरान आनंद स्वरूप ने कहा कि जरूरत पड़ने पर रैन बसेरों की संख्या बढ़ाई जा सकती है ताकि किसी भी व्यक्ति को खुले आसमान के नीचे ठंड में रात न गुजारनी पड़े। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि सभी रैन बसेरों में साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाए और वहां आवश्यक वस्तुएं जैसे हीटर, पानी गर्म करने की रॉड, पर्याप्त बिस्तर और कंबल उपलब्ध कराए जाएं।
उन्होंने कहा कि बर्फबारी से प्रभावित क्षेत्रों में पहले से तैयारी कर ली जाए। जहां सर्दियों में सड़क मार्ग बंद हो जाते हैं और राशन पहुंचाना कठिन हो जाता है, वहां आगामी दो से तीन महीनों का आवश्यक खाद्य सामग्री का भंडारण कर लिया जाए। साथ ही, जिन मार्गों पर बर्फबारी के कारण आवागमन प्रभावित होता है, वहां जेसीबी मशीन, पोकलैंड, स्नो कटर और वाहनों को निकालने के लिए चेन जैसी मशीनरी पहले से तैयार रखी जाए। उन्होंने यह भी कहा कि फिसलन की स्थिति में सड़कों पर चूने और नमक का छिड़काव किया जाए, ताकि दुर्घटनाओं को रोका जा सके। ऐसे स्थानों पर साइन बोर्ड लगाकर लोगों को संभावित खतरे के प्रति सतर्क किया जाना चाहिए।
अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी (क्रियान्वयन) डीआईजी राजकुमार नेगी ने कहा कि राज्य में शीतकालीन यात्रा भी शुरू हो चुकी है, इसलिए श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए सभी आवश्यक सुविधाओं की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि ठंड के मौसम में यात्रियों को असुविधा न हो, इसके लिए स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग समन्वय के साथ कार्य करें।
आनंद स्वरूप ने बैठक में यह भी जोर दिया कि ठंड के मौसम में केवल इंसानों ही नहीं, बल्कि निराश्रित पशुओं की देखभाल भी उतनी ही जरूरी है। उन्होंने सभी जिलों से कहा कि मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए पशुपालन विभाग के साथ समन्वय स्थापित किया जाए और प्रत्येक जिले में ऐसे स्थान चिन्हित किए जाएं जहां बेसहारा पशुओं को ठहराने और उनकी देखभाल की उचित व्यवस्था हो सके।
उन्होंने आगे कहा कि इस वर्ष राज्य के विभिन्न हिस्सों में आई आपदाओं के कारण कई परिवार बेघर हुए हैं। ऐसे सभी प्रभावित लोगों का विशेष ध्यान रखा जाए। राहत शिविरों में रह रहे परिवारों को किसी प्रकार की परेशानी न हो, यह सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने संबंधित विभागों को यह भी निर्देश दिया कि ठंड के मौसम में विशेष रूप से राहत शिविरों में पर्याप्त गरम कपड़े, कंबल, और भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
आनंद स्वरूप ने मैदानी क्षेत्रों में कोहरे से उत्पन्न खतरों को देखते हुए भी विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि परिवहन विभाग के साथ समन्वय कर सभी वाहनों में रिफ्लेक्टर लगाने की कार्रवाई तेजी से की जाए, ताकि दृश्यता कम होने के बावजूद सड़क दुर्घटनाओं की आशंका को न्यूनतम किया जा सके।
बैठक में संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहम्मद ओबेदुल्लाह अंसारी, डॉ. पूजा राणा, डॉ. वेदिका पंत, रोहित कुमार और हेमंत बिष्ट सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे।
इस प्रकार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने सर्दी और शीतलहर से निपटने के लिए मानव और पशु- दोनों स्तरों पर सुरक्षा, राहत और जनकल्याण की एक व्यापक रूपरेखा तैयार करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं।





