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अगर मुझे पाकिस्तान या नर्क में से कोई एक चुनने का मौका मिले, तो मैं नर्क जाना पसंद करूंगा: जावेद अख्तर

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 18 मई
  • 2 मिनट पठन
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अपने बेबाक अंदाज़ और निर्भीक सोच के लिए पहचाने जाने वाले गीतकार, लेखक और कवि जावेद अख्तर एक बार फिर अपने बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। हाल ही में 'ऑपरेशन सिंदूर' के संदर्भ में उन्होंने पाकिस्तान पर तेज हमला बोलते हुए ऐसा बयान दिया, जिसने एक बार फिर उन्हें राष्ट्रीय चर्चा के केंद्र में ला खड़ा किया है।


"दोनों तरफ से मिलती हैं गालियां, तो समझता हूं मैं सही रास्ते पर हूं"

जावेद अख्तर हाल ही में मुंबई में आयोजित राजनेता संजय राउत की किताब ‘Heaven in Hell’ के विमोचन कार्यक्रम में पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने एएनआई से बातचीत में कहा:


"मेरे ट्वीट्स पढ़िए, बहुत सारी गालियां मिलती हैं। दोनों तरफ से — इधर के कट्टरपंथी भी गाली देते हैं, उधर के भी। अगर कभी किसी तरफ से गाली आनी बंद हो जाए, तो मुझे चिंता होगी कि कहीं मैं कुछ गलत तो नहीं कर रहा।"


इस बयान के ज़रिए उन्होंने यह जताया कि संतुलन और तटस्थता की कीमत अक्सर दोनों ओर से आलोचना के रूप में चुकानी पड़ती है, और वे इसके लिए तैयार हैं।


बातचीत के दौरान जब उनसे उनकी आलोचनाओं को लेकर पूछा गया, तो जावेद अख्तर ने उसी सहज मगर तीखे अंदाज़ में जवाब देते हुए कहा:


"कुछ लोग कहते हैं कि मैं काफ़िर हूं और नर्क जाऊं, तो कुछ कहते हैं कि मैं जिहादी हूं और पाकिस्तान चला जाऊं। अगर मुझे नर्क और पाकिस्तान में से किसी एक को चुनना हो... तो मैं नर्क जाना पसंद करूंगा।"


इस टिप्पणी को लेकर सोशल मीडिया पर मजबूत प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं — कुछ लोगों ने इसे भारत के प्रति उनकी निष्ठा का प्रतीक बताया, तो कुछ ने इसे सीधी राजनीतिक टिप्पणी माना।


जावेद अख्तर: एक विचारक, कवि और लेखक की छवि

जावेद अख्तर महज़ एक गीतकार या पटकथा लेखक नहीं हैं, वे भारतीय सिनेमा और समाज में एक सोच, एक दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने:


‘सीता और गीता’, ‘जंजीर’, ‘दीवार’, ‘शोले’ जैसी सुपरहिट फिल्मों की पटकथा लिखी


‘तेजाब’, ‘बॉर्डर’, ‘1942: अ लव स्टोरी’ जैसी फिल्मों के लिए यादगार गीतों की रचना की


साथ ही वे सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर निडरता से अपनी राय रखने के लिए भी जाने जाते हैं


बेबाक बयानों के लिए अक्सर विवादों में रहते हैं

जावेद अख्तर धर्म, राजनीति, कट्टरता और मानवाधिकार जैसे मुद्दों पर खुलकर बोलते रहे हैं। चाहे वह तालिबान पर टिप्पणी हो, पाकिस्तान में कट्टरपंथ के खिलाफ आवाज़ उठाना हो या भारत में उग्र राष्ट्रवाद पर सवाल — उन्होंने हमेशा दो टूक राय रखी है, जिसके कारण वे सराहे भी गए हैं और आलोचना का शिकार भी।

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