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Kedarnath Helicopter Crash: पिछले तीन वर्ष में आर्यन हेली एविएशन का दूसरा हेलिकॉप्टर क्रैश, वजह एक ही थी

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 16 जून
  • 2 मिनट पठन

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उत्तराखंड के पवित्र तीर्थस्थल केदारनाथ की ओर श्रद्धा से भरी यात्रा रविवार को एक बार फिर शोक यात्रा में बदल गई, जब आर्यन हेली एविएशन का एक हेलिकॉप्टर रुद्रप्रयाग जिले के गौरीकुंड क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में पायलट सहित सात लोगों की मौत हो गई, जिनमें 23 महीने की एक मासूम बच्ची भी शामिल है।


तीन वर्षों में दूसरी दुर्घटना, फिर छाया कोहरा बना काल

यह कोई पहली घटना नहीं है। बीते तीन वर्षों में आर्यन हेली एविएशन का यह दूसरा बड़ा हादसा है। इससे पूर्व 18 अक्टूबर 2022 को इसी कंपनी का एक हेलिकॉप्टर केदारनाथ से गुप्तकाशी के लिए उड़ान भरने के बाद गरुड़चट्टी के समीप दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। उस हादसे में भी पायलट सहित सभी सात यात्रियों की मौत हो गई थी।


2022 की उस त्रासदी में पूर्व सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल अनिल सिंह, जो कि सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद आर्यन हेली एविएशन से जुड़े थे, अपनी सेवा की आखिरी उड़ान पर थे। दुर्भाग्यवश, वह उड़ान उनके जीवन की अंतिम उड़ान बन गई।


इतिहास फिर दोहराया गया, इस बार लेफ्टिनेंट कर्नल राजवीर सिंह चौहान बने हादसे का शिकार

रविवार, 16 जून 2025 को, जब सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल राजवीर सिंह चौहान ने केदारनाथ से गुप्तकाशी के लिए उड़ान भरी, तो मौसम सामान्य नहीं था। हेलिकॉप्टर ने जैसे ही कुछ दूरी तय की, अचानक घना कोहरा छा गया। कम दृश्यता के कारण हेलिकॉप्टर का संतुलन बिगड़ा और वह कुछ ही दूरी पर गहरी खाई में गिरकर जल गया।


चश्मदीदों की माने तो हादसे का कारण बना ‘कोहरा’

हेलिकॉप्टर नोडल अधिकारी राहुल चौबे ने बताया कि हादसा सुबह करीब 5:30 बजे हुआ। उस समय विजिबिलिटी लगभग शून्य थी। हेलिकॉप्टर उड़ान भरते ही कुछ ही मिनटों में रडार से गायब हो गया और फिर गिरते ही उसमें भीषण आग लग गई।


चश्मदीदों के अनुसार, दुर्घटना स्थल के आसपास घना कोहरा अचानक छा गया था और हेलिकॉप्टर ने एक ऊंचे पेड़ से टकराकर सीधे जमीन से टक्कर खाई। हादसा इतना भयावह था कि हेलिकॉप्टर के परखच्चे उड़ गए और शवों की पहचान कर पाना भी मुश्किल हो गया।


सेवा स्थगित, एसओपी पर सख्त निर्देश

हादसे के बाद घटनास्थल पर एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीमें तुरंत रवाना हुईं। राहत व बचाव कार्य युद्ध स्तर पर शुरू किया गया। घटना की गंभीरता को देखते हुए प्रदेश में सभी हेली सेवाएं अगली सूचना तक स्थगित कर दी गई हैं।


मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हादसे पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए हेली सेवा प्रबंधन और संचालन व्यवस्था पर सख्ती के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा:


“हमारी सरकार किसी भी स्तर पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा से समझौता नहीं करेगी। हेली सेवाओं के लिए एक सख्त स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) तैयार किया जाएगा, जिसमें तकनीकी जांच, मौसम की सटीक जानकारी और उड़ान से पहले सभी सुरक्षा मापदंडों का पालन अनिवार्य होगा।”



बार-बार दोहराए जा रहे हादसे यह सवाल उठाते हैं कि क्या हमारी तीर्थ यात्रा की व्यवस्थाएं मौसम और तकनीकी जोखिमों के अनुरूप परिपक्व हैं? श्रद्धा से भरी यात्राओं को अगर दुखांत में बदलने से रोकना है, तो अब सिर्फ संवेदनाएं नहीं, व्यवस्था की सख्ती और ईमानदारी भी ज़रूरी है।

 
 
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