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केदारनाथ यात्रा के लिए तैयार होंगे ‘स्वस्थ घोड़े-खच्चर’, 9 मई से ट्रायल संचालन शुरू

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 9 मई
  • 2 मिनट पठन

चारधाम यात्रा के सबसे संवेदनशील और व्यस्त मार्गों में से एक केदारनाथ धाम की यात्रा को लेकर राज्य सरकार ने पशु प्रबंधन और स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर सख्त तेवर अपनाए हैं। प्रदेश के पशुपालन एवं दुग्ध विकास मंत्री सौरभ बहुगुणा ने गुरुवार को सोनप्रयाग पहुंचकर यात्रा मार्ग की व्यवस्थाओं और पशुओं की स्थिति का निरीक्षण किया।


मंत्री बहुगुणा ने इक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस की आशंका को देखते हुए पशुपालन विभाग के अधिकारियों के साथ विशेष समीक्षा बैठक की और निर्देश दिए कि बिना चिकित्सकीय जांच के कोई भी घोड़ा या खच्चर यात्रा मार्ग पर नहीं भेजा जाएगा।


घोड़ा-खच्चरों की सेहत पर विशेष ध्यान

कैबिनेट मंत्री ने जानकारी दी कि गौरीकुंड में स्वस्थ घोषित किए गए घोड़ा-खच्चरों का परीक्षण पूर्ण हो चुका है। इसके तहत 9 मई (शुक्रवार) से इन पशुओं का ट्रायल संचालन शुरू किया जाएगा। ट्रायल के पहले चरण में इन घोड़ा-खच्चरों का उपयोग राशन सामग्री की ढुलाई में किया जाएगा।


यदि इस दौरान व्यवस्थाएं संतोषजनक पाई गईं, तो सीतापुर, रामपुर और त्रियुगीनारायण जैसे अन्य पड़ावों से भी घोड़ा-खच्चरों को यात्रा मार्ग पर शामिल किया जाएगा।


प्रत्येक पशु की निगरानी पशु चिकित्सकों की प्रत्यक्ष उपस्थिति में की जाएगी।


चिकित्सकीय सुविधाएं होंगी मजबूत

मंत्री ने निर्देश दिया कि गौरीकुंड से केदारनाथ के बीच चार पशु चिकित्सालय खोले जाएं। हर केंद्र पर एक 15 सदस्यीय टीम तैनात की जाएगी जिसमें:


पशु चिकित्सक


पुलिसकर्मी


सहायक कर्मचारी


शामिल होंगे, जो यात्रा मार्ग पर नियमित जांच करेंगे और पशु स्वास्थ्य संबंधी निगरानी बनाए रखेंगे।


क्वारंटीन और इलाज की सुविधा भी सुनिश्चित

मंत्री बहुगुणा ने कहा कि बीमार पाए गए घोड़ा-खच्चरों को क्वारंटीन सेंटर में रखा जाएगा, जहां नि:शुल्क इलाज की सुविधा उपलब्ध होगी।


यदि कोई पशुपालक अपने पशु को घर वापस ले जाना चाहे, तो उसे चारे और इलाज के लिए 50% सब्सिडी दी जाएगी।


उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों पर भी विशेष सतर्कता रखने और बाहरी राज्यों से आने वाले पशुओं की अनिवार्य स्वास्थ्य जांच के आदेश दिए।


विशेषज्ञों की राय: क्वारंटीन और देखभाल है जरूरी

इस दौरान पंतनगर विश्वविद्यालय के वेटरनरी मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. जे.एल. सिंह ने सुझाव दिया कि यात्रा से पहले हर घोड़ा-खच्चर को कम-से-कम 15 दिन के क्वारंटीन में रखा जाए।


उन्हें समय पर दवाइयां, गर्म पानी और चिकित्सकीय देखरेख मिलनी चाहिए ताकि वे यात्रा के दौरान पूरी तरह स्वस्थ रहें।


उपस्थित अधिकारी और संगठन प्रतिनिधि

निरीक्षण और समीक्षा बैठक के दौरान जिलाधिकारी डॉ. सौरभ गहरवार, मुख्य विकास अधिकारी डॉ. जी.एस. खाती, एडीएम श्याम सिंह राणा, व्यापार संघ अध्यक्ष अंकित गैरोला समेत अनेक प्रशासनिक अधिकारी और सामाजिक प्रतिनिधि मौजूद रहे।

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