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Rishikesh: फ्लैट्स की मोटी कमाई की लालसा, खतरे में इंसानी जान, 40 हजार वोल्ट की लाइन के नीचे धड़ल्ले से हो रहा बहुमंजिला निर्माण

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 31 मई
  • 2 मिनट पठन
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ऋषिकेश के टिहरी विस्थापित क्षेत्र में एक गंभीर और चिंताजनक मामला सामने आया है। जहां चालीस हजार वोल्ट की हाइटेंशन विद्युत लाइन के ठीक बगल में बहुमंजिला फ्लैट्स का निर्माण कार्य तेज़ी से चल रहा है। यह स्थिति न केवल बिजली सुरक्षा मानकों का सीधा उल्लंघन है, बल्कि यहां भविष्य में रहने वालों की जान को भी सीधा खतरा हो सकता है। बिल्डरों को आमजन की जान से कोई मतलब नहीं इन्हें बस फ्लैट्स बनाकर उनसे मोटी कमाई वसूलनी है। विस्थापित जमीनों में फ्लैट्स से ये अपनी लालसा की पूर्ति तो कर लेंगे लेकिन इनमें रहने वाले और आस-पास के लोगों की ज़िंदगी का क्या? यदि भविष्य में कोई दुर्घटना होती है तो उसका जवाब तो शासन-प्रशासन को ही देना होगा।


नियमों रखा जेब में और कर दिया शुरू

पॉवर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (पिटकुल) और स्थानीय प्रशासन की चुप्पी इस पूरे मामले को और भी अधिक गंभीर बना रही है। नियमों के मुताबिक, हाईटेंशन लाइन के आसपास एक निश्चित दूरी तक किसी भी प्रकार के आवासीय निर्माण पर प्रतिबंध होता है। लेकिन यहां इन नियमों की खुलेआम अनदेखी की जा रही है।


पनपीं फ्लैट्स की मोटी कमाई की लालसा, खतरे में इंसानी जान

टिहरी बांध परियोजना के चलते विस्थापित हुए सैकड़ों परिवारों को पथरी, ऋषिकेश और अन्य इलाकों में पुनर्वास के लिए भूमि दी गई थी। समय के साथ इन ज़मीनों पर बिल्डरों की नज़र पड़ी और उन्होंने विस्थापितों से ज़मीनें खरीदकर वहां धड़ल्ले से बहुमंजिला इमारतों का निर्माण शुरू कर दिया।


इन निर्माण स्थलों में सबसे चौंकाने वाला दृश्य ऋषिकेश में गंगा किनारे स्थित विस्थापित क्षेत्र में देखा गया, जहां 40,000 वोल्ट की हाइटेंशन लाइन के बिल्कुल पास निर्माण कार्य ज़ोरों पर है। यहां अगर कोई फ्लैट बेचा गया या किराए पर दिया गया, तो उसमें रहने वाले लोगों की जान हर वक्त खतरे में रहेगी।



प्रशासन और पिटकुल की खामोशी पर उठते सवाल

बिजली सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, हाइटेंशन लाइनों के इतने नज़दीक किसी भी तरह का निर्माण कार्य “घातक” साबित हो सकता है। विद्युत चुम्बकीय विकिरण (Electromagnetic Radiation) से स्वास्थ्य को गंभीर खतरा होता है और उच्च वोल्टेज की लाइन से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। इसके बावजूद न तो पिटकुल और न ही प्रशासन कोई कार्रवाई करता नज़र आ रहा है। लोगों के जान-माल की सुरक्षा के जिम्मेदार ये विभाग आखिर कब जागेंगे?



मोटा पैसा खिलाया है तो काम तो होकर रहेगा

इस बारे में यहाँ के आस-पास के लोगों से बात की तो उनका कहना है कि इमारतों के निर्माण के लिए हमने रोकटोक की थी जिसके लिए हमें एक ही जवाब मिलता है कि ऊपरवालों को मोटा पैसा खिला रखा है तो ये निर्माण कार्य रोक नहीं सकते। अब ये ऊपर वाला है कौन? जो चंद पैसो के लिए लोगों की जान को जरिया बना रहे हैं। अगर शासन-प्रशासन द्वारा इसे रोका नहीं गया तो आने वाले वक्त में कई बड़ी घटनाओं का अंदेशा जरूर बना रहेगा।


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