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उत्तराखंड में विवाह और लिव-इन पंजीकरण अनिवार्य, UCC की नियमावली पर कैबिनेट की मुहर

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 22 जन॰
  • 3 मिनट पठन


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उत्तराखंड सरकार ने राज्य में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में सोमवार को सचिवालय में हुई कैबिनेट बैठक में इस संबंध में नियमावली को मंजूरी दे दी गई। यह नियमावली राज्य के नागरिकों के विवाह, विवाह विच्छेद, उत्तराधिकार, लिव-इन रिलेशनशिप, और इनकी समाप्ति के पंजीकरण के संदर्भ में विस्तृत दिशा-निर्देश देती है।


लिव-इन रिलेशनशिप और विवाह का पंजीकरण अनिवार्य

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नियमावली के तहत, लिव-इन में रहने वाले सभी व्यक्तियों को कानून लागू होने के एक माह के भीतर पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। यह पंजीकरण केवल रजिस्ट्रार के सामने होगा, और निर्धारित तिथि तक पंजीकरण न कराने पर विलंब शुल्क वसूला जाएगा। इसके अलावा, 26 मार्च 2010 के बाद हुए सभी विवाहों का पंजीकरण अनिवार्य किया गया है, जिसके लिए छह माह की समय सीमा निर्धारित की गई है। जो लोग पहले ही पंजीकरण करा चुके हैं, उन्हें भी अपनी जानकारी संबंधित पोर्टल पर अपडेट करनी होगी।



नागरिकों को मिलेगा ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा

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राज्य सरकार ने पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए ऑनलाइन पोर्टल की व्यवस्था की है। इसके जरिए लोग विवाह, विवाह विच्छेद, और लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण कर सकते हैं। जहां इंटरनेट की सुविधा नहीं होगी, वहां सीएचसी (कृषि स्वास्थ्य केंद्र) के एजेंट घर-घर जाकर पंजीकरण में मदद करेंगे। पंजीकरण प्रक्रिया में आधार कार्ड को पहचान पत्र के रूप में उपयोग किया जाएगा, जिससे इसे और अधिक सुलभ और पारदर्शी बनाया जाएगा। साथ ही, पोर्टल पर किसी भी प्रकार की शिकायत दर्ज करने की भी सुविधा होगी।



पंचायत और नगर निकायों पर जिम्मेदारी

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राज्य सरकार ने पंजीकरण के लिए पंचायत, नगर पालिका और नगर निगम स्तर पर अलग-अलग रजिस्ट्रार और सब रजिस्ट्रार नियुक्त किए हैं, ताकि नागरिकों को पंजीकरण की प्रक्रिया में कोई असुविधा न हो।



मुख्यमंत्री ने किया राज्यवासियों से वादा

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कैबिनेट बैठक के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में, उन्होंने 2022 विधानसभा चुनाव में राज्यवासियों से समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा किया था। अब उस वादे को पूरा करते हुए, समान नागरिक संहिता की नियमावली पर मुहर लग चुकी है, और जल्द ही इसे लागू करने की तिथि की घोषणा की जाएगी। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि "समान नागरिक संहिता की गंगा उत्तराखंड से निकलकर पूरे देश में जाएगी।



समान नागरिक संहिता का उद्देश्य

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समान नागरिक संहिता का उद्देश्य राज्य में सभी नागरिकों के लिए एक समान और समान अधिकारों वाला कानूनी ढांचा तैयार करना है। इसके तहत विवाह, विवाह विच्छेद, उत्तराधिकार, और लिव-इन रिलेशनशिप जैसी व्यवस्थाओं को समान रूप से लागू किया जाएगा, जिससे समाज में न्याय और समानता सुनिश्चित की जा सके।



महत्वपूर्ण बिंदु

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-ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से पंजीकरण के लिए आवेदन किया जा सकेगा।

-इंटरनेट की उपलब्धता नहीं होने पर, सीएचसी के एजेंट घर-घर पंजीकरण की सुविधा प्रदान करेंगे।

-आधार कार्ड के आधार पर पंजीकरण किया जा सकेगा।

-पोर्टल के माध्यम से शिकायतें भी दर्ज की जा सकेंगी।

-विवाह विच्छेदन से संबंधित सभी सूचना के लिए 60 दिन का समय निर्धारित किया गया है।

-लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले व्यक्तियों को एक माह के भीतर पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।

-राज्य में पंचायत, नगर पालिका और नगर निगम स्तर पर उप रजिस्ट्रार और रजिस्ट्रार नियुक्त किए जाएंगे।


भविष्य में राज्य का अहम कदम

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उत्तराखंड, भारत का पहला राज्य होगा जो स्वतंत्रता के बाद समान नागरिक संहिता लागू करेगा, और इससे राज्य को एक आदर्श मॉडल के रूप में देखा जाएगा। इस कदम से राज्य में सामाजिक न्याय, समानता और समरसता को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जिससे नागरिकों को उनके मूलभूत अधिकार मिल सकें।


यह निर्णय उत्तराखंड के लिए एक ऐतिहासिक पल है, जो पूरे देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।

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