हवाई हमले जैसे हालात में कैसी होगी तैयारी? आज मॉक ड्रिल में परखी सुरक्षा एजेंसियों की चौकसी
- ANH News
- 7 मई
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आपातकालीन स्थितियों, विशेषकर हवाई हमलों और अन्य आपदाओं से निपटने की तैयारियों के तहत बुधवार शाम चार बजे से देहरादून शहर में एयर रेड सायरन बजाकर मॉक ड्रिल की जाएगी। प्रशासन और सिविल डिफेंस विभाग ने इस अभ्यास की सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। मॉक ड्रिल के दौरान आम नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का अभ्यास किया जाएगा और इस प्रक्रिया में लोगों को जागरूक भी किया जाएगा कि आपात स्थिति में उन्हें कैसे प्रतिक्रिया देनी चाहिए।
पांच क्षेत्रों में होगा अभ्यास, बड़े भवनों से निकाले जाएंगे लोग
सिविल डिफेंस के स्वयंसेवी शहर के पांच प्रमुख इलाकों में यह अभ्यास करेंगे। इसमें बड़े आवासीय और सरकारी भवनों से लोगों को बाहर निकालकर सुरक्षित स्थानों तक ले जाने का अभ्यास शामिल होगा। इस मॉक ड्रिल के ज़रिए न केवल तैयारियों को परखा जाएगा, बल्कि यदि किसी स्तर पर कमियां या समय में देरी मिलती है, तो उन्हें तुरंत दुरुस्त करने की योजना है।
प्राथमिकता होगी रिस्पांस टाइम की जांच
मॉक ड्रिल का मुख्य उद्देश्य है – सायरन बजने और सिविल डिफेंस की प्रतिक्रिया के बीच के समय (रिस्पांस टाइम) को मापना। यह देखा जाएगा कि अलर्ट मिलने के कितने समय के भीतर सुरक्षा एजेंसियां मोर्चा संभालती हैं और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं।

लोगों को किया जाएगा संभावित खतरों से सतर्क
इस अभ्यास के दौरान नागरिकों को भविष्य में संभावित आपदाओं और हमलों के प्रति सतर्क किया जाएगा। बताया जाएगा कि एयर रेड के दौरान कहां शरण लें, किन चीज़ों को अपने पास रखें, किनसे बचें और ब्लैकआउट के समय क्या सावधानियां बरतें। इस प्रक्रिया में स्थानीय पुलिस बल को भी अलर्ट मोड में रखा गया है।

सभी एयर रेड सायरन कार्यशील पाए गए
अभ्यास से पहले शहर के आराघर चौकी, धारा चौकी, एनआईईपीवीडी, कलेक्ट्रेट और लक्खीबाग में लगाए गए सायरनों की जांच की गई, जो सही स्थिति में पाए गए। जिलाधिकारी सविन बंसल ने स्वयं सिविल डिफेंस के अधिकारियों और वार्डन के साथ बैठक कर तैयारियों की समीक्षा की। सिविल डिफेंस के डीजी पीवीके प्रसाद ने जानकारी दी कि सभी व्यवस्थाएं पूरी तरह तैयार हैं।

ऐसा अभ्यास पहले भी हो चुका है
इससे पहले जून 2023 में भी आपदा प्रबंधन को लेकर शहर में मॉक ड्रिल की गई थी। उस दौरान भी इन एयर रेड सायरनों को परखा गया था और सिविल डिफेंस तथा होमगार्ड के जवानों ने लोगों को जागरूक किया था। भविष्य में आपदा-प्रवण क्षेत्रों में इस तरह के सायरनों को और अधिक स्थानों पर लगाने की योजना भी बनाई गई थी।

यह मॉक ड्रिल सिर्फ एक प्रशासनिक औपचारिकता नहीं, बल्कि नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की एक व्यवस्थित और जागरूकता-प्रधान कवायद है। इसका उद्देश्य है — समय रहते हर नागरिक को सतर्क करना और जानमाल की सुरक्षा करना।





