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मदर्स डे स्पेशल: मां के कई रूप... बॉलीवुड की वो अदाकाराएं जिन्होंने परदे पर रचा मातृत्व का इतिहास

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 11 मई
  • 3 मिनट पठन
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‘राजा और रंक’ का ये अमर गीत न केवल एक फिल्मी रचना है, बल्कि हर दिल की गहराई में बसी मां की मूरत को स्वर देने वाली अभिव्यक्ति है। मदर्स डे के अवसर पर जब सोशल मीडिया पर यह गीत गूंजता है, तो याद आती हैं वो अदाकाराएं जिन्होंने हिंदी सिनेमा के परदे पर मां को सिर्फ निभाया नहीं, जी लिया।


बॉलीवुड ने मां के किरदार को हमेशा विशेष सम्मान दिया है। कभी ममता का सागर, तो कभी त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति। आइए जानते हैं उन प्रतिष्ठित अभिनेत्रियों के बारे में, जिन्होंने परदे पर मां के किरदार को अमर बना दिया।


1. निरूपा रॉय – ‘मेरे पास मां है’ की असली मूरत

जब भी बॉलीवुड में मां का ज़िक्र होता है, निरूपा रॉय का नाम सबसे पहले आता है। दीवार, मुकद्दर का सिकंदर, अमर अकबर एंथनी, मर्द जैसी अनगिनत फिल्मों में उन्होंने मां की भूमिका को इतना जीवंत किया कि उन्हें ही "बॉलीवुड की मां" कहा जाने लगा।


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अमिताभ बच्चन से लेकर शशि कपूर और धर्मेंद्र तक—निरूपा रॉय ने लगभग 200 फिल्मों में मां का किरदार निभाकर एक मिसाल कायम की।


2. दुर्गा खोटे – गरिमा और गंभीरता की प्रतीक मां

‘मुगल-ए-आज़म’ में सलीम की मां और ‘कर्ज’ जैसी फिल्मों में उनकी गरिमामयी मौजूदगी को भुलाना मुश्किल है।


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दुर्गा खोटे ने अपने 50 वर्षों के करियर में मां के किरदार को ऐसा ओज और आत्मबल दिया कि उनकी छवि भारतीय सिनेमा में मां के आदर्श स्वरूप के रूप में अंकित हो गई।


3. ललिता पवार – मां की सख्त और दृढ़ प्रतिमा

जहां मां ममतामयी होती है, वहीं वो अनुशासन की मूर्ति भी हो सकती है। ललिता पवार ने बॉलीवुड को एक ऐसा चेहरा दिया, जो कभी कठोर सास थी, तो कभी एक जिम्मेदार मां।


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‘अनाड़ी’, ‘परवरिश’ और ‘जिस देश में गंगा बहती है’ जैसी फिल्मों में उन्होंने मां के जटिल और प्रभावशाली रूप को निभाया। उनका अभिनय सशक्त और छाप छोड़ने वाला था।


4. दीना पाठक – सहजता और संवेदना की मिसाल

गोलमाल, खूबसूरत और तमस जैसी फिल्मों में दीना पाठक का अभिनय उनके किरदारों की आत्मा बन गया।


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मां, मौसी, दादी जैसे रिश्तों में उन्होंने हर रूप को संवेदनशीलता और गरिमा से निभाया।

120 से अधिक फिल्मों में नजर आ चुकी दीना पाठक आज भी याद आती हैं जब कोई मां की संयमित परछाई की तलाश करता है।


5. रीमा लागू – आधुनिकता और ममता का संतुलन

रीमा लागू बॉलीवुड की उस ‘मॉडर्न मां’ की छवि थीं, जो बच्चों की भावनाओं को समझती भी थी और कभी-कभी सख्ती भी दिखाती थी।


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हम आपके हैं कौन, मैंने प्यार किया, वास्तव, कल हो न हो जैसी फिल्मों में उन्होंने मां को एक दोस्ताना, समझदार और भावुक किरदार के रूप में दिखाया। उनकी मुस्कान में ही ममता दिख जाती थी।


6. फरीदा जलाल – चुलबुली, दुलार भरी मां

फरीदा जलाल ने ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ में काजोल की मां बनकर हर दर्शक के दिल को छू लिया।

वो मां जो अपने बच्चों के सपनों को समझती है, उनके साथ हंसती-गाती है, और वक्त आने पर उनका हौसला भी बनती है।

‘चोरी चोरी चुपके चुपके’, ‘लाडला’, ‘दिलजले’ और ‘अजय’ जैसी फिल्मों में उन्होंने मां की सहज, चुलबुली और संवेदनशील छवि को खूबसूरती से प्रस्तुत किया।


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बॉलीवुड की इन अदाकाराओं ने परदे पर जो मातृत्व की गहराई रची, वह आज भी हर मदर्स डे पर यादों में ताज़ा हो जाती है। ये सिर्फ किरदार नहीं थे, ये हर दर्शक की अपनी मां की परछाईं थे—कभी ममता में भीगी, कभी अनुशासन में ढली, तो कभी संघर्षों की साथी बनी।

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