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NDRF का बड़ा कदम: ड्रोन और श्वान से लैस टीमें अब दुर्गम इलाकों में भी करेंगी रेस्क्यू

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 3 जून
  • 2 मिनट पठन

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राज्य में आपदा प्रबंधन की क्षमता बढ़ाने के लिए विभिन्न संस्थाएँ सक्रिय रूप से प्रयासरत हैं। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने अपने संसाधनों को आधुनिक तकनीक और उपकरणों से लैस कर सशक्त बनाया है। अब एनडीआरएफ के पास ड्रोन और खोज व बचाव के लिए प्रशिक्षित श्वान भी उपलब्ध हैं, जो खासकर माणा जैसी आपदाओं को ध्यान में रखते हुए रेस्क्यू ऑपरेशन को और प्रभावी बनाएंगे।


पर्वतीय क्षेत्रों में आपदा से निपटने के लिए विशेष ‘पर्वतीय बचाव दल’ का गठन किया गया है, जिसमें एडवांस ट्रेनिंग प्राप्त कर्मी शामिल हैं। इसके अलावा पहली बार बचाव दलों के साथ डॉक्टरों की भी तैनाती की गई है, जिससे आपदा के दौरान तुरंत प्राथमिक चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।


एनडीआरएफ की टीम आपदा के समय राहत एवं बचाव कार्यों में तत्पर रहती है। इनके पास अत्याधुनिक संचार उपकरण और रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए उन्नत संसाधन मौजूद हैं, जिनका उपयोग कर बचाव कार्यों को और अधिक कुशलता से संपन्न किया जाता है।


ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल अब बचाव अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। एनडीआरएफ ने हाल ही में दो ड्रोन प्राप्त किए हैं, जिनके जरिए दुर्गम और कठिन क्षेत्रों की सटीक स्थिति का पता लगाया जाएगा। इससे बचाव अभियानों की योजना बनाने और संचालन में काफी मदद मिलेगी।


एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडेंट रोहिताश्व मिश्रा के अनुसार, खोजबीन अभियान को और प्रभावी बनाने के लिए आठ प्रशिक्षित श्वान भी जोड़े गए हैं, जो मलबे में दबे लोगों की तलाश में अहम भूमिका निभाएंगे। हिमालयी क्षेत्रों में आपातकालीन रेस्क्यू के लिए विशेष पर्वतीय बचाव दल का गठन और तैनाती की गई है, जो तेजी से प्रभावित क्षेत्र में पहुंचकर बचाव कार्य करेगा।


इसके अतिरिक्त, पैरामेडिकल स्टाफ के साथ बचाव दलों में पहली बार डॉक्टरों को भी शामिल किया गया है, ताकि आपदा के दौरान तुरंत चिकित्सा सहायता प्रदान की जा सके। फिलहाल राज्य में एनडीआरएफ की 10 टीमें सक्रिय हैं, जिनकी संख्या जल्द बढ़ाकर 13 की जाएगी, जिससे आपदा प्रबंधन की क्षमता और भी मजबूत होगी।

 
 
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